दीपक बिष्ट
उत्तराखंड राज्य के प्रसिद्ध हिलस्टेशन के रूप में पिथौरागढ़ का भी अपना एक मुख्य स्थान है। यही कारण है इसे "मिनी कश्मीर" भी कहा जाता है।
पिथौरागढ़ का पुराना नाम "सोरघाट" था। "सोर" शब्द का अर्थ है "सरोवर" और कुछ लोगों का कहना है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे जो कि सरोवर के पानी सूख जाने से इस स्थान में पठारी भूमि का जन्म हुआ।
इस जिले के उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में अल्मोड़ा, एवं उत्तर-पश्चिम में चमोली ज़िले पड़ते है।
यहाँ दूर-दूर से पर्यटक रिवर राफ्टिंग, हैंड ग्लाइडिंग व स्केटिंग करने आते है।
कहा जाता है कि पिथौरागढ़ जिला नेपाल के राजा "पाल" के अधीन था। जो कि 13वीं सदी में पिथौरागढ़ पहुंचे और उसके बाद पिथौरागढ़ में शासन करना शुरू कर दिया और साथ ही दूसरी तरफ स्थानीय राजा *चंद* ने उनके खिलाफ विद्रोह किया।
अंततः "चंद" वंश के राजा "पिथोरा चंद" ने नेपाली राजा "पाल" को हरा दिया और पिथौरागढ़ के राजा बन गए। इसलिए इस जगह का नाम पिथौरागढ़ के राजा के नाम पर रखा गया।
पिथौरागढ़ के इतिहास में पृथ्वी राज चौहान का नाम भी आता है इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने जब अपने राज्य का विस्तार किया तो उन्होंने इस इलाके को अपने राज्य में मिला लिया और इस क्षेत्र को *राय पिथौरा* नाम दिया।
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि पिथौरागढ़ का संबंध पांडवों से भी है क्योंकि पिथौरागढ़ में स्थित नकुलेश्वर मंदिर पांडु पुत्र नकुल को समर्पित है। कहते है पांडव इस इलाके में अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान आए थे।
पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल :- डीडीहाट, जौलजीवी, मुनस्यारी, छोटा कैलाश, नारायण स्वामी आश्रम, पाताल भुवनेश्वर, गंगोलीहाट।
पिथौरागढ़ के पर्वत :- ओमपर्वत, पंचाचूली, नन्दकोट, ब्रह्मापर्वत, बामाधुर्रा, बुर्पूधुरा।
पिथौरागढ़ पहुँचने के लिए दो मार्ग है। एक मार्ग टनकपुर से और दूसरा काठगोदाम-हल्द्वानी से है।
पिथौरागढ़ पहुँचने के लिए दो रेलवे मार्ग है। एक मार्ग टनकपुर से और दूसरा काठगोदाम-हल्द्वानी से है। काठगोदाम का रेलवे स्टेशन पिथौरागढ़ से 212 किलोमीटर दूरी पर है।