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उत्तराखंड में घरों की बनावट, संरचना और वास्तुशैली

उत्तराखंड में घरों की बनावट, संरचना और वास्तुशैली

दोस्तों अक्सर में जब भी उत्तराखंड के पहाड़ों से दूर मैदानों में रहने वाले लोगों से मिलता हूँ तो सबसे पहले उनका यह सवाल होता है। आखिर पहाड़ पर घर टिकते कैसे हैं। इस सवाल को  कर हंसी तो आती है मगर ये भी सवाल उपजने लगता है कि आखिर जिन्होंने कभी पहाड़ नहीं देखे यहाँ की जीवन शैली नहीं देखी आखिर उन्हें ये समझने में दुविधा तो होगी। और हैरानी ये है कि ये सवाल कोई बच्चे नहीं  करते बल्कि अच्छे कासे उम्र के लोग ही करते हैं। उन्हीं सवालों को दूर करने के लिए नीचे उत्तराखंड  घरों के निर्माण, बनावट और इसके वास्तुशैली से जुड़ी चीजों को समझने की कोशिश की गयी है।




उत्तराखंड में घरों की बनावट संरचना और वास्तुशैली

 

उत्तराखण्ड के भवन निर्माण शैली ?

 

मौसम 

यहां पर मिट्टी के बड़े बड़े पहाड़ होने के वजह से यह पर लगभग ठंडा ही मौसम बना रहता है जिसके कारण घरों के निर्माण भी लगभग सब के एक जैसे ही रहते हैं I उत्तराखंड के गाँवों के घरों में मिट्टी, पत्थर तथा देवदार या चीड़ के लड़कियों से मिलकर तैयार किया जाता है I 

 

ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपने घरों की छत किन बातों को ध्यान में रख कर बनाते थे?

यहां के ग्रामीण मकानों में आपकों मोटी दीवारें, लकड़ी के अधिक उपयोग,  छोटी खिड़कियां  एवं लकड़ी के दरवाज़े और नीची छत  देखने को मिलेंगे I यहां पर नीची छत,  या फिर ज्यादा ऊंचाई में छत नहीं बनाये जाते हैं क्योंकि नीची छत बनाने से कमरे में गर्मियों में ठंडे एवं ठंडियो में गर्म रहते हैं




 

कमरों में अधिक धूप की प्राप्ति के लिए दरवाजे, खिड़कियों एवं बरामदा पूर्व,  दक्षिण-पूर्व और दक्षिण दिशा के तरफ ही बनाये जाते थे I घर की छते बारिश और बर्फ से बचने के लिए 10 या 12 अंश तक के चीड़ या देवदार की बड़ी बड़ी शेहतीरे लगा कर बनाया जाता हैं I इन  शेहतीरो के ऊपर मिट्टी बिछाकर इनके ऊपर पत्थर के पतली-पतली स्लेट जिन्हें पठाल कहा जाता हैं लगाए जाते हैं I

 

पठाल वाले छत बनाने वाले कारीगर अलग ही होते थे जो पत्थरों को इस तरीके से एक के ऊपर एक सेट करके उसे ढलान दे देते थे जिस वजह से कोई भी बर्फ या बारिश छत पर नहीं टिकती थी I  घर की दीवारें और छत इस तरीके से बनाया जाता था की बड़े से बड़ा तूफान या भूकंप भी इनको हिला नहीं पाते थे I कहीं-कहीं पर पठाल का उपयोग नही करते है तो चीड़ या देवदार के लड़कियों की स्लेट  का उपयोग किया जाता था I




घर निर्माण के प्रकार ?

उत्तराखंड के हिमालय वाले इलाक़ों में घर का निर्माण  2 से 3 मंजिले घर ही बनाये जाते हैं जो सारे एक समान आकार के होते हैं जिन्हें ढाई पूरा कहा जाता है I किन्तु 3 या 4 मंजिले वाले घर आपकों बहुत ही कम  देखने को मिलेंगे क्योंकि 3 या 4 मंजिले वाले घर अक्सर ज्यादा पैसे वाले ही बनाते है I 

 

ग्रामीण घरों का डिजाइन ?

पत्थर एवं लकड़ी के प्राप्ति के लिए प्रत्येक गाँव का एक निर्धारित क्षेत्र होता हैं जहां से ये सब एकत्रित किया जाता था I

घरों को मिट्टी पत्थर के चिनाई करके बनाया जाता है I 

जिसमें सामन्यतः एक घर में 4 से  5 कमरे होते ही है I 




ग्रामीण घरों के नक्शे?

 

ग्रामीण घर व बालकनी 




ऐसा ही एक उदाहरण हैं –उत्तरकाशी में 1991 में विनाशकारी भूकंप आया था जिस के चलते वहां के प्राचीन शिल्प से बने भवनों को बहुत कम नुकसान हुआ था  विशेषज्ञों का कहना था की ये भवनों की उम्र 1000 साल तक हो सकती है I 

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उत्तराखंड के लोगों में पलायन की वजह?

