बेडू (अंजीर) के फल में छुपे कई औषधीय गुण, आइये जानते हैं।

बेडू (अंजीर) के फल में छुपे कई औषधीय गुण, आइये जानते हैं।

दीपक बिष्ट

उत्तराखंड राज्य में कई प्राकृतिक औषधीय वनस्पतियां पाई जाती हैं , जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही अधिक फायदेमंद होती हैं।

हिमालयी क्षेत्र के  जंगली फलों में से एक है। समुद्र के स्तर से 1,550 मीटर ऊपर स्थानों पर जंगली अंजीर के पौधे बहुत ही सामान्य होते हैं।

बेडू  सालभर उगने वाला फल है।  यदि हम उत्तराखंड के परपेक्ष्य में बात करे तो बेडू  को स्थानीय भासा में "तिमला" भी कहा जाता है।

हालाँकि ये तिमले से भिन्न है क्यूंकि तिमला पक कर लाल हो जाता है जबकि बेडु काला।

यह मीठा और रसदार होता है, जिसमें कुछ कसैलापन होता है, इसके समग्र फल की गुणवत्ता उत्कृष्ट है।

बेडू फल जून जुलाई में लगता है एक पूर्ण विकसित जंगली अंजीर का पेड़ अनुकूलित मौसम में  25 किलोग्राम के आस पास फल देता है।

बेडू के पत्ते जानवरों के लिए चारे का काम करती है यह दुधारू पशुओं के लिए काफी अच्छी मानी जाती हैं कहा जाता है कि बेडू के पत्ते दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध में बढोतरी होती है|

बेडू के औषधीय गुण

बेडू में मुख्य रूप से शर्करा और श्लेष्मा गुण होते हैं और कब्ज के समस्याओ में भी काफी फायदेमंद होती है ।

वैसे तो बेडु का सम्पूर्ण पौधा ही उपयोग में लाया जाता है जिसमें छाल, जड़, पत्तियां, फल तथा चोप औषधियों के गुणों से भरपूर होता है|

हाथ पावं में चोट लगने पर इसका चोप (बेडू पौधे से निकलने वाला सफ़ेद दूध जैसा) लगाने से चोट ठीक हो जाती है|

बेडु के फल सर्वाधिक मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होने के साथ-साथ इसमें बेहतर एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते हैं जिसकी वजह से बेडु को कई बिमारियों जैसे – तंत्रिका तंत्र विकार तथा जिगर की  बिमारियों के निवारण में भी प्रयुक्त किया जाता है।

यह उत्तराखण्ड के अलावा पंजाब, कश्मीर, हिमाचल, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, सोमानिया, इथीयोपिया तथा सुडान में भी पाया जाता है। विश्व में बेडु की लगभग 800 प्रजातियां पाई जाती है।