बागेश्वर जिला | District Bageshwar
उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ मंडल का एक जिला है बागेश्वर। जो कि पहले अल्मोड़ा
बागेश्वर जिला हिमालय का एक खूबसूरत शहर है। जहां बर्फ की घाटियाँ के पहाड़ है। यहाँ लोग दूर-दूर से अपनी छुट्टियाँ मनाने आते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने बाघ का रूप धारण किया था। यहीं संबंध है इस जिले के नाम का भगवान शिव से। भगवान शिव के बाघ रूप से ही इस जिले का नाम बागेश्वर एवं व्याघ्रेश्वर पड़ा है। जिसका अर्थ है *बाघ की भूमि*। इन मंदिर की स्थापना सन् 1450 में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद की थी। बागेश्वर को प्राचीन काल से भगवान शिव और देवी पार्वती की पवित्र भूमि माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। उत्तराखंड के अन्य ओर कई जिलों की भांति यहाँ भी कई प्राचीन मंदिर मौजूद है जैसे :- बैजनाथ, चड़ीका आदि।
इनके अलावा यह पर्वतीय स्थल विभिन्न वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं को सुरक्षा भी प्रदान करता है। प्राकृतिक स्थलों के अलावा यहां पर्यटक एडवेंचर का रोमांचक आनंद लेने भी आते है।
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बागेश्वर जिले का इतिहास | History of District Bageshwar
उत्तराखंड में 1791 में गोरखाओं ने हमला किया और यहां के गढ़ों को कब्ज़ा कर लिया। गोरखाओं द्वारा इस क्षेत्र पर 24 वर्षों तक शासन किया। कहा जाता है की गोरखाओं के शासन के दौरान गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों में हाहाकार मक गया, बहुत मारकाट खून खराबा हुआ। कुमाऊं छोड़ के लोगो गढ़वाल और सुदरवर्ती इलाकों में भागने लगे। गोरखाओं के उस समय हिंसक शासन को गोरख्याली कहा जाता था। बाद में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने ब्रिटिश शासन से सहयता मांगी, जिसके बाद सन् 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखाओं को पराजित किया, और सन् 1816 में सुगौली सन्धि के अनुसार कुमाऊँ को ब्रिटिशों को सौंपने के लिए मजबूर किया गया। और गोरखाओं पर जीत के बाद गढ़वाल और कुमाऊं का अधिकांश हिस्सा अंग्रेजों के अधीन चला गया।
भारत की आजादी के बाद सन् 1974 में बागेश्वर को तहसील बनाया गया था। मगर सन् 1985 में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों एवं क्षेत्रीय लोगों द्वारा माँग की जाने लगी कि बागेश्वर को एक अलग जिला बनाया जाए। इसके साथ ही अंत में सन् 1997 में बागेश्वर को उत्तराखंड राज्य का एक नया जिला बनाया गया।
जिले से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी | Some other information related to district
बागेश्वर जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल :- कौसानी, पिंडारी, बैजनाथ।
बागेश्वर जिले में बहने वाली नदी :- कोसी।
बागेश्वर जिले के प्रसिद्ध मंदिर :- बैजनाथ, बाघनाथ, चड़ीका, श्रीहारु, गौरी मन्दिर, ज्वालादेवी मंदिर, उदियार।
बागेश्वर जिले की सीमा रेखाएँ :- पूर्व में पिथौरागढ़, पश्चिम में चमोली, दक्षिण में अल्मोड़ा, उत्तर में पिथौरागढ़ और चमोली का कुछ भाग।
बागेश्वर जिले के प्रसिद्ध मेले :- उत्तरायणी, नंदादेवी मेला।
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[…] बागेश्वर व चमोली से लगा हुआ बगजी बुग्याल भी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का बिंदु है। बगजी बुग्याल एक खूबसूरत मैदानी क्षेत्र है, जो कि समुद्रतल से 12,000 फीट और उत्तराखंड के चमोली जिले से 3,250 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह बुग्याल लगभग 4 किमी दूर क्षेत्र तक फैला हुआ है। बगजी बुग्याल की पैदल ट्रेक घेस (Ghes) से शुरू होता है। जहाँ से 13 km की यात्रा करके इस खुले घास के मैदान में पंहुचा जाता है। घेस उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में स्थित सदाबहार वन क्षेत्र का एक छोटा सा गाँव है। यह बेदनी बुग्याल, रूपकुंड और बागी बुग्याल तक ट्रेकिंग का भी आधार है। बगजी बुग्याल के इस पूरे ट्रेक में पर्यटकों को 22 से 24 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यहाँ एक छोटा-सा गाँव है हिमनी जो कि 2600 मीटर की ऊंचाई पर बसा है जहाँ से बर्फ़ से ढ़की त्रिशूली ग्लेशियर, नंदा घुंगटी और बाघी बुग्याल के सुंदर नज़ारे दिखाई देते है। इसे भी पढ़ें – लोगों की नजरों से ओझल रुद्रप्रायग में स्तिथ एक बुग्याल […]
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