Table of Contents
चारधाम महामार्ग परियोजन |All Weather Road |Char Dham Highway Project Update
चारधाम महामार्ग परियोजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसे ऑल वेदर रोड से भी जाना जाता है। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सागरमाला परियोजना के अतंर्गत चारधाम महामार्ग परियोजना को रखा गया है, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की इस परियोजना की अनुमानित लागत 70 हज़ार करोड़ रुपये निर्धारित की गयी है।
सागरमाला परियोजना के अंतर्गत ही चारधाम सड़क परियोजना को रखा गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में 12 महीने पहाड़ी राजमार्ग को आवागमन के लिए सुगम बनाना और चीन की सीमा तक अच्छी और पक्की सड़क का निर्माण करना है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने 27 दिसम्बर को देहरादून के परेड ग्राउंड में इस योजना का वैदिक मंत्रों के बीच शिलान्यास किया था। यह परियोजना उत्तराखंड के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इसका राष्ट्रीय और सामरिक महत्व भी है। राज्य के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चीन सीमा से सटे हैं। इस लिहाज से उत्तरकाशी व चमोली जिलों तक ऑल वेदर रोड बनने से बड़े वाहनों की आवाजाही का रास्ता भी साफ होगा।
प्रदेश के लिहाज से बात करें तो प्रदेश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा चार धाम मार्ग से जुड़ा है। चारधाम यात्रा ही इनकी आर्थिकी का मजबूत सहारा है। चार धाम यात्रा के दौरान सड़कें खराब होने से कई बार यात्रा बाधित होती है। कई बार तो दो से तीन दिन तक यात्रियों को एक ही स्थान पर सड़क खुलने का इंतजार करना पड़ता है। ऑल वेदर रोड बनने से यह परेशानी दूर हो जाएगी। यहां तक कि यह यात्रा वर्ष भर संचालित हो सकेगी। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों को भी बारह महीने रोजगार के अवसर भी बने रहेंगे। इतना ही नहीं, इससे न केवल चारधाम यात्रा मार्ग के अंतर्गत आने वाले जिलों के भीतर यातायात का भार कम होगा, बल्कि संपर्क मार्गों को पक्का करने में भी मदद मिलेगी।
Why Uttarakhand Need All Weather Road | Char Dham Highway Project Update
सड़कों को प्रदेश की लाइफ लाइन माना जाता है। उत्तराखंड में भी सड़कें यहां के लोगों के जीवन से जुड़ी हुई हैं। उत्तराखंड, जिसे देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। वर्षों से हिन्दूओं के आस्था का केंद्र रहा है। यहाँ मौजूद हिन्दुओं के चार प्रमुख तीर्थ स्थल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में हर साल श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। वहीं सिक्खों के प्रमुख धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब भी यहीं स्थित है।
आस्था के इन प्रतीकों की मान्यता है कि एक बार जो इन चारों धामों के दर्शन व पिंडदान कर ले उसका और उसके पित्रों का जीवन धन्य हो जाता है। वहीं भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यह अधिकांशतः पहाड़ों, नदियों और वनों से आच्छादित है। इस राज्य का 65% भू-भाग वनों से आच्छादित हैं। जबकि लगभग 26 नदियाँ हमेशा सदानीरा रहती हैं। इस राज्य के 86 प्रतिशत भाग पर पहाड़ स्थित हैं। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति के हिसाब से यहां सड़कों की बेहद ही अहम भूमिका है। प्रदेश सरकार, केंद्रीय एजेंसियों व स्वयं सेवी संगठनों के उत्तराखंड में किए गए सर्वे में सड़कों को दुरुस्त करने की बातें आ चुकी हैं। प्रदेश सरकार के साथ ही समय समय पर केंद्रीय सड़क निधि योजना व प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़कों के निर्माण कार्य चल रहे हैं
