नैनीताल, “उत्तराखंड का मोती और झीलों का शहर” (Nainital : the pearl of Uttarakhand & City of lakes)
समुद्रतल से 2084 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ नैनीताल, “उत्तराखंड का मोती और झीलों का शहर” के नाम से जाना जाता है। नैनीताल में मौजूद प्रकृति की खूबसूरती ही है जो इसे और जिलों से ख़ास बनाती है। झीलों का शहर नैनीताल का मुख्य आकर्षण इसके केंद्र में स्तिथ नैनी झील है जो स्थानीय लोगों के अनुसार चीना या चाइना पीक (Cheena or China peak) और नैना पीक (Naina Peak) से मोती की तरह लगता है। इसलिए इसे उत्तराखंड का मोती (the pearl of Uttarakhand) कहने में भी कोई दोराय नहीं। नैना पीक से नैनी झील की आकृति आँख जैसे लगती है। इसलिए इस झील को नैनी झील और इस शहर को नैनीताल कहा जाता है।
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नैनीताल का परिचय | Introduction to Nainital
नैनीताल जो कि प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों से भरपूर है जिसे भारत का “झीलों का जिला” (Lake district) भी कहा जाता है। खूबसूरत झीलों से सुसज्जित यह जिला “झीलों का शहर” (City of lakes) के नाम से भी मशहूर है। नैनीताल में ‘नैनी’ शब्द का अर्थ है आंखे और “ताल” का अर्थ है नहर, झील। नैनी झील नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। नैनीताल शहर उत्तराखंड के जिले के साथ-साथ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। यहाँ दूर दूर से लोग वर्ष के 12 महीने भारत के अन्य शहरों से घूमने आते हैं।
यह शहर उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल का मुख्यालय है। वहीँ उत्तराखंड का उच्च न्यायालय भी नैनीताल में स्थित है। नैनीताल मुख्यतः दो भागों में विभाजित है एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ खाइ। इस जिले के मुख्य पर्यटन स्थलों में नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, भवाली, भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल, कालाढूंगी, रामगढ एवं मुक्तेश्वर शामिल है। बर्फ़ के पहाड़ों के बीच बसा यह स्थान झीलों से घिरा हुआ है। नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी अद्भुत खूबसूरती से अपनी ओर आकर्षित करती है।
नैनीताल का इतिहास | History of Nainital
नैनीताल की खोज सन् 1841 में एक ब्रिटिश व्यापारी, पी.बर्रों (P. Barron), जो शाहजहांपुर में चीनी व्यापारी था, वो ट्रेक करते हुए यहाँ आये, और उन्होंने यहाँ पिलग्रिम लॉज की स्थापना की। ऐसा भी कहा जाता है कि इस ब्रिटिश व्यापारी P. Barron ने नैनीताल शहर की नीव डाली थी।
इसके बाद सन् 1846 में अंग्रेज सरकार के अधिकारी और सैनिक यहाँ आने लगे, जिन्होंने यहाँ कई यूरोपियन कला की इमारतें और भवन बनाये, जो आज भी यहाँ देखी जा सकती है, और धीरे-धीरे यह जगह अंग्रेज अधिकारियों और सैनिको का पसंदीदा शहर बन गया। जहाँ वो हर वर्ष गर्मियों में आते रहते है। अंग्रेजो को नैनीताल इतना पसंद था कि वो नैनीताल को स्विट्ज़रलैंड के समान ही मानते थे। इसलिए नैनीताल को छोटी विलायत भी कहा जाता है।
