Travel Temple

Tungnath Temple, Chopta Rudraprayag | तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग

Tungnath Temple, Chopta (तुंगनाथ मंदिर )का एक प्रमुख यात्रा केंद्र है जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत आता है।  इस पोस्ट में हम चोपता में स्तिथ भगवान शिव के तुंगनाथ धाम के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। अतः इस पोस्ट को अंत तक पढ़े। 

Advertisement


Tungnath Temple, Chopta | तुंगनाथ मंदिर

 

उत्तराखंड अपनी धर्म और आस्था के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यहाँ मौजूद मंदिरों की संख्या से जाना जा सकता है कि लोगों कि भगवान में आस्था कितनी है। और उन्हीं में सबके आराध्य हैं भगवान शिव। शिव जो कैलाश के वासी हैं। शिव जो हिमालय के इस भू-भाग के स्वामी और आराध्य हैं। बिना शिव के उत्तराखंड कि कल्पना कितनी खोखली है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ मौजूद पाँच केदारों के दर्शनों के लिए हर बार भक्तों का तातां लगा रहता है। और उन्हीं मंदिरों में मौजूद है कैलाश वासी शिव का तुंगनाथ मंदिर।



समुद्रतल से 3680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिव का सबसे ऊंचा मंदिर तुंगनाथ की शोभा देखते ही बनती है। कैलाश वासी शिव के परम धामों की प्रकृति में मौजूदगी बताती है कि शिव को प्रकृति से कितना लगाव था। वहीं इन धामों की खूबसूरती के आगे शहरी साज-सज्जा भी फिकी‌ लगती है।

तुंगनाथ मंदिर का इतिहास और मान्यताएं। History and beliefs of Tungnath temple

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मौजूद तुंगनाथ मंदिर पंचकेदार में सर्वोपरी है। यह मंदिर टोंगनाथ या टुनगनाथ पर्वत के शिखर पर है। टुनगनाथ का मतलब है पर्वतों के स्वामी और वही तुंगनाथ मंदिर की शोभा को चार गुना बढ़ा देता है। कहा जाता है कि जहाँ तुंगनाथ मंदिर विद्यमान है वहाँ सर्वारोहणी को बढ़ते हुए पांडवों ने इस जगह पर भगवान शिव की अराधना की थी। भगवान जो शिव सर्वज्ञाता थे वो जानते थे कि पांडवों की मंशा क्या थी। इसी वजह से वो भगवान शिव से बच रहे थे। वे बैल की आकृति रख के छिप गए।  केदारनाथ में भगवान शिव के बैल रूप का पिछला भाग है । द्वितीय केदार मद्महेश्वर में नाभि , तुङ्गनाथ में बाहु और मुख रुद्रनाथ में तथा कल्पेश्वर में जटा है । यही पंचकेदार कहे जाते हैं ।

रुद्रप्रयाग जिसे पांडवों की भूमि से भी जाना जाता है। वो अलकनंदा के किनारे चलते-चलते स्वर्गारोहण की तरफ बड़ रहे थे। किवदंतियों के अनुसार जब वो अपनी यात्रा पर थे तो उन्होंने अपने हथियार यहाँ के वासियों को भेंट किये। तबसे उत्तराखंड में पांडव नृत्य का चलन शुरु हुआ।




शंकराचार्य जब हिमालय के इस भू-भाग की यात्रा पर निकले तो इस स्थान पर तुंगनाथ मंदिर की नींव उन्होंने रखी। तुंगनाथ मंदिर का वास्तुशिल्प भारत के उत्तरी भाग और केदारनाथ से मिलता जुलता है। अन्य मंदिरों जहाँ पुजारी दक्षिण भारत से हैं इसके विपरीत इस मंदिर में मक्कूमठ के स्थानिय पुजारी तुंगनाथ मंदिर की पूजा अर्चना करते हैं।

तुंगनाथ मंदिर से लगभग 2 किमी की चढ़ाई पर चंद्रशिला पर्वत शिखर मौजूद है। मान्यत‍ा है कि चंद्रशिला पर भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की अराधना की। चंद्रशिला के शिखर पर पत्थरों की शिलाएं हैं जिन्हें मनुष्यों द्धारा बनाया गया है। वहीं इसके पास एक छोटा मंदिर है।

