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मुक्तेश्वर : उत्तराखंड का सबसे ठंडा हिल स्टेशन | Mukteshwar Nanital

मुक्तेश्वर | Mukteshwar Nanital

देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल में स्वर्ग से भी सुंदर हिल स्टेशन मौजूद हैं जिसका नाम है ‘मुक्तेश्वर’। सबसे ठन्डे माने जाने वाले मुक्तेश्वर का तापमान शर्दीयों में नैनीताल से भी ज्यादा गिर जाता है। नैनीताल से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुक्तेश्वर एक ऐसी जगह है जहां का मौसम आपको सालभर सुहाना ही मिलेगा। 

ठंडे तापमान के साथ यहां की खुबसूरती आपका मन मोह लेती हैं। समुद्री सतह से 2171 की उंचाई पर स्थित मुक्तेश्वर सुंदर घाटियों घिरा हुआ है। यहां पर भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं। इतना ही नहीं एडवेंचर के शौकीन यहां पर रॉक क्लाइंबिंग और रैपलिंग जैसी कई एक्टिविटीज का मजा भी ले सकते हैं। मुक्तेश्वर में आप और भी बहुत कुछ एक्सप्लोर कर सकते हैं। तो आईए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से…

मुक्तेश्वर में क्या है ख़ास ?

 

सीतला : 

मुक्तेश्वर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पर्यटकों में काफ़ी जाना जाता है। 6000 फूट की उंचाई पर स्थित इस जगह से हिमालय की श्रेणीयों का नज़ारा देखा जा सकता है। 39 एकड में फैले हुए इस क्षेत्र में ओक और देवादार के वृक्ष का नज़ारा आंखों को शीतलता प्रदान करता है। यहां पर 100 साल पुराना ब्रिटिश पत्थरों से बना एक शानदार बंगला भी मौजूद हैं। 

रामगढ़ : 

समुद्रतल से 1729 मीटर की उंचाई पर स्थित रामगढ़ अनेक प्रकार के फलों के लिए जाना जाता है। रामगढ़ अपने फल खास करके सेब के लिए देश दुनिया में मशहूर है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता की वजह से देश के प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने यहां पर एक आश्रम की स्थापना की थी और यहीं से उन्होंने कई रचनाओं की रचना की थी।
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नंदा देवी : 

नंदा देवी समुद्री तल से 7816 मीटर की उंचाई पर स्थित है।  यह भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी है और विश्व के 23वे नंबर की सबसे बड़ी पर्वत की चौटी है। इस चौटी का अद्भुत नजारा आप मुक्तेश्वर से देख सकते हैं। नंदा देवी के साथ साथ आप यहां से त्रिशूल और हिमालय की अन्य पर्वतों की चोटीयां भी देख सकते हैं। 

बैक्ट्रियोलोजी : 

साल 1889 में पुणे में शुरू की गई इंपीरियल बैक्ट्रियोलोजी लेबोरेटरी को साल 1893 में हिमालय में स्थानांतरित करने का निर्णय किया गया। जिसके बाद मुक्तेश्वर में 3000 एकड़ जमीन में इसका निर्माण किया गया। जिसके बाद 1925 में इसका नाम बदलकर इंपीरियल इन्स्टीट्यूट ऑफ वेटरनरी और निदेशक कर दिया गया। एनिमल डिसीज को रोकने के लिए इसका निर्माण किया गया था। एनिमल न्युट्रिशन और बैक्ट्रियोलोजी पर रिसर्च करने वाला ये देश का बहुत बड़ा रिसर्च सेंटर हैं। ब्रिटिश शैली से बना यह सेन्टर काफी मनमोहक है।
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चौली की जाली : 

मुक्तेश्वर में मौजूद चौथी की जाली अपनी मान्यता की वजह से काफी प्रचलित है। माना जाता है की यहां पर ‘चौली की जाली’ नामक पत्थर पर बने छिद्र को जो भी महिलाएं पार करती है उसे संतान सुख प्राप्त होता है। इसलिए संतान प्राप्ति की चाह रखने वाली सैंकडों महिलाएं यहां हर शिवरात्रि पर पहुंचती हैं और बड़ी ही आस्था से इस छिद्र को पार करती है। 

 


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