माँ मठियाणा देवी मंदिर | Maa Mathiyana Devi Temple
उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक धरोहरों के लिए हमेशा विख्यात रहता है, और इन धरोहरों में यहाँ मौजूद विभिन्न प्रकार के मन्दिर सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहते है। हर साल बड़ी सँख्या में लोग उत्तराखंड मन्दिरों के दर्शन करने आते है। इनमे कई मंदिर ऐंसे है जो अपनी एक अलग पहचान रखते है और हर व्यक्ति इनके बारे में जानता है,लेकिन आज भी कही मन्दिर ऐंसे है जिनके बारे में शायद कम ही लोग जानते हो। इन्ही मन्दिरों में एक है -रुद्रप्रयाग भरदार मैठणा-खाल स्थित सिद्धपीठ माता भगवती माँ मठियाणा (मैथियाना) देवी मन्दिर (Maa Mathiyana Devi Temple)।
ऊंचाइयों में जंगलो से घिरा यह मन्दिर आपको यहां आने के लिए एक बार उत्साहित जरूर करेगा। मठियाणा देवी मंदिर (Maa Mathiyana Devi Temple) माता सती का काली रूप है तथा यह स्थान देवी का सिद्ध-पीठ है। यह अपने आप में आस्था और विश्वास का प्रतीक है। मठियाणा माँ उत्तराखंड की सबसे शक्तिशाली देवियों में से एक मानी जाती है और रुद्रप्रयाग और भरदार पति की रक्षक मानी जाती है।
पौराणिक कथा के अनुसार
कहा जाता है की जब माता अग्नि में सती हुई तो भगवान शिव उनके शरीर को लेकर भटक रहे थे, तो तब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को कही हिस्सों में काट दिया तब माता सती के शरीर का एक भाग यहां गिरा जो की बाद में माता मठियाणा देवी (काली रूप) कहलाया।
वहीं दूसरी तरफ एक अन्य मान्यता के अनुसार कई लोगो का कहना है की लगभग 150 साल पहले मैथियाना माँ सिरवाड़ी राजवंशो की धियान (बेटी) थी जिनका विवाह भोट यानि तिबतीयन राजकुमार से हुआ। लेकिन उसकी सौतेली माँ ने कुछ रिश्तेदारों के साथ मिलकर उसके पति को मार डाला ,और रुद्रप्रयाग में उनके पति को जला दिया गया। जब यह खबर देवी को पता चली तो वो सती हो गयी। लड़की के सती होने पर देवी प्रकट होती है और सभी हत्यारों से बदला लिया। कहते हैं की माँ काली के इस अवतार ने भक्तों के कल्याण के लिए तबसे रूप्रयाग के माँ मठियाणा देवी मंदिर में विराजमान हो गयी।
माँ मठियाणा देवी की कृपा ही है की यहां हर साल नवरात्रियों के समय दुनिया भर से लोग देवी का आशीर्वाद लेने आते है। कहते हैं कि माता के सच्चे मन से भक्ति करने से सुयश की प्राप्ति होती है। अगर बात करे प्राकृतिक सुंदरता की तो यहाँ चारों से घिरे बाँज बुरांश के पेड़ आपको खुश करने के लिए पर्याप्त है। मन्दिर के चारों ओर का दृश्य देखते ही बनता है। मंदिर के इसी प्रांगण में यज्ञ के समय मेले का भी आयोजन होता है।
कैसे पहुंचे मठियाणा देवी मंदिर
इस मन्दिर के दर्शन के लिए आप दो रास्तों का इस्तेमाल कर सकते है पहला रुद्रप्रयाग से तिलवाडा होते हुए सड़क मार्ग से आप यहाँ पहुंच सकते है और दूसरा टिहरी बडियार गढ़ से सौंराखाल होते हुए भी आप आप इस मन्दिर तक पहुंच सकते है।सड़क से लगभग 3 km ट्रेक चढ़ने के बाद आप आप इस मन्दिर के भव्य दर्शन कर सकते है।
यकीन मानिए ऊंचाई में स्थित इस मन्दिर तक पहुंचने पर आपको एक बार आनंद की स्फूर्ति अवश्य होगी।
लेखक – सुधीर (सुधीर हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में मास कॉम के ग्रेजुएशन फाइनल ईयर हैं। )
तो ये थे उत्तराखंड के माँ मठियाणा देवी मंदिर (Maa Mathiyana Devi Temple) जो वक्त के साथ अपनी पहचान खो रहे हैं । यदि पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे इंस्टाग्राम, फेसबुक पेज व यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।
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