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नचिकेता ताल | Nachiketa tal
उत्तराखंड अपने सुंदर झीलों, पहाड़ों ,बुग्यालों, घाटियों तथा झरनों के लिए भारत ही नहीं विश्व में एक अलग स्थान रखता है। यहाँ मौजूद प्रकृति की खूबसूरती को देखने के लिए विश्वभर से हर साल पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में झीलों की कमी नहीं है। यहाँ हर एक झील पर्यटकों को हर बार अपनी ओर खींची चली लती है। मगर उत्तराखंड में अभी भी कई ऐसी जगह है जो लोगों की पहुँच से दूर है। उनमें से एक झील / ताल है उत्तरकाशी में मौजूद नचिकेता ताल।
उत्तरकाशी मुख्यालय से 32 किमी दूर नचिकेता ताल चारों ओर से घने वृक्षों से घिरा हुआ है। यह टिहरी जिले के बार्डर से भी पास है। नचिकेता झील प्रकृति की सुंदरता को चार चाँद लगा देता है। नचिकेता ताल पहुंचने के लिए उत्तरकाशी से 29 किमी चौरंगीखाल तक का सफर मोटर से तथा 3 किमी चौरंगीखाल से पैदल ट्रेक करना पड़ता है।
क्या है नचिकेता ताल झील में खास | What is special about Nachiketa Tal
नचिकेता ताल उत्तरकाशी से 2453 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। यह झील चारों और से देवदार, बुरांस, बांज के जंगलों से। नचिकेता झील के किनारे एक छोटा सा मंदिर है। इस झील के पास नागदेवता का मंदिर में प्रतिवर्ष नागपंचमी को मेला लगता है। इसके आलावा इस झील के पास है एक गुफा भी है। जिसे नर्क का द्वार या मिर्त्युलोक का द्वार कहा जाता है। कहते हैं कि इस झील को ऋषि वाजश्रवा ने अपने पुत्र नचिकेता के नाम पर बनाया था।
क्या है नचिकेता ताल से जुड़ा रहस्य | What is the secret related to Nachiketa Tal
नचिकेता झील के पीछे रहस्य में कहा जाता है जो झील के पास गुफा है वही मृत्युलोक का द्वार है। वहीँ नचिकेता झील में स्थानीय किवदंतियों के अनुसार आज भी झील के जल में देवता स्नान करने आते हैं। ग्रामीणों के अनुसार रात में इस झील के आसपास घंटियों के शोर सुनाई देता है। हालाँकि की इसकी सत्यता का प्रमाण किसी के पास नहीं है।
क्या है नचिकेता से जुडी कहानी ? | Story related to Nachiketa Tal?
नचिकेता झील से पौराणिक कथाओं का एक रहस्य्मयी किस्सा जुड़ा है। कथाओ के अनुसार एक बार ऋषि वाजश्रवा ने एक यज्ञ का प्रयोजन किया जहाँ उहोने ऐलान किया की वो अपनी साडी सम्पति दान करेंगे । मगर जब ब्राह्मणो को दी जाने वाली दक्षिणा में ऋषि वाजश्रवा द्वारा बूढी निर्बल गायों और अनपयोगी सामग्रियों का दान किया जाने लगा तो ऋषि वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता ने पिता को दान की नीति व धर्म पिता को बताना चाहा। उसने कहा अगर आप इन वस्तुओं का दान करोगे तो आप पाप के भोगी कहलाओगे। नचिकेता जनता था वो अपने पिता का प्रिय है अतः उसने पिता से खुद को किसे दान देने का सावल पूछने लगा।
ऋषि वाजश्रवा अपने पुत्र के इस हठ से क्रोधित होकर उसे कह दिया जा में तुझे मृत्यु को दान करता हूँ। नचिकेता ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और मिर्त्यु के पास पास चला गया। यमद्वार के पास जब नचिकेता पहुंचा तो यमदूतों ने बालक से आने का प्रयोजन पूछा जिस पर नचिकेता ने कहा उसे पिता की आज्ञानुसार यमराज का दान हुआ है। इस बात से यमदूत हैरान हो गए की ये कैसा बालक है जिसे मृत्यु का भी भय नहीं। सयोंगवश यमराज यमपुरी में नहीं थे तो बालक नचिकेता 3 दिन तक उनके द्वार पर उनका इंतजार करता रहा। जब तीन दिन बाद यमराज आये तो उन्होंने एक ब्राह्मण पुत्र को अपने द्वार पर तीन दिन तक प्रतीक्षा करता देख दुखी हुए और दूसरी तरफ अपने पिता के आज्ञा के प्रति उसका समर्पण देख प्रसन्न भी हुए इससे खुश होकर यमराज से तीन वर मांगने को कहा।
जिस पर यमराज ने पहले वर में पिता की नाराजगी खत्म हो जाये वर माँगा, दूसरा वर उन्होंने स्वर्ग प्राप्त करने के रहस्य जाना लेकिन जब तीसरा वर नचिकेता ने यमराज से मृत्यु के बाद आत्मा के रहस्य को जानना चाहा तो इससे यमराज बड़े अचम्भित हुए उन्होंने नचिकेता से कुछ और मांगने को तो नचिकेता इस बात पर अड़ा रहा। अंत में यमराज वादे की विवशता के कारण उन्हें आत्मा के रहस्य के बारे में जानकारी दी। तो ये थी नचिकेता की कहानी।
Note :
अन्य वेबसाइट्स पर नचिकेता से जुडी भ्रामक जानकारी | Misleading information related to Nachiketa on other websites
नचिकेता के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हुए पता चला की उत्तराखंड के ट्रेवल से सम्बंधित कई ऐसी साइट हैं जो आपको नचिकेता ताल के विषय में भ्रामक जानकारियां परोस रही हैं , जैसे कई वेबसाइट में नचिकेता को ऋषि उद्दालक का पुत्र कहा गया है। जो पूर्णतः गलत है क्यूंकि महर्षि उद्दालक गौतम ऋषि के वंशज थे तथा उनके पुत्र का नाम श्वेतकेतु था। श्वेतकेतु के विषय में कहा जाता है की इन्होने ही पतिव्रता और पत्नीव्रता धर्म की स्थापना की थी। जो की एक आदर्श समाज का सूचक हैं। इनका जन्म रामायण कल के समय का बताया गया है। जबकि नचिकेता के पिता का नाम वाजश्रवा था।
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