
गुजडू आंदोलन
Gujadu Movement: गुजडू दक्षिण गढ़वाल का एक प्रमुख ग्रामीण क्षेत्र था, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस गतिविधियों और सत्याग्रहियों के संगठन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना। यह क्षेत्र ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संगठित संघर्ष का प्रतीक बना और इसे ‘गढ़वाल की बारदोली’ के नाम से जाना गया।
गुजडू आंदोलन की पृष्ठभूमि (Gujadu Movement)
गुजडू क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी तब सुलगी जब राम प्रसाद नौटियाल ने सेना से त्यागपत्र देकर इस क्षेत्र में लोगों को संगठित करने का कार्य किया। उन्होंने यहाँ की जनता की कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर किया। साथ ही, उन्होंने लोगों को राजनीतिक स्वतंत्रता के महत्व को समझाने का बीड़ा उठाया।
1942 का भारत छोड़ो आंदोलन और गुजडू आंदोलन (Quit India Movement of 1942 and Gujdu Movement)
1942 का भारत छोड़ो आंदोलन पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ था। इस आंदोलन में गुजडू की जनता ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और इसे कांग्रेस का गढ़ बना दिया। महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ के संदेश को इस क्षेत्र की जनता ने पूरी निष्ठा से अपनाया और आसपास के क्षेत्रों तक इसे पहुँचाया।
प्रमुख आंदोलनकारी और उनकी भूमिका
गुजडू आंदोलन में कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें प्रमुख थे:
- राम प्रसाद नौटियाल: उन्होंने सेना से त्यागपत्र देकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और लोगों को संगठित किया।
- शीशराम पोखरियाल: उन्होंने जनसंगठन और ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में योगदान दिया।
- थान सिंह रावत: उन्होंने आंदोलन को एक व्यापक रूप देने में सहयोग किया और सत्याग्रहियों का नेतृत्व किया।
ब्रिटिश शासन का दमनचक्र
ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए। पुलिस और मालगुजारों की सहायता से कांग्रेस नेताओं के संगठित आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश की गई। पुलिस ने आंदोलनकारियों को पकड़ने के लिए घर-घर छापे मारे, लेकिन आंदोलनकारी भूमिगत हो गए। जनता ने उन्हें शरण देकर उनकी रक्षा की और अंग्रेजों की नीतियों का खुलकर विरोध किया।
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छापामार रणनीति और आंदोलन की तीव्रता
ब्रिटिश प्रशासन के दमन के बावजूद, आंदोलनकारियों ने गुरिल्ला रणनीति अपनाई। उन्होंने सरकारी अभिलेखों को नष्ट करने और ब्रिटिश प्रशासन को कमजोर करने की योजनाएँ बनाईं। इस दौरान सल्ट क्षेत्र क्रांतिकारियों का प्रमुख केंद्र बन गया। ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों के माध्यम से इड़ियाकोट गाँव में घुसकर ग्रामीण जनता पर अत्याचार किए, लेकिन ग्रामीणों ने भूमिगत सेनानियों का भेद नहीं दिया।
दिल्ली में शरण और नेताओं की गिरफ्तारी
ब्रिटिश दमनचक्र की तीव्रता को देखते हुए कई प्रमुख आंदोलनकारियों ने गुजडू छोड़कर दिल्ली में भैरवदत्त धूलिया के करोल बाग स्थित निवास में शरण ली। वहाँ से उन्होंने प्रवासी गढ़वाली समाज और अन्य संगठनों के साथ संपर्क बनाए रखा और आंदोलन को जारी रखा।
8 नवम्बर 1942 को दीपावली के अवसर पर ब्रिटिश पुलिस ने करोल बाग स्थित भैरवदत्त धूलिया के निवास पर छापा मारा और थान सिंह, गीताराम पोखरियाल, डबल सिंह, छवाण सिंह सहित कई प्रमुख क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। सभी को लैन्सडौन लाया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
गुजडू आंदोलन (Gujadu Movement) ने दक्षिणी गढ़वाल में स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। इस आंदोलन में शामिल लोगों ने न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। इस संघर्ष ने दिखाया कि किस प्रकार ग्रामीण भारत भी स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आज भी, गुजडू आंदोलन गढ़वाल और उत्तराखंड के इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय बना हुआ है। यह संघर्ष न केवल स्वतंत्रता संग्राम की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि जब जनता संगठित होती है, तो किसी भी सत्ता को झुकाया जा सकता है।
गुजडू आंदोलन से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. गुजडू आंदोलन क्या था?
गुजडू आंदोलन दक्षिण गढ़वाल का एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम था, जिसे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में संगठित किया गया था। इसे ‘गढ़वाल की बारदोली’ के रूप में भी जाना जाता है।
2. गुजडू आंदोलन क्यों शुरू हुआ?
यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के दमन के खिलाफ था और इसका मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्त करना, आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ाना और ग्रामीण जनता को संगठित करना था।
3. गुजडू आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
इस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से राम प्रसाद नौटियाल, शीशराम पोखरियाल, और थान सिंह रावत ने किया।
4. गुजडू आंदोलन के दौरान क्या प्रमुख घटनाएँ हुईं?
- आंदोलनकारियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सत्याग्रह किया।
- पुलिस ने कांग्रेस नेताओं और सत्याग्रहियों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया।
- आंदोलनकारियों ने भूमिगत रहकर छापामार रणनीति अपनाई।
- अंततः, दिल्ली में शरण लिए आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चला।
5. गुजडू आंदोलन का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
यह आंदोलन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसने दक्षिणी गढ़वाल के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया और ब्रिटिश शासन को कमजोर करने में सहायता की।
6. ब्रिटिश सरकार ने गुजडू आंदोलन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए?
ब्रिटिश प्रशासन ने आंदोलनकारियों को दबाने के लिए पुलिस और मालगुजारों का सहारा लिया, घर-घर छापे मारे, ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया, और प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया।
7. गुजडू आंदोलन का असर किस तरह पड़ा?
इस आंदोलन ने गढ़वाल क्षेत्र में स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया और जनता को संगठित होकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया।
8. गुजडू आंदोलन की विरासत क्या है?
गुजडू आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय है। यह दर्शाता है कि किस प्रकार ग्रामीण भारत ने भी आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संगठित संघर्ष से सत्ता को झुकाने में सफल रहा।
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