पहाड़ी राज्य होने के कारण इसे मौसम की मार को भी झेलना होता है। अति वृष्टि कारण यहाँ लैंड स्लाइड की समस्या हमेशा बनी रहती है जिससे राज्यमार्ग घंटों बाधित रहते हैं। वहीं यात्रा के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में भी कई लोगो अपनी जान गंवा बैठते हैं। उत्तराखंड परिवहन विभाग के आँकड़ो पर यदि नजर डाले तो साल 2018 में 1468 सड़क दुर्घटनाओं में 1047 लोगों की मृत्यु हुई है जिनमें पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी जैंसे पहाड़ी जिलों में दुर्घटनाएं बड़ी है। वहीं प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण मुख्य राजमार्ग घंटों बाधित रहता है जिससे लोग ना सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहते हैं बल्कि उनके आम जन जीवन पर भी असर पड़ता है। पर्यटन की दृष्टि से संपन्न होने के कारण उत्तराखंड की आर्थिकी पर भी इसका असर देखने को मिलता है।
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए उत्तराखंड को आँलवेदर रोड जैंसी बहुउद्देशिय परियोजना की सौगात दी गई है। जिसका शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्धारा राज्य की अस्थाई राजधानी देहरादून में 27 दिसंबर 2016 कि गया। चारधाम महामार्ग विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य भूस्खलन से पहाड़ी राजमार्ग बाधित ना हो इसके लिए 2 लेन सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है। वहीं प्रधानमंत्री द्धारा वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं को इस सड़क परियोजना द्वारा श्रद्धांजलि देने की बात कही है।
चारधाम महामार्ग परियोजन |All Weather Road |Char Dham Highway Project Update
इस योजना पर 12 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी और कुल नौ सौ किलोमीटर लंम्बी सड़क बनेगी जो यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को आपस में जोड़ेगा। इस सड़क के बन जाने से इन धामों को जाने वाले तीर्थ यात्रियों को खासकर बारिश के मौसम में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। जिससे प्रदेश में तीर्थाटन और पर्यटन को बढावा मिलेगा और स्थायी रोजगार का सृजन होगा। इस योजना के तहत प्रस्तावित रूट में मौजूदा राजमार्ग को दस मीटर चौड़ा किया जाएगा और इसे टू लेन सड़क में परिवर्तित किया जाएगा। चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए 13 बायपास, 2 सुरंग, 25 बड़े ब्रिज और 3 फ्लाई ओवर बनाये जाएंगे। सड़क के किनारे भूस्खलन से बचने के लिए सभी स्थानों पर पहाड़ों को पर्यावरणानुकूल सुदृढ किया जाएगा। पूरे यात्रा मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए 18 सुविधा केन्द्र बनाए जाएंगे और बस व ट्रक के लिए 154 ले बाई व बस स्टैंड बनाये जाएंगे। इस योजना का पीएम मोदी शिलान्साय कर चुके हैं और तीन हजार करोड़ की 17 योजनाओं की निविदाएं जारी हो चुकी है।
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार योजना की शुरूआत ऋषिकेश से होगी। ऋषिकेश से धराशू तक 144 किमी लम्बी जो कि एनएच 94 का हिस्सा है को सुदृढ किया जाएग। धराशू से यमुनोत्री (एनएच 94 का हिस्सा और 95 किमी लंबी) तथा धराशू से गंगोत्री (124 किमी लंबी और एनएच 108 का हिस्केसा) लिए आल वेदर रोड बनायी जाएगी। इसी तरह ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग 140 किमी लंबी सड़क जो एनएच 58 का हिस्सा है, रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड (केदारनाथ) तक 76 किमी लंबी सड़क जो एनएच 109 का हिस्सा है और रुद्रप्रयाग से माना गांव (बदरीनाथ) तक 160 किमी लंबी सड़क जो एनएच 58 का हिस्सा है को सुदृढ किया जाएगा। इसके साथ ही टनकपुर से पिथौरागढ़ तक 150 किमी लंबी सड़क जो एनएच 125 का हिस्सा है को भी सुदृढ किया जाएगा।
पुल बस स्टैंड व सुरंगों की संख्या | Total Bus stands,Bridges and Tunnels in All weather Road
- ऋषिकेश से यमुनोत्री- दो बाइपास, एक पुल, तीन बड़े पुल, 27 छोटे पुल, दो सुरंग, 73 बस बे, चार ट्रक बे ।
