चमोली में स्थित भगवान शिव के प्रमुख पंच केदारों में से एक चतुर्थ केदार “रुद्रनाथ” के कपाट शनिवार सुबह 7 बजे विधि विधान से बंद कर दिये गए। अब भगवान रुद्रनाथ शीतकाल में छह माह तक भक्तों को गोपेश्वर में स्थित “गोपीनाथ मंदिर” में दर्शन देंगे।
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ये पहली बार हुआ जब रुद्रनाथ की उत्सव डोली को रात्रि विश्राम ना कराकर सीधे गोपीनाथ मंदिर में ले जाया गया। पंचगंगा, पनार बुग्याल, ल्वींटी बुग्याल से होते हुए जब बाबा की डोली सगर गांव पहुंची तो लोगों ने अपने आराध्य की पूजा-अर्चना के साथ उन्हें भोग स्वरुप नए अनाज भेंट किये। फिर विधिवत रुप से पंचमुखी आरती के पश्चात आराध्य डोली ने गोपीनाथ मंदिर के लिए प्रस्थान किया।
पंच केदार में प्रथम केदार भगवान केदारनाथ है, जो शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक हैं । दूसरा केदार मद्महेश्वर है। तीसरा केदार तुंगनाथ, चौथा केदार रुद्रनाथ और पांचवा केदार कल्पेश्वर है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के चेहरे की पूजा की जाती है जबकि भगवान शिव के धड़ की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू में *पशुपतिनाथ* के रूप में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर प्राकृतिक पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले नारद कुंड है। जिसमें भक्तगण स्नान करके अपनी थकान मिटाते है और फिर दर्शन के लिए आगे बढ़ते है।
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बता दें कि इस वर्ष करोना महामारी के चलते रुद्रनाथ यात्रा पर अन्य धामों के मुकाबले भक्तों की भारी कमी देखी गयी। मगर लाँकडाउन के शुरु होते ही भक्तों का तांता रुद्रनाथ पहुंच रहा था। उम्मीद है कि अगले वर्ष भक्त ज्यादा से ज्यादा संख्या में रुद्रनाथ पहुंचेंगे।
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