वैकुंठ श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए ठीक 3:35 पर बंद कर दिए गए। भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होते ही उत्तराखंड में स्थित चारों धाम की यात्रा भी आज संपन्न हो गई। बैकुंठ श्री बद्रीनाथ धाम जिसे मोक्ष धाम के नाम से भी जाना जाता है इस साल कोविड-19 जैसी विश्वव्यापी बीमारी के बाद भी लगभग एक लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान बद्रीविशाल के दर्शनों के लिए ग्रीष्म काल में पहुंचे। देखें वीडियो ।
गुरुवार को सुबह से ही भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू की गई। लगभग 5:45 बजे से भगवान बद्री विशाल के मंदिर परिसर में बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी ,वेद पाठी और मुख्य पुजारी रावल जी गर्भ ग्रह में मौजूद रहे। कपाट बंद होने के दिन भगवान बद्री विशाल का पुष्प से श्रृंगार किया गया। इस अनुष्ठान के दौरान कपाट बंद होने से पहले उद्धव जी और कुबेर जी की मूर्ति को गर्भ ग्रह से बाहर निकाला जाता है और उसके बाद माता लक्ष्मी को गर्भ ग्रह में भगवान नारायण के साथ विराजमान किया जाता है। जहाँ शीतकाल में भगवान नारद महालक्ष्मी और नारायण की पूजा करते हैं। देखें वीडियो । इसे भी पढ़ें – तो भविष्य में इस जगह देंगे भगवान बद्रीविशाल दर्शन।
कड़ाके की ठंड के बावजूद भी लगभग पांच हजार श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ धाम पहुंचे। इस दौरान आर्मी के बैंड पर श्रद्धालु झूमते हुए नजर आए। आर्मी के धुन में भगवान बद्रीनारायण के सुंदर भजन गाए गए जिसका तीर्थ यात्रियों ने जमकर लुफ्त उठाया। मान्यता है कि भगवान बद्री विशाल के कपाट खुलते समय और बंद होते समय आर्मी की खास बैंड धुन बजाई जाती है।
भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने के बाद ही उद्धव जी और कुबेर जी की मूर्ति योग ध्यान मंदिर पांडुकेश्वर में और शंकराचार्य जी की पावन गद्दी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में विराजमान की जाएगी। वहीं शीतकाल में भगवान बद्रीविशाल के प्रतिनिधि के रूप में इन सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना शीतकाल में की जाएगी। कपाट बंद होने के दूसरे दिन 20 नवंबर को शंकराचार्य जी की पावन गद्दी और उद्धव और कुबेर जी की मूर्ति पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी। 21 नवंबर को शंकराचार्य जी की पावन गद्दी जोशीमठ में विराजमान की जाएगी। देखें वीडियो।
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