उत्तराखंड में बहुत से तीर्थ स्थलों में से एक माँ गर्जिया देवी का स्थान प्रमुख है। इस स्थान की महिमा का प्रमाण इसी बात से लगया जा सकता है कि यहां आने वाले भक्तों का हर साल ताँता लगा रहता है। गर्जिया देवी हिमालय की पुत्री यानि माता पार्वती हैं। जिनके बस दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। तो क्या है इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और कथा आइये जानते हैं।
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गर्जिया देवी मंदिर
उत्तराखंड में अनेक धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जिनमें से गर्जिया देवी का मंदिर का विशिष्ट महत्त्व है। यह मंदिर कोसी नदी के बहाव और पहाड़ की चोटी पर स्थित माता का एक दिव्य मंदिर है, जो कि उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले के रामनगर में सुन्दर खाल नामक गाँव में स्थित है । गिरिराज हिमालय की बेटी पार्वती माँ का मंदिर होने के कारण इसका एक नाम गिरिजा देवी मंदिर भी है। यह मंदिर कोसी नदी के किनारे पर स्थित है, जो की माता पार्वती के मुख्य मंदिरों में से एक हैं। रामनगर को प्राचीनकाल में विराट नगर के नाम से जाना जाता था। जहाँ पहले कत्यूरी वंश के राजा और कुरु राजवंश के शासक राज किया करते थे ।
मंदिर से जुडी पौराणिक कथा
गर्जिया देवी मंदिर के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। जिसमें से एक यह है की गर्जिया देवी मंदिर जिस टीले पर स्थित है वह एक बार कोसी नदी में बाढ़ आने की वजह से बहता हुआ दिखा। तब भैरव देव ने टीले को बहते हुए देखा और आवाज़ लगाई की “थि रौ बहना थि रौ ” अर्थात “ठहरो, ठहरो, बहन ठहरो” “ यहाँ हमारे साथ निवास करो” तभी से गर्जिया देवी वहां निवास कर रही हैं । इसे भी पढ़ें – कटारमल सूर्य मंदिर
इस मंदिर को सबसे पहले पर्यावरण विभाग के कर्मचारियों ने देखा था। कहा जाता है कि वहां शेर की आवाज़ें सुनाई देती थी । जैसे कि कोई शेर गर्जना कर रहा हो । साथ ही यहाँ शेर को परिक्रमा लगाते हुए भी देखा गया है तभी से यह क्षेत्र धार्मिक और पर्यटन स्थल दोनों के रूप में मशहूर हो गया। फिर आसपास के नगरवासियों की मदद से मंदिर का पूर्ण रूप से निर्माण कराया गया।
बताया जाता है कि 1956 में फिर से बाढ़ आने की वजह से यह मंदिर पुनः बह गया और इसमे एक भी मूर्ति नहीं बची, तब पंडित पूर्णचन्द्र पांडे पुनः इस मंदिर का निर्माण करवाया और माता के मूर्ति की स्थापना की । इतने खतरनाक और डरावने माहौल के बावजूद भी माता के भक्तों का यहाँ मेला सा लगा रहता है, उनकी श्रद्धा और भक्ति में कभी कोई कमी नहीं आती।
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मंदिर से जुडी मान्यताएं
इस मंदिर में पार्वती माता के साथ साथ माता सरस्वती, भगवान गणेश और भैरव देव जी की मूर्ति भी स्थापित है । यहां लक्ष्मी नारायण के दर्शन करने को भी मिलते है। यहां की मान्यता हैं कि भक्त लोग पहले कोसी नदी में स्नान करते हैं फिर मन्दिर तक जाने के लिए 90 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं जो कि नदी के रास्ते से होकर जाती हैं । देवी माँ के दर्शन करने के बाद भक्तगण भैरव देव की पूजा करते है, उनको उड़द की दाल और चावल प्रसाद रूप में अर्पित किए जाते है ।
यहां लोग छत्र, घंटी आदि चढ़ाते है और मन्नत मांगते हैं। नव विवाहित जोड़ो को यहां दर्शन के लिए लाया जाता है, साथ ही सुहागने अपने अटल सुहाग की मनोकामना करती है । निसंतान परिजन संतान प्राप्ति के लिए माथा टेकने आते है । यहाँ तक आने के लिए रामनगर से बस या रेल किसी भी प्रकार के साधन का उपयोग किया जा सकता हैं। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क यहाँ से महज 7 से 8 किमी. की दूरी पर स्थित है , जिसकी वजह से गर्जिया देवी मंदिर और भी मशहूर एवं दर्शनीय स्थल बन चुका हैं।
कैसे पहुंचे मंदिर
इस मंदिर तक पहुंचना बेहद आसान है क्यूंकि रामनगर तक रेल सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा बस या टैक्सी के माध्यम से भी आप गर्जिया देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। गर्जिया देवी मंदिर रामनगर से 13 किमी और नैनीताल से 75 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर में स्तिथ है।
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