दीपक बिष्ट
आज हम आपको एक ऐसे IAS अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं जब उनका तबादला बागेश्वर जिले से रूद्रप्रयाग जिले में किया जा रहा था (सन् 2017 में) तो उनके तबादले को रोकने के लिए पूरे बागेश्वर जिले की जनता सड़क पर उतर आई थी।
ठीक वैसे ही सन् 2020 यहीं हाल रुद्रप्रयाग की जनता का हुआ। जब डीएम मंगेश घिल्डियाल जैसा व्यक्ति का तबादला टिहरी जिले में हो गया।
तो ज़ाहिर है कि जनता का यूं सड़को पर उतर आना स्वाभाविक है। क्योंकि कोई नही चाहेगा कि डीएम मंगेश घिल्डियाल जैसा व्यक्तित्व रखने वाले युवा उनको छोड़ कर कहीं ओर चले जाएं।
तो आइये हम आपको यहाँ मंगेश घिल्डियाल से रूबरू कराते है और बताते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें...
मंगेश घिल्डियाल 2011 बैच के IAS अफसर है जिन्होंने पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की थी।
उनका जन्म पौड़ी जिले के डांडयू गांव में हुआ था। उनके पिताजी प्राइमरी स्कूल में टीचर है और उनकी माता गृहणी।
गेश घिल्डियाल की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय डांडयू गांव से ही हुई। इसके बाद उन्होंने गांव से पांच किमी दूर राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय पटोटिया से हाई स्कूल की, 12वीं राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर से की और बीएससी के बाद एमएससी फिजिक्स डीएसबी कैंपस नैनीताल से किया।
सके बाद उन्होंने गेट का एग्जाम दिया। इसमें सेलेक्शन होने के कारण इंदौर से एमटेक किया।
लेजर साइंस से एमटेक किया तो उन्हें 2006 में लेजर टेक्निक पर रिसर्च के लिए उनकी पहली पोस्टिंग देहरादून में आईआईआरडी लेबोरेट्री में हो गयी ।
मंगेश की पहले से ही इच्छा थी कि सिविल सर्विसेस में जाना है तो जब उनकी जॉब लग ही गई थी तो उन्हें एहसास हुआ कि अब तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
उस समय देहरादून का माहौल थोड़ा ठीक नही था। ना ही वहाँ उस समय कोई संस्थान UPSC की तैयारी कराता था तो मंगेश ने मन बना लिया कि वह खुद बुक स्टडी करके एग्जाम देंगे और फिर पहली बार में 131वीं रैंक के साथ IPS में सेलेक्शन हुआ।
लेक्शन होने के बाद वो हैदराबाद चले गए फिर भी वे सिविल परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे और 2011 में उन्होंने दोबारा सिविल सेवा एग्जाम दिया और चौथा स्थान प्राप्त किया।
उस समय उनको भारतीय विदेश सेवा यानी *इंडियन फॉरेन सर्विसेज़* में जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने उत्तराखंड को चुना और आईएएस की नौकरी करने का फैसला लिया।
बागेश्वर के डीएम रहते हुए भी मंगेश घिल्डियाल ने वहाँ के युवाओं को निशुल्क सिविल सर्विस की तैयारी करानी शुरू कर दी थी और वो अपने ऑफिस के समय से थोडा समय निकालकर खुद युवाओं को कोचिंग देने जाते थे।
मंगेश घिल्डियाल की पत्नी ऊषा घिल्डियाल जो कि पहले गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय पन्तनगर में सीनियर वैज्ञानिक थी।
सरकारी विभागों में कमीशनखोरी से बहुत ही आहत हैं। उनका कहना है कि जिन अधिकारियों का खर्चा सरकार द्वारा दी गई सेलरी में नहीं चल रहा है, तो वह हमको बता दे तो हम उसकी एप्लीकेशन को शासन को प्रेषित करेंगे और कहेंगे कि इनको रिटारयमेंट दे दिया जाए।