Ghorakhal Golu Devta Mandir Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित घोड़ाखाल मंदिर न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं और हजारों टंगी घंटियों के लिए प्रसिद्ध है। भवाली से मात्र 5 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर नैसर्गिक सौंदर्य और आध्यात्मिक आस्था का संगम है। इस मंदिर में भक्तजन अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और मन्नत पूरी होने पर घंटियां चढ़ाते हैं।
घोड़ाखाल मंदिर (Ghorakhal Golu Devta)
यह मंदिर गोल्ज्यू देवता को समर्पित है, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। भक्तजन अपनी मनोकामनाएं पत्रों में लिखकर अर्जी के रूप में मंदिर में टांगते हैं, और जब उनकी मनोकामना पूरी होती है, तो वे यहां घंटी चढ़ाकर कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। मंदिर में आपको हजारों छोटी-बड़ी घंटियां देखने को मिलेंगी, जो भक्तों की आस्था और श्रद्धा को दर्शाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने वाले नवविवाहित जोड़ों का दांपत्य जीवन सुखमय रहता है।
गोल्ज्यू देवता की कथा
गोल्ज्यू देवता की कथा कुमाऊं के चंपावत क्षेत्र के कत्यूरी राजवंश से जुड़ी हुई है। राजा झलराई की सात रानियां थीं, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी। राजा ने ज्योतिषियों से परामर्श किया, जिन्होंने बताया कि आठवां विवाह करने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। एक रात राजा ने स्वप्न में नीलकंठ पर्वत पर तपस्या में लीन कलिंका देवी को देखा और उनसे विवाह किया। विवाह के बाद कलिंका देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम गोलू रखा गया।
गोलू देवता के जन्म की रहस्यमयी घटना
दूसरी रानियों को इस बात से जलन हुई और उन्होंने षड्यंत्र रचकर नवजात शिशु की जगह खून से सना सिलबट्टा (पत्थर) रख दिया और नवजात को खतरनाक गायों के गोशाला में फेंक दिया। लेकिन गायों ने बालक को दूध पिलाकर उसका पालन किया। जब राजा को इसका पता चला, तो उन्होंने इस घटना की सत्यता की जांच करवाई और गोलू को न्याय का देवता घोषित किया।
न्याय के देवता – गोलू देवता
गोल्ज्यू देवता को त्वरित न्याय करने वाले देवता माना जाता है। भक्तजन यहां अर्जी लगाकर अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं। यह मंदिर उत्तराखंड में न्याय की सर्वोच्च पीठ के रूप में जाना जाता है।
घोड़ाखाल मंदिर में दर्शन का महत्व
- घंटियां चढ़ाने की परंपरा – मन्नत पूरी होने पर भक्तजन घंटी चढ़ाते हैं।
- न्याय का देवता – मान्यता है कि गोल्ज्यू देवता भक्तों की समस्याओं का तुरंत समाधान करते हैं।
- मांगलिक कार्यों के लिए शुभ स्थान – यहां विवाह आदि मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
- प्राकृतिक सौंदर्य – मंदिर चारों ओर से पहाड़ों और हरियाली से घिरा है।
कैसे पहुंचे घोड़ाखाल मंदिर?
- रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो घोड़ाखाल से लगभग 36 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग – दिल्ली, देहरादून और हल्द्वानी से बस या टैक्सी के माध्यम से भवाली और वहां से घोड़ाखाल पहुंचा जा सकता है।
- हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो यहां से लगभग 70 किमी दूर है।
घोड़ाखाल मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, न्याय और आस्था का संगम है। यह मंदिर भक्तों के विश्वास का प्रतीक है, जहां हर प्रार्थना सुनी जाती है और न्याय अवश्य मिलता है। यदि आप कभी नैनीताल जाएं, तो घोड़ाखाल मंदिर के दर्शन अवश्य करें और गोल्ज्यू देवता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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