- धरासू से गंगोत्री – दो बाइपास, एक पुल, चार बड़े पुल।
- रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड – तीन बाइपास, तीन बड़े पुल, 23 छोटे पुल।
- ऋषिकेश से बद्रीनाथ – तीन बाइपास, एक पुलि, 11 बड़े पुल, 38 छोटे पुल, 59 बस स्टेंड, दो ट्रक स्टैंड।
- टनकपुर से पिथौरागढ़ – तीन बाइपास, चार बड़े पुल, 19 छोटे पुल, 13 बस बे व तीन ट्रक बे।
उत्तराखंड में पक्की सड़कों की लंबाई (कि.मी में) | Length of roads in Uttarakhand (in km)
- राष्ट्रीय राजमार्ग – 30
- प्रादेशिक राजमार्ग – 07
- मुख्य जिला सड़कें – 81
- अन्य जिला सड़कें – 1
- ग्रामीण सड़कें – 38
- हल्का वाहन मार्ग-21
- पंचायत मोटर मार्ग – 95
- निकाय मोटर मार्ग – 27
- वन क्षेत्र में – 3359.53
- बार्डर रोड टास्क फोर्स – 32
- अन्य – 98
- कुल योग – 32 किमी
अन्य सड़क प्रस्ताव | Other Road Proposals in Uttarakhand
वहीं प्रदेश सरकार को केंद्रीय सड़क निधि (सीआरएफ) से प्रतिवर्ष 500-600 करोड़ रुपये मिलते हैं। इस बार इनके अलावा सरकार की नजरें इन अहम तीन प्रस्तावों की स्वीकृति पर भी लगी है। ये तीन प्रस्ताव हैं हरिद्वार रिंग रोड, देहरादून रिंग रोड व हल्द्वानी रिंग रोड। इन तीनों प्रस्तावों के स्वीकृत होने से इन शहरों के भीतर यातायात का भार घटेगा बल्कि दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लग सकेगा।
राज मार्ग निर्माण के लिए स्वीकृत और अवशेष धनराशी |Approved and remnant money for All weather Road
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का कार्य जोर शोर से चल रहा है। इस योजना के अंतर्गत कई प्लाईओवर, सुरंग, पुल और बाईपास बनने हैं जिनके निर्माण के लिए स्वीकृतियों की कवायद जारी है।
नीचे इस योजना से जुड़े कार्य व उनकी लागत दी गई है।
योजना की लागत– तकरीबन 11700 करोड़ रुपये।
–बनेंगे 25 पुल, 13 बाइपास, तीन फ्लाई ओवर, दो सुरंग।
–तीर्थ यात्रियों के लिए बनेंगे 28 सुविधा केंद्र।
–राजमार्ग पर बनेंगे 154 बस बे व ट्रक बे।
-38 स्थानों पर बनेंगे लैंड स्लाइड जोन।
कहां से कहां तक | all weather road
(ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग – 140 किमी – 1824 करोड़ रुपये।)
(रुद्रप्रयाग से माणा गांव – 160 किमी – 1498.05 करोड़ रुपये।)
(ऋषिकेश से धरासू – 144 किमी – 1687.70 करोड़ रुपये।)
(धरासू से गंगोत्री – 124 किमी – 2183.85 करोड़ रुपये।)
(धरासू से यमुनोत्री – 95 किमी – 1368.17 करोड़ रुपये।)
(रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड – 76 किमी – 1040.56 करोड़ रुपये।)
(टनकपुर से पिथौरागढ़ – 150 किमी – 1716.84 करोड़ रुपये।)
वैंसे तो इस परियोजना को 2019-20 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। मगर पर्यावरण से जुड़े मानकों व भूमि अधिग्रहण में होने वाली अनियमितताओं के चलते बचे हुए काम पर एनजीटी व सर्वोच्च न्यायालय की रोक के बाद अगले आदेश तक स्थगित रखा गया है। यही कारण है इस परियोजना को खत्म होने में अभी और भी वक्त लगना है। सरकार का कहना है कि कार्य में विलंब के चलते खर्चे की धनराशी में बढ़ोतरी हो रही है।
कुल 889 किमी लंबाई का ये मार्ग कई चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए 11700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इनमें से करीब 3692 करोड़ रुपये की स्वीकृतियां भी हो चुकी हैं वहीं 220.66 किलोमीटर की अंतिम अनुमति मिल चुकी है। 393.98 किलोमीटर तक के 21 प्रस्ताव जिनकी लागत 4371.87 करोड़ रुपये है मंजूर हो चुके हैं। वहीं 937 करोड़ रुपये के छह प्रस्तावों की अभी मंजूरी मिलनी है।
अगर आप ऑल वेदर रोड से समन्धित और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट से समन्धित कोई भी जानकारी कहते हैं तो हमारे youtube channel को subscribe करना न भूलें।