नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा, गुरु नानक देव जी की तपोस्थली? जानें धार्मिक नगरी का इतिहास

दीपक बिष्ट

उत्तराखंड विभिन्न धर्मों  के गुरुओं की तपोस्थली रही है। जिनमें न सिर्फ सनातन धर्म के गुरुओं का जिक्र है बल्कि सिक्ख धर्म के 2 महान गुरुओं ने भी यहां तप कर ज्ञान अर्जित किया।

जिनमें  शामिल हैं सिक्खों के पहले गुरु, गुरु नानक देव तथा सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह।   इन दोनों ही तीर्थ स्थलों पर हर साल सिक्ख धर्म के अनुयायियों की भीड़ लगी रहती है।

उतराखंड राज्य के उधमसिंह नगर जिले (रूद्रपुर) के नानकमत्ता नामक नगर सिक्खों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी की तपोस्थली है।

यह पवित्र स्थान सितारगंज — खटीमा मार्ग पर क्रमशः सितारगंज से 13 किमी और खटीमा से 15 किमी की दूरी पर स्थित है।

माना जाता है कि सिक्खों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी यहां पर रुके थे और सिक्खों के छठवें गुरु श्री हरगोविंद जी भी इस स्थल पर आए थे, इसी कारण से सिक्खों के लिए इस जगह का महत्व कई ज्यादा है।

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे की बात करें तो इसके पास ही एक झील है, जिसे नानक सागर के नाम से पुकारा जाता है. यहां आप बोटिंग भी कर सकते हैं.

अगर इतिहास में जाएं तो 1508 ई. से पहले उत्तर भारत के इस क्षेत्र को गोरखमत्ता नाम से जाना जाता था। यहां पर गोरखनाथ के भक्त रहा करते थे. साथ ही उस समय तक ये सिद्धों का भी निवास स्थान था और इसे सिद्धमत्ता भी कहते थे.

वहीं पवित्र ग्रंथ गुरुवाणी में भी इस यात्रा का वर्णन गुरु नानक देव जी की तीसरी यात्रा के रूप में किया गया है।

आपको बता दें कि जब गुरु नानक देव जी सन 1515 में करतारपुर से कैलाश पर्वत की ओर यात्रा के लिए निकले तब वो अपने शिष्य भाई मरदाना जी और बाला जी के साथ यहां पर आए थे।

दरअसल यही वो स्थान है जहां पर श्री गुरु नानक देव जी ने सभी अहंकारी साधुओं का अहंकार नष्ट कर उन्हें ज्ञान और गुरु वाणी का निर्मल संदेश दिया था।

उनके निर्मल वचन सुन सिद्धों का अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो गया. गुरु की वाणी में उन्हें एक ज्ञान रूपी प्रकाश की अनुभूति हुई और वे उनके आगे नतमस्तक हो गए.

नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब में एक पीपल के पेड़ है जिसे पंजा साहिब के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस पेड़ पर नानक देव जी ने अपना पंजा रखा था।

गुरुद्वारे में एक सरोवर है. इस सरोवर में स्नान करने के पश्चात हरमिंदर साहिब दरबार में मत्था टेक लोग अपनी अरदास करते हैं.

वही नानकमत्ता मैं पर्यटकों के लिए कुछ आकर्षण केंद्र भी है जिनका नाम है दूध वाला कुआँ, पीपल का वृक्ष और नानक सागर. नानकमत्ता में स्थित इन जगहों का अपना एक अनूठी कहानियाँ हैं।

वही नानकमत्ता मैं पर्यटकों के लिए कुछ आकर्षण केंद्र भी है जिनका नाम है दूध वाला कुआँ, पीपल का वृक्ष और नानक सागर. नानकमत्ता में स्थित इन जगहों का अपना एक अनूठी कहानियाँ हैं।