उत्तराखंड में वन्य जीव विहार /अभ्यारण्य (Wildlife Sanctuary in Uttarakhand) पर नजर डाले तो उत्तराखंड में आपको सात ऐसे खूबसूरत वन्य जीव विहार मिलेंगे जहाँ आप न सिर्फ घूम सकते हैं। बल्कि वहां मौजूद विभन्न प्रकार के संरक्छित जीवो को भी देख सकते हैं। ये वन्य जीव विहार उत्तराखंड में विलुप्ति के लगर पर पहुंच चुके जानवरो को संरक्षण देने के लिए है साथ ही साथ ही उन जानवरों के अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतन्त्र रूप से विचरने के लिए बनाये गए हैं। उत्तराखंड के वन्य जीव विहार की संख्या आठ है।
जिसमे गोविन्द वन्य जीव विहार, केदारनाथ वन्य जीव विहार, अस्कोट वन्य जीव विहार, सोना नदी वन्य जीव विहार, बिनसर वन्य जीव विहार, मसूरी वन्य जीव विहार और नंधौर वन्य जीव विहार प्रमुख है। हालाँकि इसके अलावा झिलमिल वन्य जीव विहार भी है जो हरिद्वार में स्तिथ है। पर हम यहाँ के केवल सात मुख्य वन्य विहारों के बारे में बात करंगे।
राष्ट्रीय उद्यान और जीव विहार या अभ्यारण्य के बीच अंतर | Difference between a national park and wild life sanctuary
इससे पहले की आप उत्तराखंड में वन्य जीव विहार /अभ्यारण्यों के बारे में जानकारी ले। पहले राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के बीच के अंतर को समझिये। राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव विहार दोनों ही सरकार द्वारा वन्य आरक्षित क्षेत्र होते हैं मगर राष्ट्रिय उद्यानों में लोगों के वन्य जीवो और वहां होने वाली प्राकृतिक संपदा पर मनुष्यों का हस्तक्षेप पर रोक होती है। जबकि वन्य जीव अभ्यारण्यों में सरकार के नियमों द्वारा उस आरक्षित क्षेत्र को लोगों के विहार और सैर सपाटे के लिए खोला जाता है। परन्तु दोनों ही क्षेत्र में वन्य जीवों के शिकार पर रोक होती है।
उत्तराखण्ड में वन्य जीव विहार ( अभ्यारण्य ) | Wildlife Sanctuary in Uttarakhand
1- गोविंद वन्य जीव विहार (Govind Wildlife Sanctuary) – गोविंद वन्य जीव विहार सन 1955 में स्थापित और 485 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला गोविंद वन्य जीव विहार जनपद उत्तरकाशी में स्थित है । यह मुख्य रूप से स्नो लेपर्ड, कस्तूरी मृग, हिमालयन थार,भरल बिल्ली काला और भूरा भालू सांभर सेही जानवर और मोनाल चकोर गोल्डन ईगल आधी पक्षी पाए जाते हैं ।
2- केदारनाथ वन्य जीव विहार (Kedarnath Wildlife Sanctuary) – केदारनाथ वन्य जीव विहार सन 1972 में स्थापित और 957 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला केदारनाथ वन्य जीव विहार जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के केदारखंड क्षेत्र में स्थित है । यह मुख्यता स्नो लेपर्ड तेंदुआ, हिमालयन काला भूरा भालू , कस्तूरी मृग , सांभर, काकड जंगली सुअर आदि जंतु पाए जाते हैं।
3- अस्कोट वन्य जीव विहार (Ascot Wildlife Sanctuary) – अस्कोट वन्य जीव विहार सन 1986 में स्थापित और 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला अस्कोट कस्तूरी मृग विहार जनपद पिथौरागढ़ में स्थित है । यहां पाए जाने वाले प्रमुख वन्य जीवों में हिमालयन बाघ, बर्फ का रीच या भालू, भरल , थार, कस्तूरी मृग आदि और पक्षियों में को क्लास रिजल्ट मोनाल पहाड़ी तीतर आदि हैं ।यहाँ सर्वाधिक कस्तूरी मृग 67 मिलते हैं ।
4 – सोना नदी वन्य जीव विहार (Sona River Wildlife Sanctuary) – सोना नदी वन्य जीव विहार सन 1987 में स्थापित और 301 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला सोना नदी वन्य जीव विहार जनपद पौड़ी गढ़वाल में स्थित है । यहां के वन्यजीव में हाथी शेर गुलदार , चीतल , सांभर, काकड़ , सियार, जंगली सूअर, मगर , घड़ियाल , अजगर आदि और पक्षियों में हार्नबिल, प्लास फिशिंग, ईगलीस , हिमालयन पाइड, किंगफिशर आदि मुख्य है ।
5- बिनसर वन्य जीव विहार (Binsar Wildlife Sanctuary) – बिनसर वन्य जीव विहार सन 1988 में स्थापित और 47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला बिनसर वन्य जीव विहार जनपद अल्मोड़ा में स्थित है । जहां पाए जाने वाले प्रमुख वन्य जीव तेंदुआ , काला भालू , जंगली बिल्ली ,जंगली सुअर आते हैं प्रमुख पक्षी मोनाल, हिमालयन स्नो काँक, गोल्डन ईगल आदि हैं ।
उत्तराखंड में मौजूद प्रसिद्ध ग्लेशियर
6 – मसूरी वन्य जीव विहार / विनोग वन्य जीव विहार (Mussoorie Wildlife Sanctuary / Vinog Wildlife Sanctuary) – मसूरी वन्य जीव विहार / विनोग वन्य जीव विहार सन 1993 में स्थापित और 11 वर्ग किलो-मीटर क्षेत्रफल में फैला विनोद माउंटेन क्वेल वन्य जीव विहार जनपद देहरादून में स्थित है । यहां पाए जाने वाले प्रमुख वन्य जीव घुरल, लंगूर , बंदर से ही सोमवार ,भालू , गुलदार आती है। पक्षियों में तीतर, बटेर, चकोर , जंगली मुर्गा आदि है । विलुप्त घोषित माउंटेन क्वेल को अंतिम बार ही देखा गया था ।
7- नंधौर वन्य जीव विहार (Nandhaur Wildlife Sanctuary) – वन्यजीवों व वनस्पतियों के संरक्षण हेतु दिसंबर 2012 में नैनीताल में नंदा और नदी के आस-पास उधम सिंह नगर के बॉर्डर पर इस वन्य जीव विहार का गठन किया गया । इसका क्षेत्रफल 270 वर्ग किलोमीटर है । इसमें बाघ, लंगूर, भालू आदि जंतु पाए जाते हैं ।
नोट : उत्तराखंड के चमोली में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान में स्तिथ फूलों की घाटी को को यूनेस्को ने 1988 में अंतराष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है।
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Hm v rudraprayag se h .. hme kux jdi buti ke bare me kux bate pta h
दिव्या जी आपके कमेंट के लिए बहुत शुक्रिया आप अगर जड़ीबूटी के जानकारी के विषय में हमें लेख भेजना चाहते हैं तो आप हमे मेल कर सकते हैं।