कई वर्ष बाद सन् 1880 में नैनीताल में एक भयानक भूस्खलन हुआ, यह भूस्खलन इतना जबरदस्त था कि इसमें कई लोग दबकर मर गए थे। इस भूस्खलन के कारण नैना देवी मंदिर भी छतिग्रस्त हुआ था। और फिर बाद में नैना देवी मंदिर को एक नए तरीके से बनवाया गया।
ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव देवी सती के शव को ले जा रहे थे। तब देवी सती की आँख यहाँ गिरी थी जो कि 64 शक्तिपीठो में से एक था, इसलिए इस स्थान का नाम नैन-ताल पड़ गया। बाद में इसे नैनीताल कहा जाने लगा। वर्तमान में नैना देवी के मंदिर में देवी सती के शक्ति रूप की पूजा होती है।
सन् 2000 में जब उत्तराखंड उत्तरप्रदेश से अलग हुआ तब नैनीताल में हाईकोट बना, जहाँ राज्य के कानून में अनेक न्यायिक फैसले लिए जाते हैं। नैनीताल में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट भी है जिसे ARES के नाम से जानते है। इसकी स्थापना 1951 में वाराणसी में हुई थी। तब इसका नाम UPES था। वाराणसी में खगोल प्रेक्षण के लिए खराब स्तिथि के कारण 1955 में इसे नैनीताल के मनोरा चोटी पर स्तिथ एक छोटी झोपडी में शिफ्ट कर दिया गया। बाद में उत्तराखंड के उत्तरप्रदेश के उत्तराखंड से अलग होने पर इसे स्टेट प्रेक्षण कहा जाने लगा और मार्च 2004 में इसका नाम बदल कर आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञानं शोध संस्थान (ARIES) कहा जाने लगा।
नैनीताल में देखने लायक स्थान | Places to see in Nainital
“नैनीताल, उत्तराखंड का मोती और झीलों का शहर” (Nainital : the pearl of Uttarakhand & City of lakes) में नैनीझील के आलावा और भी बहुत से जगहें हैं जिन्हे आपको अपने नैनीताल के विजिट में देखना चाहिए। ये जगहें नैनीताल से कुछ दूरी पर स्तिथ हैं मगर आप अपने नैनीताल के घूमने के अनुभव में इन जगहों की खूबसूरती को भी अपने साथ ले जाना चाहिए।
इसे भी देखें – उत्तराखंड के गढ़वाल में स्तिथ झीलें
इको गुफा गार्डन | Echo Cave Garden
मॉल रोड से महज 1 किमी की दूरी पर इको गुफा गार्डन (Echo Cave Garden) स्तिथ है। जिसकी दूरी आप आसानी से टहलते टहलते नाप सकते हैं। यह जगह चट्टानी गुफाओं, लटकते उद्यानों और संगीतमय फव्वारे के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ विभिन्न जानवरों के आकार में छह छोटी गुफाओं का एक समूह है। यह नैनीताल के मल्लीताल क्षेत्र में स्थित है। शाम को, यहाँ विभिन्न ऑडियो वीडियो प्रभावों के साथ संगीतमय फव्वारे का तमाशा देखने का आनंद ही कुछ और है।
नैना देवी मंदिर | Naina Devi Temple
नैना देवी मंदिर नैनी झील के किनारे स्तिथ देवी का भव्य मंदिर है। इस मंदिर का हिन्दू मान्यताओं में विशेष स्थान है यह मंदिर 64 शक्तिपीठों में से एक है। ये शहर से कुछ ही मीटर दूर है।
माल रोड | Mall Road
माल रोड, Nainital : the pearl of Uttarakhand & City of lakes में नैनी झील के समानांतर पहाड़ी शहर (मल्लीताल और तल्लीताल) के दो छोरों को जोड़ता है। यह नैनीताल में व्यापर जैसे खरीदारी, भोजन और सांस्कृतिक केंद्र है। मॉल रोड में वो सब आपको मिलेगा जो आप त्तराखंड का मोती और झीलों का शहर से ले जाने चाहते हैं।
