IAS Vandana Singh Chauhan | आईएएस वंदना सिंह चौहान
ज़िन्दगी से कभी हार मत मानो।
आज बुरा है।
कल बदतर होगा।
लेकिन कल के बाद। का दिन शानदार होगा।
दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जिन्होंने ना सिर्फ अपने मेहनत के दम पर अपने परिवार का गौरव बढ़ाया बल्कि समाज को यह भी बताया की लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। जो काम पुरुष प्रधान समाज करता है अगर लड़कियों को भी अवसर दिए जाये तो वो किसी से पीछे नहीं रहती। ये अजीब है की मैं 21वीं सदी में भी आपको यह बात बता रहा हूँ, हो सकता है हमने चाँद पर कदम रख लिया हो मगर लोगों का दिमाग अभी भी उसी संकीर्ण मानसिकता की गिरफ्त में है और ना उससे छूट जाने को तैयार है। ये कहानी एक लड़की कि है जिसने बचपन में देखे एक सपने को पूरा करनी की ठानी, ये कहानी उसी सपने कि है, ये कहानी आईएएस वंदना सिंह चौहान की है।
आईएएस वंदना सिंह चौहान का जन्म और स्कूली शिक्षा | IAS Vandana Singh Chauhan born and schooled
आईएएस वंदना सिंह चौहान (IAS Vandana Singh Chauhan) का जन्म 4 अप्रैल, 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही पढ़ाई लिखाई का शौक था। लेकिन उनके घर में लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था। उनकी पहली पीढ़ी की कोई लड़की स्कूल नहीं गई थी। वंदना की शुरुआती पढ़ाई भी गांव के सरकारी स्कूल में हुई। लेकिन वंदना अपने पिता से बार बार बाहर पड़ने की जिद करती रहती। क्यूंकि गांव के स्कूल में कुछ खास पढ़ाई नहीं होती थी। IAS Vandana Singh Chauhan
छठी कक्षा के बाद वंदना मुरादाबाद के पास लड़कियों के एक गुरुकुल में पढऩे चली गई। वहां के नियम बड़े कठोर थे। कड़े अनुशासन में रहना पड़ता था। वंदना ने वहीं रहते हुए अनुशासन सीखा ये ही अनुशासन उन्हें आईएस की तैयारी में भी काम आया। 10 की परीक्षा देने के बाद ही उन्होंने आईएएस बनने की ठान ली। वह प्रतियोगी मैगज़ीन में आईएएस के इंटरव्यू पड़ती ओर मोटिवेट होती । 12 पास करने के बाद वंदना वापस अपने घर आ गई ओर यही से आईएएस की में तैयारी जुट गई। इस दौरान उन्होंने लॉ में भी एडमिशन ले लिया। IAS Vandana Singh Chauhan
वंदना से आईएएस वंदना सिंह चौहान बनने का सफर | Journey from Vandana to become IAS Vandana Singh Chauhan
वंदना का आईएएस वंदना सिंह चौहान बनने का सफर इतना आसान नहीं था और न उनके परिवार वालों के लिए। उनके पिता महिपाल सिंह को अपने परिवार और समाज से हमेशा तंज मिलता रहता। लोग कहते बिटिया को क्यों पढ़ना है, पर एक बेटी ही नहीं बाप की भी जिद थी कि बेटी के सपनों पर आंच नहीं आनी चाहिए। घर वाले भी बेटी को समजते रहे की क्या होगा अफसर बन कर पर ये बात मनो बिटिया के लिए संजीवनी का काम करती रही। IAS Vandana Singh Chauhan
जब यूपीएससी कि परीक्षा में वंदना ने खुद को झोंक लिया तो घंटो किताबों के बीच रहती यहाँ तक की उन्होंने अपनी माँ को कमरे में कूलर लगाने से भी मना कर दिया ये कहकर कि कूलर से नींद आने लगती है। शायद इन्ही खुले आँखों से सपने देखने का नतीजा था की एक दिन बैंगनी साड़ी पहन कर एक दुबली 24 साल कि लड़की यूपीएससी की बिल्डिंग में इंटरव्यू के लिए पहुंची। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा 8वां स्थान और हिंदी माध्यम से पहला स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने ना कोई कोचिंग की न उन्हें किसी ने गॉइड किया था। बस एक जिद ही थी जिसने सपने को हकीकत बना के छोड़ दिया था। और यहीं से सफर तय हुआ आईएएस वंदना सिंह चौहान का। IAS Vandana Singh Chauhan
वर्तमान में आईएएस वंदना सिंह चौहान कहाँ हैं कार्यरत | Where is IAS Vandana Singh Chauhan currently employed
आईएएस वंदना सिंह चौहान ट्रेनिंग के बाद पूर्व में पिथौरागढ़ जिले में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर भी तैनात थी । यही नहीं वो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में पिथौरागढ़ जिले की ब्रांड अम्बेसडर भी रह चुकी हैं। अब आईएएस वंदना सिंह चौहान को रुद्रप्रयाग जिले में डीएम का कार्यभार मिला है। इससे पहले रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी आईएएस मंगेश घिल्डियाल थे। वह जिले की 3 महिला डीएम के रूप में पदभार ग्रहण कर चुकी है। IAS Vandana Singh Chauhan
आईएएस मंगेश घिल्डियाल की कहानी
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