उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) | Uttarakhand Kranti Dal
(UKD) : उत्तराखंड में आजादी से पूर्व ही पृथ्क राज्य की माँग उठ रही थी। जिसकी प्रतिध्वनि जवाहर लाल नेहरू के श्रीनगर यात्रा और सन 1946 में बद्रीदत्त पांडे के अभिभाषणों से भी उजागर हुई। मगर इसके बावजूद इन आवाजों को पुरजोर तरीके से नहीं उठाया गया या राजनैतिक अनइच्छा के कारण दबाया गया। जब राष्ट्रीय दलों के कारण भी राज्य की पृथ्क माँग का हित साधता नहीं दिखा तो राष्ट्रीय पार्टी के इतर एक स्थानिय मंच की आवश्यकता महसूस की गई।
इस योजना की पूर्ति के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मंच की स्थापना की योजना बनी। इस योजना का क्रियान्वयन जुलाई 1979 में मसूरी में आयोजित सम्मेलन में किया गया। इसी के अंतर्गत उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) नामक क्षेत्रीय राजनैतिक दल की स्थापना की गई। जिसकी अध्यक्षता कुमाऊँ विश्विद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डा० देवी दत्त पंत ने की।
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इस दल का एकमात्र उद्देश्य उत्तराखंड में जन समस्याओं का निराकरण करते हुए पृथ्क राज्य का निर्माण करना था। उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना को एक सही दिश में सही कदम के रूप में देखा जा सकता है। इस दल ने स्थानीय मुद्दे और पृथ्क राज्य की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया। यही नहीं उत्तराखंड के ग्रामीण जन-जन तक पृथ्क राज्य की आवश्यकता और औचित्य को जनता तक पहुंचाया। समय-समय पर धरना व रैलियाँ की गई। बंद एंव चक्का जाम किया गया। इन सभी वजहों से पृथ्क राज्य की माँग राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची । जिसके कारण राष्ट्रीय दलों ने इसे समर्थन देना प्रारंभ कर दिया। वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने पृथ्क राज्य को अपना मुद्दा बना दिया। और अगस्त 1991 में भाजपा की उत्तरप्रदेश में सरकार बनने पर पृथ्क राज्य की माँग का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया।
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