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Indrasani Devi Temple Rudraprayag | माता इंद्रासणी मंदिर, कंडाली (रुद्रप्रयाग)

माता इंद्रासणी मंदिर, कंडाली (रुद्रप्रयाग) | Indrasani Devi Temple Rudraprayag

माता इंद्रासणी मंदिर, कंडाली (रुद्रप्रयाग) | Indrasani Devi Temple Rudraprayag

Indrasani Devi Temple Rudraprayag:  उत्तराखंड की देवभूमि में अनेक प्राचीन और पवित्र मंदिर स्थित हैं उन्हीं में शामिल है माता इंद्रासणी मंदिर। कंडाली गाँव और सिलगढ़ क्षेत्र की आराध्य देवी माता इंद्रासणी का यह मंदिर एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर मन्दाकिनी और अलकनंदा नदी के किनारे बसे रुद्रप्रयाग शहर से महज 14 किमी और तिलवाड़ा से 6 किमी की दूरी पर स्थित है।

सुरम्य पर्वतों और कंडाली गांव के सुन्दर परिवेश में स्तिथ यह मंदिर सिलगढ़ और तल्ला नागपुर क्षेत्र के 100 से अधिक गावों के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहाँ हर 12 वर्ष में एक महायज्ञ का भी आयोजन होता है। यह आयोजन देवी के  देवारा यात्रा (क्षेत्र भ्रमण) के बाद मूल स्थान पर आने के बाद सम्पन्न की जाती है। इस दौरान देवी तिलवाड़ा के पास स्थित सूर्य प्रयाग में शाही स्न्नान भी करती है।

इंद्रासणी मंदिर का पौराणिक महत्व | Indrasani Devi Temple Story

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य के युग में हुआ था। यह मंदिर अद्भुत वास्तुकला से निर्मित है और इसके आसपास जलकेदरेश्वर, क्षेत्रपाल, और जाख देवता के मंदिर भी स्थित हैं, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

माता इंद्रासणी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

माता इंद्रासणी के बारे में महाकाव्य स्कंदपुराण, देवीभागवत और केदारखंड में विस्तृत वर्णन मिलता है। मान्यता है कि माता इंद्रासणी, महर्षि कश्यप की मानस पुत्री थीं। उन्हें मनसा देवी, वैष्णवी, शिवी और विषहरी के नाम से भी जाना जाता है।

माता इंद्रासणी – सांपों की देवी

एक लोककथा के अनुसार, माता इंद्रासणी सर्पदंश (सांप के काटने) या किसी भी प्रकार के विष के प्रभाव से पीड़ित व्यक्ति को ठीक करने की शक्ति रखती हैं। इस कारण यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु माँ के दर्शन करने और उनकी कृपा पाने के लिए आते हैं।

भविष्य में केदारनाथ का स्थान ग्रहण करेगा यह क्षेत्र?

केदारखंड में उल्लेख है कि भविष्य में यदि केदारनाथ धाम आम जन के लिए दुर्गम हो जाएगा, तो जलकेदरेश्वर महालिंग (जो इस मंदिर के निकट है) को केदारनाथ के रूप में पूजा जाएगा।

कैसे पहुँचें इंद्रासणी मंदिर? | How To Reach Indrasani Devi Temple

यह मंदिर मंदाकिनी नदी के पार, तिलवाड़ा से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको रुद्रप्रयाग होते हुए तिलवाड़ा तक की यात्रा करनी होगी। तिलवाड़ा पहुंचने पर आप सीढ़ियों से उतर कर टेक्सी स्टैंड से कंडाली गांव तक ट्रेकर के माध्यम से पहुचंगे ।

यह आध्यात्मिक धरोहर न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को भी दर्शाती है।

Indrashani Devi Temple Rudraprayag | माता इंद्रासणी मंदिर, कंडाली – उत्तराखंड की रहस्यमयी देवी

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