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Rudraprayag | जिला रुद्रप्रयाग एक परिचय

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रुद्रप्रयाग (rudraprayag ) एक परिचय

रुद्रप्रयाग (rudraprayag) गंगा की दो प्रमुख नदियों अलकनंदा(Alaknanda) और मंदाकनी(Mandakani) के संगम पर बसा है। पहले यह स्थान पुनाड़ (punar) नाम से जाना जाता था मगर 16 सितंबर 1997 से उत्तराखंड के पौड़ी जिले से अलग होने के बाद इसका नाम रुद्रप्रयाग रखा गया। वास्तव में यह जिला चमोली, टिहरी व पौड़ी से अलग करके बनाया गया है।


जनपद रुद्रप्रयाग में 4 तहसीलें हैं | जो रुद्रप्रयाग (Rudraprayag), जखोली (Jakholi), उखीमठ (Ukhimath), बसुकेदार (Basukedar) में स्तिथ है। वही यहाँ ब्लॉकों की संख्या 3 है जो अगस्त्यमुनि, जखोली, व् उखीमठ में स्तिथ है।


2011 की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग में स्थित कुल जनसंख्या 2,42,285 है तथा जिले का कुल क्षेत्रफल 1984 वर्ग किलो‌मीटर है। इसके अलावा जिले की कुल साक्षरता दर 81.30 प्रतिशत है जो अन्य जिलों के‌ मुकाबले सबसे अधिक है। वहीं यहाँ स्थित कुल गांवों की संख्या 688 है

रुद्रप्रयाग का पौराणिक इतिहास | Rudrapraprayag Ancient History


मंदाकनी जो केदारनाथ से 1 किलोमीटर ऊपर चोराबाड़ी ग्लेशियर निकलती है इस जिले की प्रमुख नदी है। रुद्रप्रयाग में तीन नदियाँ प्रमुख रूप से बहती हैं इसमें अलकनंदा, मंदाकनी व् वासुकि गंगा है जो वासुकि ताल से निकलती है और मंदाकनी से मिल जाती है।


केदारनाथ जो हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, रुद्रप्रयाग शहर से लगभग 86 किमी दूर स्थित है। वहीं अलकनंदा नदी के तट पर स्तिथ कोटेश्वर मंदिर शहर में एक लोकप्रिय स्थल है। कोटेश्वर मुख्य बाजार से चार किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा के किनारे स्थित है। यहाँ गुफा में शिव का शिवलिंग स्थित है।‌ जिसके‌ दर्शनों के लिए महाशिवरात्रि के दिन भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं। रुद्रप्रयाग ना सिर्फ केदारनाथ के लिए प्रसिद्ध है।‌ बल्कि यहाँ तुंगनाथ, मदमहेश्वर, कार्तिक स्वामी‌, ओम्कारेश्वर मंदिर को देखने के लिए भी पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं।


रुद्रप्रयाग में ही सबसे ऊंचाई पर स्थित झील देवरिया ताल है। देवरिया ताल‌ चारों ओर से सुन्दर वृक्षों व चौखम्भा पर्वत  के सफेद शिखरों के आँचल तले नैसर्गिक छटा को समेटे हुए है। वहीं  वासुकि ताल केदारनाथ में , बधाणी ताल जखोली ब्लॉक में और चोराबाड़ी ताल (गाँधी सरोवर) चोराबाड़ी ग्लेशियर में स्थित  है ।

मौसम विज्ञान के अनुसार इस जिले में अधिकांश वर्षा जून से सितंबर की अवधि के दौरान होती है, जबकि वार्षिक वर्षा का 70 से 80 प्रतिशत जिले के दक्षिणी अर्ध में होता है एवं 55 से 65 प्रतिशत उतरी अर्ध हिसे में होता है । यही कारण यह जिला बरसात में आपदाओं का घर बन जाता है। जून 2013 में आयी विशाल जल आपदा इसी जिले में आयी थी।

रुद्रप्रयाग को पांडवों की भूमि भी‌ कहा जाता है क्योंकि यहाँ पांडवों के मौजूदगी के परिमाण मिले हैं। यही कारण है कि यहाँ पांडव नृत्य खासा प्रसिद्ध है।


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