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Phooldei Festival 2026: फूलदेई लोकपर्व, उत्तराखंड का अनोखा फूलों का त्योहार

Phooldei Festival 2026: फूलदेई, उत्तराखंड का अनोखा फूलों का त्योहार

Phooldei Festival 2026: फूलदेई, उत्तराखंड का अनोखा फूलों का त्योहार

Phooldei Festival 2026: उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां के त्योहार भी प्रकृति से गहराई से जुड़े हुए हैं। ऐसा ही एक विशेष लोक पर्व है फूलदेई (Phooldei Festival), जिसे खासतौर पर बच्चे मनाते हैं।

यह त्योहार घर-घर में खुशहाली लाने और बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। इस पर्व में बच्चे फूलों के साथ लोकगीत गाते हुए पूरे गांव को सजा देते हैं। आइए जानते हैं कि यह त्योहार क्यों खास है और इसकी क्या परंपराएं हैं।

फूलदेई लोकपर्व (Phooldei Festival)

फूलदेई लोकपर्व उत्तराखंड का एक पारंपरिक त्योहार है, जो चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है। यह पर्व उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बच्चे जंगलों से फ्योंली (Pyoli) और बुरांश (Buransh) जैसे रंग-बिरंगे फूल तोड़कर लाते हैं और घरों की देहरी पर सजाते हैं।

इस पर्व को उत्तराखंड में “फूल सग्यान” या “फूल संग्रात” के नाम से भी जाना जाता है।

फूलदेई 2026 कब है? (Phooldei 2026 Date)

फूलदेई लोकपर्व 14  मार्च 2026 को मनाया जाएगा। यह मीन संक्रांति के अवसर पर पड़ता है, जिसे उत्तराखंड में नए साल के आगमन के रूप में भी देखा जाता है। यह उत्सव पुष्प संक्रांति है, जो मीन संक्रांति से लेकर विषुवत संक्रांति (बैसाखी) तक पूरे एक महीने तक चलता है। फूलदेई पर्व को नववर्ष के फूलों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

उत्तराखंड की लोकमान्यता के अनुसार, फूलों में देवताओं का वास होता है, इसलिए इस पर्व के माध्यम से घर-घर में समृद्धि और सुख-शांति की कामना की जाती है। नववर्ष के आगमन पर ताजे पुष्प अर्पित कर प्रत्येक गृहस्वामी के लिए मंगलकामना की जाती है।

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फूलदेई लोकपर्व मनाने की परंपरा  (How is Phooldei Celebrated?)

  1. बच्चों की खास भूमिका:
    • बच्चे सुबह-सुबह जंगलों से ताजे फूल लाते हैं।
    • पारंपरिक परिधान पहनकर घर-घर जाकर फूल सजाते हैं।
    • लोकगीत गाकर घर-घर “फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार” गाते हैं।
  2. घर सजाने की परंपरा:
    • घर की देहरी को फ्योंली और बुरांश के फूलों से सजाया जाता है।
    • घर की महिलाएं गोबर और मिट्टी से चौखट को शुद्ध करती हैं।
  3. बच्चों को मिलते हैं उपहार:
    • फूल सजाने के बदले बच्चों को गुड़, चावल और पैसे दिए जाते हैं।
    • इन सामग्रियों से हलवा, छोई, साया जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
  4. घोघा माता (Ghoga Maata) की पूजा:
    • इस दिन घोघा माता (फूलों की देवी) की पूजा की जाती है।
    • अंतिम दिन बच्चे घोघा माता की डोली निकालते हैं और पूजा के बाद इस त्योहार का समापन होता है।

फूलदेई का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व (Significance of Phooldei Festival)

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फूलदेई की पौराणिक कथा  (Folklore Behind Phooldei Festival)

फूलदेई लोकपर्व से जुड़ी एक लोककथा के अनुसार, पहाड़ों की एक राजकुमारी “प्योली” का विवाह किसी दूर देश के राजकुमार से हो गया था। लेकिन अपनी मातृभूमि से दूर होने के कारण वह उदास और बीमार रहने लगी और अंततः चल बसी।

जहां उसे दफनाया गया, वहीं एक पीले रंग का सुंदर फूल उग आया जिसे “प्योली का फूल” कहा जाने लगा। तब से पहाड़ों में बसंत ऋतु के आगमन पर फूलदेई पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गई।

फूलदेई और अन्य संक्रांति त्योहारों में अंतर  (Phooldei vs Other Festivals)

त्योहार तिथि उत्सव का स्वरूप
मकर संक्रांति 14 जनवरी तिल-गुड़ दान और स्नान
वसंत पंचमी फरवरी सरस्वती पूजा और बसंत का स्वागत
फूलदेई 14-15 मार्च फूलों से घर सजाने की परंपरा

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FAQ: फूलदेई 2026 के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. फूलदेई लोकपर्व 2026 में कब है?
A: फूलदेई 2025 में 14-15 मार्च को मनाया जाएगा।

Q2. फूलदेई किस राज्य का प्रमुख पर्व है?
A: फूलदेई उत्तराखंड का प्रमुख लोक पर्व है।

Q3. फूलदेई त्योहार में कौन-कौन से फूलों का उपयोग किया जाता है?
A: इस त्योहार में फ्योंली और बुरांश के फूलों का विशेष महत्व है।

Q4. फूलदेई मनाने का क्या महत्व है?
A: यह त्योहार बसंत ऋतु का स्वागत, घर में खुशहाली और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

Q5. फूलदेई लोकपर्व बच्चों के लिए क्यों खास है?
A: इस पर्व में बच्चे फूल सजाते हैं, लोकगीत गाते हैं और उपहार प्राप्त करते हैं, जिससे यह उनका पसंदीदा त्योहार बन जाता है।

 


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