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केदारकांठा | Kedarkantha Trek
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर गोविंद वन्य जीव अभ्यारणय में एक चोटी है जो केदारकांठा के नाम से प्रसिद्ध है। इसी केदाकांठा (Kedarkantha) तक की यात्रा को हर साल पर्यटक ट्रेक करने निकल पड़ते हैं। केदारकांठा के सुरम्य सुन्दर मनमोहक खूबसूरती में आना बेहद आसान है। तभी हर साल केदार कांठा ट्रेक करने वाले यात्रियों की संख्या में दुगना इजाफा हो रहा है। ये शिव के इन बीहड़ों में रहने का एक अच्छा उदाहरण है।
सर्दियों में केदारकांठा की चोटियां बर्फ से ढक जाती है। जिसकी धरातल पर चमचमाती बर्फ का नजारा देखते ही बनता है। इसके खूबसूरत बर्फीले पहाड़ लगाया गया कैंप एक अलग ही सुकून का अनुभव कराता है। इस ट्रेक पर ना सिर्फ सिंदर पर्वत हैं बल्कि इसकी रास्ते से गुजरने पर आप प्रकृति के अनोखे एहसास को करीब से समेट कर ले जाते हैं। अगर उत्तराखण्ड नें चोपता मिनी स्विट्जरलैंड है तो उत्तरकाशी जिले में स्थित दयारा बुग्याल और केदारकांठा उत्तराखण्ड के मिनी स्वीजरलैंड है।
केदारकांठा से जुड़ी पौराणिक कथा
उत्तराखण्ड के किसी भी पर्यटन स्थल से कोई ना कोई पौराणिक महत्व तो जुड़ा रहता है। वैसे ही केदारकांठा के विषय में कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव पांडवों की यात्रा के दौरान महीष अवतार में भटक रहे थे। मगर जब यहाँ के निवासियों ने शिव की शाँति भंग की तो वे इस स्थान को छोड़कर केदारनाथ चले गए। जहाँ पांडवों से बचने के कारण वे अंतर्ध्यान हो गए और पंच केदारों के रुप में उनके शरीर के अंश उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानों में प्रकट हुए जिन्हें पंच केदार के नाम से हम जाते हैं।
केदारकांठा ट्रेक | Kedarkantha Trek
केदारकांठा पर्वत शिव को समर्पित है। इससे पहले हमने आपको शिव के केदारताल और केदारनाथ से परिचय कराया था। जिनकी खूबसूरती को देखकर लोग खुद को रोक नहीं पाते। वहीं भगवान शिव के इन विरान पहाड़ों और तालों के पास विचरने का भी आपको प्रमाण मिल जाता है। शायद शिव भी हिमालय के इन खूबसूरत पहाड़ों को देखकर यहीं के हो गए होंगे। तभी तो शिव का अंश सब कणों में है मगर रहता हिमालय के इन खूबसूरत शिखरों में है।
खैर केदार कांठा पर्वतीय प्रेमियों और रोमांचकारी पर्यटकों के लिए एक अच्छी जगह है। यहाँ जुदा-का-तालाब के किनारे रात्रि कैंप का मजा ही कुछ और है। केदारकांठा ट्रेक आपका ना सिर्फ प्रकृति से जुड़ाव महसूस करायेगा बल्कि यहाँ के खूबसूरत नजारे आपके वजूद के एक हिस्से को यहीं कैद कर लेंगे। सर्दियों में तो केदारकांठा की खूबसूरती पर चार चाँद लग जाते हैं। आप अगर मध्य हिमालय के इस क्षेत्रों में आएंगे तो महसूस करेंगे कि जंगल हरे नहीं नीले भी होते हैं। ये एहसास बस एक अच्छा ट्रेकर ही करीब से महसूस करता है।
आना है, तो सर्दियों में आओ केदारकांठा ट्रेक पर!
यूं तो आप केदारकांठा गर्मियों या सर्दियों दोनों मौसमों में घूम सकते हो। मगर जो नजारे सर्दियों में दिखते हैं वो गर्मियों में कहाँ। चारों तरफ सफेद बर्फ से ढकी चोटियाँ और उनके सूनहरे रंग में रंगती उजली सुनहरी धूप, क्या कहने। कुछ देर आप खुद को कहीं खोया हुआ तो जरुर पाओगे।
वहीं सर्दियों के माह में यानि पतझड़ के मौसम में पेड़ की शाखाओं से जमीन पर गिरी पत्तियों पर आपके कदम पड़ते हैं तो आप ना सिर्फ उन आवाजों को महसूस कर सकते हो बल्कि अपने वजूद से भी रुबरु होते हो। वहीं खुद को कुछ देर इन नजारों में भूल जाने के बाद जब आप वापस लौटते हो तो महसूस करोगे आप वो पहला वाला इंसान नहीं जो केदारकांठा ट्रेक पर निकला था। बल्कि वो इंसान हो जिसने कभी बहुत सपने देखे थे और जिनको पूरा कर फिर वापस इन वादियों में लौटना है।
केदारकांठा कैसे आएँ | How To Reach Kedarkantha
• देहरादून – संकरी (186.6k)
• संकरी – हारगांव (6 km)
• संकरी – जुदा-का-तालाब (4 km)
• जुदा-का-तालाब/हरगांव – केदारकांठा बेस कैंप (6 km)
• केदारकांठा कैंप – केदार कांठा चोटी (3 km)
केदारकांठा आना है तो आपको देहरादून ऋषिकेश या हरिद्वार से सांकरी पहुंचना होगा। सांकरी ही केदारकांठा ट्रेक का बेस कैंप है और गाड़ी तक आने की सुविधा भी बस यहीं तक मिलेगी। देहरादून से सांकरी 186.6 किलोमीटर है ।
केदारकांठा से केदारकांठा चोटी तक की कुल दूरी वैसे तो 11 किमी है मगर केदारकांठा चोटी तक पहुंचने के दो रास्तों के कारण दूसरे मार्ग की दूरी संकरी से 15 किमी है। इसके लिए इस ट्रेक पर तीन कैंप हैं।
पहला संकरी से हरगांव तक, दूसरा हरगांव से जुदा-का-तालाब और तीसरा केदारकांठा बेस कैंप। केदारकांठा बैस कैंप से केदारकांठा चोटी तक की दूरी महज 3 किमी है। जहाँ पहुंचने के बाद आप केदारकांठा ट्रेक का भरपूर आनंद ले सकेंगे।
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