उत्तराखंड के पहाड़ों में बर्फ पिघलते ही ऊँची नीची ढ़लाने सुन्दर लाल रंग के फूलों से पट्ट जाती हैं। उत्तराखंड में इन लाल फूलों को बुरांश (Buransh )के नाम से जाना जाता है। यह बुरांश के पेड़ों को उत्तराखंड का राज्य वृक्ष भी घोषित किया गया है। आइए इस पोस्ट में बुरांस के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते हैं।
बुरांश | Buransh
उत्तराखंड सरकार ने सदाबहार वृक्ष बुरॉस को राज्य वृक्ष घोषित किया है। बुरॉस का वानस्पतिक नाम रोडोडेन्ड्रान अरबोरियम (Rhododendrons Arboriam) है। नेपाल में इसे लाली गुराँस और गुराँस के नाम से जाना जाता है। बुरॉस के वृक्ष 1500 से 4000 मी. की ऊँचाई तक मिलते हैं | बुरॉस के फूलों का रंग चटख लाल होता है। इससे ऊपर बढ़ने पर फूलों का रंग क्रमशः गहरा लाल और हल्का लाल मिलता है। 11 हजार फुट की ऊँचाई पर सफेद रंग के बुराँस भी पाए जाते हैं। बुराँस एक पर्वतीय वृक्ष है, जिसे मैदान में नहीं उगाया जा सकता है।
भारत के अलावा यह नेपाल, तिब्बत, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार, पकिस्तान, अफगानिस्तान, थाईलैंड और यूरोप में भी पाया जाता है। यह एरिकेसिई परिवार (Ericaceae) की 300 प्रजातियों में से है। यह फूल एरिकेसिई परिवार की प्रजातियाँ उत्तरी गोलार्ध की सभी ठंडी जगहों में पाया जाता है। यह नेपाल का राष्ट्रीय फूल है।
बता दें, भारत के उत्तराखण्ड, हिमाचल और नागालैंड राज्यों में इसे राज्य पुष्प का दर्जा दिया गया है। राज्य में बुराँस के पेड़ की कटाई काफी ज्यादा हो रही थी। अवैध कटान के कारण वन अधिनियम 1974 में इसे संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है।
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औषधि के रूप में होता बुरांश का इस्तेमाल
बुरांश को आयुर्वेद में औषधीय के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस पूरे पेड़ को औषधि के रूप में लिया जाता है। इसकी पत्तियां और फूल दवाएं बनाने के काम आता है। अपको बता दें, बुरांश की चटनी और जूस भी बनता है। यह पहाड़ी इलाकों में काफी पसंद किया जाता हैं। उत्तराखंड के लोगों को यह इतना पसंद है कि पहाड़ों में कई लोग इसके रस का छोटा-बड़ा कारोबार भी करते हैं।
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बुरांश जूस सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। यह जूस दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसका जूस खून की कमी को दूर करता है। साथ के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। यह उच्च रक्तचाप यानी कि हाई ब्लड प्रेशर में काफी लाभदायक होता है। लीवर संबंधी बीमारियों को दूर करता है। बता दें, बुरांस एंटी ऑक्सीडेंट की पूर्ति भी करता है। बुरांश का जूस आज पूरे भारत के बाजार में प्रसिद्ध है।
इसका फूल स्वाद में खट्टा-मीठा होता है। इसके फूलों से जूस और जेली भी बनती हैं। आप अगर इसका सेवन दिन में एक बार कर लेने से जिसे भूख नहीं लगती उसे भी भूख लगना शुरू हो जाएगी। इसकी पत्तिया सब्जी की तरह काम आती हैं।
बुरांश की लकड़ियों से बनते हैं ख़ास फर्नीचर
बुरांश के पेड़ को जमीन में पेयजल रोककर रखने वाले पेड़ों में गिना जाता है। इसके पत्ते मोटे होते हैं, जिससे खाद बनाई जाती है। बुरांश की लकड़ी से कुछ ख़ास तरह के फर्नीचर और कृषि उपकरणों के हत्थे बनाये जाते हैं। जब पेड़ सूख जाता हैं, तब इसकी लकड़ी जलावन का काम भी करती है।
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