ऊनी कपडे से लेकर, लकड़ी की सुन्दर कलाकृतियां यहाँ सब कुछ मौजूद है। आधिकारिक रूप से गोविंद बल्लभ पंत मार्ग के रूप में नामित यह सड़क, अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। आज, सड़क नैनीताल शहर का पर्याय है। आप दिन के हर समय मॉल रोड पर घूमने जाने वाले पर्यटकों को देख सकते हैं। मई, जून और अक्टूबर के चरम मौसम के दौरान भारी वाहनों और यातायात में प्रवेश वर्जित है।
स्नो व्यू पॉइंट | Snow view point
नैनीताल, उत्तराखंड का मोती और झीलों का शहर देखने का एक खूबसूरत जगह स्नो व्यू पॉइंट है। जहाँ केबल कार की मदद से पंहुचा जाता है। स्नो व्यू पॉइंट समुद्र तल से 2270 मीटर की ऊँचाई पर है और यह क्षेत्र के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। स्नो व्यू प्वाइंट से दूधिया-सफेद बर्फ के चादर में लिपटे हिमालय के मनोरम दृश्य देख सकते हैं। यहाँ से तीन चोटियों नंदादेवी, त्रिशूल और नंदा कोट का एक सुरम्य नजारा दिखता है। यहाँ दूरबीन की एक विशाल जोड़ी स्थापित की गई है जिसमे से आप यह नजारे देख सकते हैं। इसके आलावा यहाँ राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान के साथ दुर्गा और शिव के चित्र वाले छोटे से मंदिर हैं ।
टिफिन टॉप | Tiffin top
टिफिन टॉप नैनीताल में एक मुख्य पर्यटक आकर्षण है। जिसे से डोरोथी सीट ( Dorothy’s Seat) भी कहा जाता है। नैनीताल, उत्तराखंड का मोती और झीलों का शहर देखने का इससे सुन्दर नजारा नहीं है। कहते हैं कि डोरोथी सीट पर पहाड़ी की चोटी पर लोगों के दोपहर का भोजन करने के कारण यह टिफ़िन टॉप के नाम से जाना जाने लगा ।
टिफिन टॉप को डोरोथी सीट भी कहा जाता है इसके पीछे की कहानी यह है कि इसका निर्माण सेना अधिकारी कर्नल जेपी केलेट द्वारा डोरोथी केलेट नाम की अंग्रेजी कलाकार की याद में किया। अधिकारी ने अपनी पत्नी डोरोथी को खो दिया, जब वह अपने चार बच्चों के साथ जहाज पर सवार थी।
टिफिन टॉप नैनीताल से 4 किमी की दूरी पर स्थित है। जिसे आप अयारपट्ट में शेरवुड स्कूल से गुजरने वाले रास्ते से लगभग 10 किलोमीटर तक ट्रेक करके पहुँच सकते हैं। इसके आलावा आप बाड़ा पठार घोड़ा किराए पर लेकर भी जा सकते हैं। यह मुख्य शहर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और बस के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
नैनीताल कैसे पहुंचे | How to reach Nainital
नैनीताल एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जहाँ लोग वर्ष के बढ़ महीने इस शहर की खूबसूरती का आनंद लेने भारत के कोने कोने से आते हैं। नैनीताल पहुंचने के लिए देश के विभिन्न भागों से सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।
नैनीताल जाने का अच्छा समय | Good time to visit Nainital
ग्रीष्मकालीन मौसम इस सुंदर शहर की यात्रा के लिए आदर्श माना जाता है। जबकि बरसात में धुंध और और बारिश के कारण शायद मजा किरकिरा हो, क्यूंकि यहाँ के रस्ते रोडब्लॉक का शिकार हो जाते हैं मगर आप प्रकृति की सुंदरता और चरों तरफ हरियाली देखना चाहते हैं तो आ सकते हैं। इसके आलावा सर्दियों में भी इस शहर को देखने लोग पहुंच जाते हैं। सर्दियों में यहाँ आने का बेस्ट टाइम नवंबर और दिसंबर है। सर्दियों में शहर बर्फ की सफ़ेद चादर ओढ़ लेता है।
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