दीपक बिष्ट
उत्तराखंड अपने आप में जन्नत है गर्मी हो यहाँ सर्दी यहाँ घूमने वालों का ताँता लगा रहता है। अगर आप उत्तराखंड के सैर सपाटे पर निकले हैं, और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्तिथ लोकप्रिय पर्यटन स्थल चोपता घूमना चाहते हैं। तो आप सही जगह हैं क्यूंकि यहाँ आपको चोपता में घूमने की जगहों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
तुंगनाथ मंदिर चोपता रोड से बस 4 किमी की चढाई पर है। इस चढाई पर चलते हुए न सिर्फ आप ट्रेक का मजा लेंगे बल्कि प्रकृति के खूबसूरत नज़रों से भी रूबरू होंगे। तुंगनाथ सबसे उंचाई पर स्तिथ शिव मंदिर है।
चंद्रशिला, चन्द्रनाथ पर्वत पर तुंगनाथ से 1.5 किमी की ऊंचाई पर स्तिथ है। चंद्रशिला का ट्रेक करते वक़्त आपको रास्ते में जंगली हिरन / हिमालयन तहर दिख सकते हैं। हिमालयन तहर एक दुर्लभ प्राणी हैं हिमालयी क्षेत्र में ही मौजूद मिलते हैं।
दुग्लबिट्टा में आप ट्रेकिंग , साइक्लिंग, बर्ड वाचिंग, फोटोग्राफी और यहाँ के ठन्डे मौसम का मजा ले सकते हैं। ये सर्दियों में बर्फ का लुत्फ़ उठाने के लिए भी उत्तम जगह है।
कंचुला खरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य है जहा कस्तूरी मिरग के साथ अन्य जंगली पशुओं का प्रजनन केंद्र भी है। क्यूंकि तुंगनाथ का इलाका केदारनाथ वन्य जीव संरक्षण के अंतर्गत आता है अतः आप यहाँ उत्तराखंड के दुर्लभ जीवो को देख सकते हैं।
सारी गावं चोपता-उखीमठ रोड पर स्तिथ है जहाँ से देवरिया ताल का पैदल ट्रेक शुरू होता है। यह गांव प्रकृति की मनमोहक छटा को संजोये हुए है और बहुत ही सुन्दर है।
यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्तिथ सबसे ऊंचाई झील है जो बांज बुराँस के जंगल से घिरा है। ये ताल देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है।
रोहिणी बुग्याल देवरिया ताल से 8 किमी के उतार चढ़ाव वाले ट्रेक पर स्तिथ है। रोहिणी बुग्याल एक छोटा सा मैदान है, लेकिन एक सुंदर शिविर है, जो हिमालय की चोटियों के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।
बिसुरीताल का नाम आपने शायद कम सुना होगा। इसकी वजह है इसका काफी ऊंचाई पर और सड़क से काफी दूर स्तिथ होना। बिसुरीताल/बिसुरीधार की ऊँचाई 4100 मीटर है और यह चोपता से 60 किलोमीटर के ट्रेक पर स्तिथ है।
उखीमठ से चोपता गुजरते वक़्त, उखीमठ में स्तिथ भगवान ओम्कारेश्वर के दर्शन करना मत भूलियेगा। ओम्कारेश्वर मंदिर सड़क मार्ग के निकट स्तिथ है। यहाँ सर्दियों में कपाट बंद होने पर भगवान शिव की केदार और मद्महेश्वर की डोली की पूजा अर्चना होती है।
कालीमठ उखीमठ आते वक़्त कुंड से गुप्तकाशी-केदारनाथ मार्ग से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्तिथ है। यहाँ माँ काली का एक भव्य मंदिर है जिसके पीछे की कहानी है की यहाँ से ही माँ काली धरती में समाकर अंतरध्यान हो गयी थी।