उत्तराखंड में मौजूद शिव के वे 5 केदार जिनकी यात्रा से जीवन होगा धन्य।

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केदारनाथ

केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में स्तिथ है। यह शिव का प्रमुख धाम है और पंच केदार में सर्वप्रथम केदरेश्वर शिव के ही दर्शन किये जाते हैं।

केदारनाथ के पीछे की कहानी

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कहते हैं कि जब शिव की खोज में निकले पांडवों ने शिव को महिष के रूप में पहचान लिया तो भीम ने उन्हें पकड़ लिए। मगर शिव धरती में शमा के अंतर्ध्यान हो गए और उनके शरीर के अंग पांच स्थानों में प्रकट हुए जिनमे केदारनाथ महत्वपूर्ण है।

मदमहेश्वर में शिव के नाभि की पूजा अर्चना की जाती है। पंच केदारों मदमहेश्वर को द्वितीय स्थान पर पूजा जाता है।

मदमहेश्वर

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रुद्रप्रयाग के चोपता में स्तिथ तुंगनाथ में भगवान शिव के भुजाओं की पूजा की जाती है। यह मंदिर टोंगनाथ या टुनगनाथ पर्वत के शिखर पर है। इस मंदिर में शिव के अलावा पांच पांडवो के छोटे मंदिर भी स्तिथ हैं।

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रुद्रनाथ यात्रा गोपेश्वर के सगर गाँव से लगभग 4 किमी की चढ़ाई कर उत्तराखंड के सुंदर *पुंग बुग्यालों* से प्रारंभ होती है। पर्यटक एवं भक्तगण चढ़ाई पार करके पहुँचते है पित्रधार स्थान पर जहाँ भगवान शिव, पार्वती और भगवान विष्णु का मंदिर स्थित है।

कल्पेश्वर कल्पगंगा घाटी में स्थित है, कल्पगंगा को प्राचीन काल में नाम हिरण्यवती नाम से पुकारा जाता था। इसके दाहिने स्थान पर स्थित भूमि को दुर्बासा भूमि कही जाता है इस जगह पर ध्यान बद्री का मंदिर भी  है।

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