दीपक बिष्ट
अल्मोड़ा, भारत में उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र में एक खूबसूरत जिला है, जो हिमालय के मनोरम दृश्य के साथ, दुनिया भर के पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य की छटा से वशीभूत करता है।
अल्मोड़ा न सिर्फ अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, अद्वितीय हस्तशिल्प, शानदार भोजन और शानदार वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है।
अल्मोड़ा एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो समुद्र तल से 1,638 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है और कश्यप पहाड़ी पर 5 किलोमीटर लंबे रिज में फैला हुआ है।
अल्मोड़ा को बाल मिठाई का घर और ताम्रनगरी के रूप में जाना जाता हैं। यहाँ तांबे से बने बर्तनों का निर्माण और व्यापर किया जाता है।
अल्मोड़ा के जागेश्वर और द्वाराहाट में बहुत से मंदिरों का समूह है। वहीं द्वाराहाट को मंदिरों की नगरी के रूप में जाना जाता है।
अल्मोड़ा 11 तहसील हैं जो अल्मोड़ा, भिकियासैण, रानीखेत, धौलाछिना, स्यालदे, जैती, भनौली, द्वाराहाट, सोमेश्वर, चौखुटिया, सल्ट है।
अल्मोड़ा में मौजूद सल्ट का भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा। महात्मा गाँधी जी ने सल्ट की घटना को भारत की दूसरी बारदोली कहा था।
अल्मोड़ा में प्रसिद्ध कसार देवी मंदिर भी है जहाँ स्वामी विवेकानंद ने ध्यान साधना की थी। वहीं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के ऊपर होने के कारण वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण स्थान है।
अल्मोड़ा में इसके अलावा , दूनागिरी, विन्सर महादेव, वीरनेश्वर, सितलादेवी, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, नंदादेवी, पर्वेतेश्वर, गोलू देवता, कटारमल सूर्य मंदिर, चितई मंदिर, विभाण्डेश्वर मंदिर, सोमनाथ मंदिर आदि हैं।
अल्मोड़ा इसके अलावा अपने विशिष्ट मेलों के लिए भी जाना जाता है। अल्मोड़ा में गोलज्यू मेला, स्याल्दे बिखौती, सालम रंग, श्रावणी, नंदादेवी, शहीद दिवस मेला, दशहरा मेला लगता है।
अल्मोड़ा से होते हुए पश्चिम रामगंगा बहती है। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसका उल्लेख रथवाहिनी के नाम से हुआ है।
इसके अलावा अल्मोड़ा का राजनैतिक इतिहास भी रहा है जिसके बारे में अगले लेख में जानेंगे।