 

पहले सब परिवार संयुक्त था दादा, ताऊ, चाचा सब मिलकर एक साथ एक छत के नीचे रहते थे एक साथ खाना खाते थे I गांव में ही खेतीबाड़ी करके अपना गूजर बसर हो जाता था I घर में एक ही व्यक्ति कमाने वाला इतने बड़े परिवार को अकेला खिलाता था I परंतु आज ऐसा समय आ गया है की एक व्यक्ति अपने परिवार की पूर्ति नहीं कर पा रहा हैं I ऐसा क्यूँ हैं आइए चर्चा करते हैं




रोजगार 

सबसे बड़ा मुद्दा तो रोजगार हैं क्योंकि पहाड़ों में न केवल शिक्षा का बुरा हाल हैं रोजगार भी नहीं है कोई भी शिक्षक पहाड़ों में आना नहीं चाहता, जो आते भी हैं वो भी 2 या 3 महीने  में छोडकर चलें जाते हैं और अब तो रोजगार के नाम पर एक सरकार ने लोगों को ठेंगा दिखा दिया है I 

ऐसे में शिक्षा की कमी और बेरोजगारी का काॅम्पीटीशन बढ़ता ही जा रहा है । ऐसे में लोग शिक्षा और रोजगार की तलाश में पहाड़ों के बीच से निकल रहे हैं I क्योंकि बिना शिक्षा के कोई रोजगार नहीं हैं I 

 

महंगाई 

एक कारण तो पहाड़ से लोगों का पलायन इसलिए हो रहा क्योंकि एक मुद्दा महंगाई का भी बड़ गया हैं I पहले के लोग जितना मिलता था उतने में ही खुश रहते थे परन्तु जैसे जैसे लोग आधुनिकता की तरफ बढ़ रहे है वैसे-वैसे, उनके शौक और ख्वाहिशें भी बड़ती जा रहीं हैं I लोग आज मजबूर है अपने खुद के घरों को छोड़ने के लिए I 

 

आधुनिकता का प्रभाव 

आपको तो पता है की लोग अपना पैर धीरे-धीरे आधुनिकता की तरफ बढ़ाते चलें जा रहे हैं इसके कारण लोग गांव में रहना पसन्द नहीं कर रहे हैं I अब तो गांव में बने घरों का ये हाल हैं की लोग जा तो रहे हैं पर लौट कर कोई नहीं आ रहा हैं  घर गिर रहा हैं और देखने वाला कोई भी नहीं हैं बहुत से लोग तो इसलिए भी छोड कर जा रहे है क्योंकि उनका कहना है की अब गांव में कुछ करने को रहा ही नहीं तो उनको भी वहां से आना पड़ा I 




मिट्टी लकड़ी से बने घर के फायदे?

दोस्तों वो समय और लोग दोनों सब चले गये जब लोग मिट्टी लकड़ी के घरों में रहना पसन्द करते थे अब सब सीमेंट से बने पक्के मकान में रहना पसन्द करते हैं I पर आपकों पता हैं की मिट्टी लकड़ी से बने मकान के क्या फायदे होते हैं I 

बहुत कम लोग जानते हैं इसके फायदे जो इस प्रकार हैं I मिट्टी पत्थर के मकान कम लागत में भी तैयार हो जाते हैं I क्योंकि मिट्टी और पत्थर आसानी से प्राप्त हो जाते हैं और इनको ले जाने का परिवाहन खर्चा भी कम हो जाता है और ये ग्रामीण इलाकों में असानी से उपलब्ध भी होता हैं I 

 

मिट्टी के बने घर बायोडिग्रेडेबल भी होते है जो पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता और बहुत ही असानी से पर्यावरण में मिल भी जाता हैं I 

 

मिट्टी से बने घर रीसाइकल भी हो जाते हैं क्योंकि कोई भी वस्तु का पर्यावरण में नष्ट होना बहुत जरूरी हैं और मिट्टी के घर नष्ट हो जाने पर पुनः बनाये भी जा सकते हैं I 

 

मिट्टी के घर एक तरह से इन्सुलेटर  का काम भी करते हैं क्योंकि मिट्टी से बनी दीवारें प्राकृतिक तौर पर उष्मा रोधी होते हैं मतलब की इनकी बनी दीवारें भीतर से, बाहर के मुकाबले बिल्कुल विपरित होती हैं तभी तो गर्मियों के मौसम में ये ठंडक रहती है और सर्दियों में गर्मी का आरामदायक एहसास दिलाती है I 

 

मिट्टी से बने घर भूकंप रोधी भी होती हैं जिस कारण इनसे बनी घर में आपदा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं और सालों साल तक ये घर चलते भी हैं I 

 

मिट्टी के घर की एक विशेष बात ये भी है की हम इसको किसी भी तरह से अपने पसन्द का अलंकृत कर सकते हैं जिससे ये घर दिखने में बहुत ही सुन्दर और टिकाऊ नजर आता है I परंतु आजकल मिट्टी से बने घर की जगह 21 वी शताब्दी में सीमेंट के पक्के घर ने ले लिया है उसके बाद से सभी आर्किटेक सीमेंट से बने घर ही बनाने लगे है I 




सीमेंट से बने घर के नुकसान 

 

 


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