केदारनाथ मंदिर का इतिहास और पुराणों में वर्णन

केदारनाथ मंदिर का इतिहास और पुराणों में वर्णन

दीपक बिष्ट

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्तिथ केदारनाथ मंदिर का इतिहास बताता है कि श्री केदारनाथ का मन्दिर पांडवों का बनाया हुआ प्राचीन मन्दिर है ।

जो द्वादश ज्योतिलिंगों में एक है । समस्त धार्मिक लोग सर्वप्रथम केदारेश्वर ज्योतिलिंग के दर्शन करने के पश्चात् ही बद्रीनाथ के दर्शन करने जाते हैं ।

केदारनाथ मन्दिर के बाहरी प्रासाद में पार्वती , पांडव , लक्ष्मी आदि की मूर्तियाँ हैं । मन्दिर के समीप हँसकुण्ड है जहां पितरों की मुक्ति हेतु श्राद्ध - तर्पण आदि किया जाता है ।

मंदिर के पीछे अमृत कुण्ड है तथा कुछ दूर रेतस कुण्ड है । पुरी के दक्षिणभाग में छोटी पहाड़ो पर मुकुण्डा भैरव हैं जहां से हिमालय का मनोहर दृश्य अत्यन्त नजदीक दिखाई पड़ता है ।

पास ही में बर्फानी जल की झील है , वहीं से मंदाकिनी नदी का उद्गम होता है ।

प्राचीन पुराणों में क्या लिखा है ? | आइये बताते हैं -

 ( शान्ति पर्व ३५ वा अध्याय ) में लिखा है  महाप्रस्थान यात्रा अर्थात् केदारा चल पर गमन करके प्राण त्याग करने से मनुष्य शिवलोक को प्राप्त करता है ।

ब्रह्म वैवर्त पुराण- ( कृष्ण जन्म खण्ड १७ वा अध्याय ) केदार नामक राजा सतयुग में सप्तद्वीप का राज्य करता था , वह वुद्ध होने पर अपने पुत्र को राज्य दे वन में जा तप करने लगा , जहाँ उसने तप किया वह स्थान केदार खण्ड प्रसिद्ध हुआ । राजा केदार की पुत्री वृन्दा ने जो कमला का अवतार थी अपना विवह नहीं किया , घर छोड़ कर तप करने लगी , उसने जहाँ तप किया वह स्थान वृन्दावन के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।

स्कन्द पुराण- ( केदार खण्ड प्रथम भाग ४० वाँ अध्याय ) युधिष्ठिर आदि पांडव गण ने गोत्र हत्या तथा गुरु हत्या के पाप से छूटने का उपाय श्री व्यास जी से पूछा । व्यास जी कहने लगे कि शास्त्र में इन पापों का प्रायश्चित नहीं है , बिना केदार खण्ड के जाए यह पाप नहीं छूट सकते , तुम लोग वहाँ जाओ । निवास करने से सव पाप नष्ट हो जाते हैं , तथा वहाँ मृत्यु होने से मनुष्य शिव रूप हो जाता है , यही महापथ है ।

 ( बन - पर्व ३८ वाँ अध्याय ) -केदार कुण्ड में स्नान करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं , कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव के दर्शन करने से स्वर्ग मिलता है

लिंग पुराण-  ( १२ वाँ अध्याय ) जो मनुष्य सन्यास लेकर केदार में निवास करता है वह शिव के समान हो जाता है ।

 वामन पुराण- ( ३६ वां अध्याय ) केदार क्षेत्र में निवास करने से तथा डीडी नामक रुद्र का पूजन करने से मनुष्य अनायास हो स्वर्ग को जाता है ।

 पद्म पुराण- ( पा ० खं ६१ वाँ अध्याय ) कुम्भ राशि के सूर्य तथा वृहस्पति हो जाने पर केदार का दर्शन तथा स्पर्श मोक्षदायक होता है ।

कूर्म पुराण- ( ३६ वां अध्याय ) हिमालय तीर्थ में स्नान करने से , केदार के दर्शन करने से रुद्र लोक मिलता है ।

गरुड़ पुराण- ( ८१ वाँ अध्याय ) केदार तीर्थ सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है ।

सौर पुराण- ( ६ ९वां अध्याय ) केदार शंकर जी का महा तीर्थ है जो मनुष्य यहाँ स्नान करके शिवजी का दर्शन करता है , वह गणों का राजा होता है ।

शिव पुराण- ( ज्ञान संहिता ३८ वाँ अध्याय ) शिवजी के १२ ज्योतिलिंग विराजमान हैं , उनमें से केदारेश्वर लिंग हिमालय पर्वत पर स्थिति है । इसके दर्शन करने से महापापी भी पापों से छूट जाते हैं , जिसने केदारेश्वर लिंग के दर्शन नहीं किए उसका जन्म निरर्थक है ।

शिव पुराण- ( ज्ञान संहिता ३८ वाँ अध्याय ) शिवजी के १२ ज्योतिलिंग विराजमान हैं , उनमें से केदारेश्वर लिंग हिमालय पर्वत पर स्थिति है । इसके दर्शन करने से महापापी भी पापों से छूट जाते हैं , जिसने केदारेश्वर लिंग के दर्शन नहीं किए उसका जन्म निरर्थक है ।