तुंगनाथ मंदिर में दर्शनीय स्थल | Places to visit in Tungnath Temple Chopta

तुंगनाथ मंदिर की विशेषता इसकी वास्तुकला है जो मद्महेश्वर व केदारनाथ मंदिरों से मिलती जुलती है। यह मंदिर 1000 वर्षों से भी पुराना माना जाता है। इस मंदिर के द्धार पर नंदी की मूर्ति है तथा मंदिर से थोड़ा नजदीक है पानी का प्राकृतिक स्त्रोत भी है। अलकनंदा और मंदाकिनी के घाटियों के शिखर पर मौजूद तुंगनाथ से हिमालय शिखर की खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है यहाँ मौजूद पांडवों के छोटे-छोटे मंदिर हैं। जिनका संबंध महाभारत काल व स्वर्गारोहण से लगाया जाता है। इसके अलावा मंदिर के आसपास छोटे-छोट मंदिर हैं। इस मंदिर का पवित्रभाग एक काली शिला है। जो स्वंयमंडल व स्वंय विद्यमान मानी जाती है। वहीं इस मंदिर के शिखर पर मौजूद चंद्रशिला से घाटियों का नजारा देखते ही बनता है। देखें वीडियो।



तुंगनाथ मंदिर की यात्रा क्यों करें? | Why travel to Tungnath Temple?

तुंगनाथ मंदिर का महत्व शिव के अन्य मंदिरों की तरह ही सर्वोपरि है। यहाँ ना सिर्फ आप धर्म व अध्यात्म से जुड़ सकेंगे बल्कि प्रकृति के विभिन्न खूबसूरत रंगों से भी रुबरु होंगे। तुंगनाथ मंदिर ट्रेक पर साल भर शैलानी दूर-दूर से चहलकदमी करते हैं। वहीं तुंगनाथ के आस-पास खूबसूरत जगहों से भी लोग इस और खिंचे चले आते हैं। मंदिर के कपाट खुलने पर पंचकेदार ट्रेक करने वाले यात्री तुंगनाथ से लेकर पंचकेदारों की यात्रा पैदल पूरी करने का भी हौसला रखते हैं।

तुंगनाथ ट्रेक पर आप छोटे-छोटे बुग्याल भी देखने को मिलेंगे। वहीं तुंगनाथ का यह क्षेत्र केदार वैली / केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य के अंतर्गत आता है अतः दुर्लभ प्राकृतिक संपदा व जानवरों को भी देखने को मिलेगा। चोपता जहाँ तुंगनाथ मंदिर स्थित है सर्दियों में यात्रियों का प्रमुख यात्रा केंद्र बन गया है।



तुंगनाथ कैसे पहुंचे? | How to reach Tungnath

 

  • गढ़वाल से –
    देहरादून / ऋषिकेश / हरिद्धार – रुद्रप्रयाग
    रुद्रप्रयाग – चोपता
  • कुमाऊँ से –
    काठगोदाम – चमोली
    चमोली – चोपता

तुंगनाथ आने के लिए आप रेल मार्ग द्धारा ऋषिकेश, हरिद्धार, देहरादून पहुँच सकते हैं। जहाँ से रुद्रप्रयाग आने के लिए सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। रुद्रप्रयाग से ऊखीमठ होते‌ हुए आप चोपता पहुंच सकते हैं। जहाँ से तुंगनाथ मंदिर सड़क से 3.5 किमी की दूरी पर स्थित है।  इसके अलावा आप काठगोदमा / हल्द्वानी होते हुए चमोली आ सकते हैं जहाँ से गोपेश्वर होते हुए सारी गांव व सारी गांव से चोपता पहुंचा जा सकता है। देखें वीडियो।

इसे भी पढ़े –


तो ये थी तुंगनाथ मंदिर चोपता (Tungnath Temple Chopta) से जोड़ी जरूरी जानकारियाँ, अगर आपको तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple Chopta) से जोड़ी जानकारियां अच्छी लगी हों तो इस पोस्ट को शेयर कीजिये साथ ही हमारे  यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

About the author

Deepak Bisht

नमस्कार दोस्तों | मेरा नाम दीपक बिष्ट है। मैं इस वेबसाइट का owner एवं founder हूँ। मेरी बड़ी और छोटी कहानियाँ Amozone पर उपलब्ध है। आप उन्हें पढ़ सकते हैं। WeGarhwali के इस वेबसाइट के माध्यम से हमारी कोशिश है कि हम आपको उत्तराखंड से जुडी हर छोटी बड़ी जानकारी से रूबरू कराएं। हमारी इस कोशिश में आप भी भागीदार बनिए और हमारी पोस्टों को अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर कीजिये। इसके अलावा यदि आप भी उत्तराखंड से जुडी कोई जानकारी युक्त लेख लिखकर हमारे माध्यम से साझा करना चाहते हैं तो आप हमारी ईमेल आईडी wegarhwal@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमें बेहद खुशी होगी। जय भारत, जय उत्तराखंड।

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page