Uttarakhand History

सल्ट-खुमाड़ हत्याकांड – भारत का दूसरा बारादोली | Salt Khumad Andolan

सल्ट-खुमाड़ हत्याकांड : देवभूमि उत्तराखंड आजादी की लड़ाई में जहां टिहरी रियासत और ब्रिटिश कुमाऊं गढ़वाल में बंटा था। मगर तब भी वो देश के हर कोने से उठ रही लौ की आंच से खुद को दूर नहीं कर पाया। इतिहासकारों का मनना है कि उत्तराखंड अग्रेजो द्वारा वन कानूनों में किए गए बदलाव के कारण अग्रेजों की तरफ आम लोगों का गुस्सा फूटा।
ऐसा ही एक आंदोलन वर्ष 1942 में हुआ। जिसे  उत्तराखंड के इतिहास में सल्ट क्षेत्र में हुए “सल्ट-खुमाड़ हत्याकांड”

Advertisement
  के नाम से भी जाना जाता है। तो ऐसा क्या हुआ उस 5 सितंबर 1942 के दिन जिस कारण  “भारत की दूसरी बारादोली” के नाम से महात्मा गाँधी को इस आंदोलन को संभोधित करना पड़ा आइए जानते हैं।

सल्ट हत्याकांड | Salt Massacre

अंग्रेजो से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष भारत के विभिन्न हिस्सों में चल रहे थे। उत्तराखंड भी इससे अछूता न रहा, उस समय उत्तराखंड का अल्मोड़ा जिला स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र था। यहां गांधीजी के आवाह्न पर आंदोलन होते रहते थे फिर चाहे होमरूल हो या असहयोग आंदोलन अंग्रेजों की क्रूर सत्ता के खिलाफ उत्तराखंडियों ने अपना लहू दिया।
वर्ष 1942 में जब सारे देश दूसरे विश्व युद्ध की आग में झुलसे थे और भारत के वीर सिपाही दूसरे देशों के इस युद्ध में अपना सर्वस्व बलिदान दे रहे थे। तो गांधीजी का और बाकी लोगों का अंग्रेजों की इस हरकत से गुस्सा फूट पड़ा और वर्ष 1942 में गाँधी जी ने करो या मरो का नारा देकर  भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आखरी आंदोलन छेड कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।



पूरा भारत गाँधीजी की आवाज पर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में देघाट, सल्ट और सालम क्षेत्र विशेषकर इस दौरान चर्चा में आए। इस क्षेत्र में आंदोलन में सक्रिय रूप से भूमिका आंदोलनकारी मदन मोहन उपाध्याय निभा रहे थे। उन्होंने सल्ट, देघाट के ग्रामीण क्षेत्रों में भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जगाई।

अंग्रेजों ने मदन मोहन उपाध्याय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह खबर पाकर सालाम क्षेत्र में जनता भड़क उठी और अंग्रेज अधिकारीयों के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। यह देखकर की स्तिथि अब काबू में नहीं है तो  अंग्रेजी सरकार ने सेना भेज दी।
सेना और जनता के बीच धामदेव के टीले पर संघर्ष हुआ और इस संघर्ष में प्रमुख आंदोलनकारी नरसिंह धानक और टीका सिंह कन्याल की मृत्यु हो गयी।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड में हुए प्रमुख जन आंदोलन 

5 सितंबर 1942 में अल्मोड़ा  खुमाड़-सल्ट क्षेत्र (Salt Khumad Andolan) में एक अन्य महत्वपूर्ण  घटित हुई। उस समय खुमाड़ में एक जनसभा चल रही थी। अंग्रेजी हुकूमत इस जनसभा का दमन करना चाहती थी। आंदोलन को दबाने के लिए एक अंग्रेजी सेना अधिकारी जॉनसन रानीखेत से खुमाड़ की ओर बढ़ा।
जब वो देघाट पंहुचा तो देघाट में भी आंदोलनकारियों की एक जनसभा चल रही थी। जॉनसन ने उन आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवा दी  जिसमे आंदोलनकारी हरिकृष्ण और हीरामणि शहीद हो गए। देघाट में हुए गोलीकांड की खबर जब खुमाड़ पहुंची तो यहां उपस्तिथ आंदोलनकारी उग्र हो गए।



जानसन द्वारा यहाँ भी गोली चलाने का आदेश दे दिया गया। तो दो आंदोलनकारी खीमदेव व गंगाराम आंदोलन स्थल पर ही शहीद हो गए वहीं एक अन्य आंदोलनकारी गंगा सिंह चूड़ामणि घायल होने के पश्चात उनकी भी कुछ दिनों में मृत्यु हो गई।
भारत छोड़ो आंदोलन में सल्ट क्षेत्र के इन लोगों के योगदान के कारण महात्मा गाँधीजी ने इस घटना को भारत की दूसरी बारादोली कहकर इस क्षेत्र के लोगों को अपना सम्मान दिया।

इसे भी पढ़ें – वीर चंद्र सिंह गढ़वाली-जिनका गढ़वाल में प्रवेश था प्रतिबंधित

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान न सिर्फ अल्मोड़ा का सल्ट क्षेत्र बल्कि समस्त गढ़वाल अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा हुआ। इस दौरान नैनीताल, रामनगर, मंगोली, भीमताल, चमोली, सियासैण आदि क्षेत्रों में आंदोलन सक्रीय रहे। आंदोलनकारियों ने सरकारी कार्यालय, टेलीफोन लाइन, वन विभाग के भवन व पोस्ट ऑफिस आदि आग लगा दी।
इस दौरान कई लोगो  मृत्यु भी हुई।  देहरादून में छात्रों व अंग्रेजी सैनिकों के खिलाफ संघर्ष हुआ। इस प्रकार समस्त उत्तराखंड ने इस आंदोलन में भाग लेकर अंग्रेजों की 200 साल की  सत्ता की नींव उखाड़ दी।

इसे भी पढ़ें –टिहरी का जलियाँवाला कांड – रवाईं या तिलाड़ी कांड 

 


सल्ट-खुमाड़ हत्याकांड- भारत का दूसरा बारादोली  (Salt Khumad Andolan) के बारे में यह पोस्ट अगर आप को अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे इंस्टाग्रामफेसबुक पेज व  यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

About the author

Deepak Bisht

नमस्कार दोस्तों | मेरा नाम दीपक बिष्ट है। मैं इस वेबसाइट का owner एवं founder हूँ। मेरी बड़ी और छोटी कहानियाँ Amozone पर उपलब्ध है। आप उन्हें पढ़ सकते हैं। WeGarhwali के इस वेबसाइट के माध्यम से हमारी कोशिश है कि हम आपको उत्तराखंड से जुडी हर छोटी बड़ी जानकारी से रूबरू कराएं। हमारी इस कोशिश में आप भी भागीदार बनिए और हमारी पोस्टों को अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर कीजिये। इसके अलावा यदि आप भी उत्तराखंड से जुडी कोई जानकारी युक्त लेख लिखकर हमारे माध्यम से साझा करना चाहते हैं तो आप हमारी ईमेल आईडी wegarhwal@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमें बेहद खुशी होगी। जय भारत, जय उत्तराखंड।

Add Comment

Click here to post a comment

  • […] जब टिहरी नरेश ने वन प्रबंधन और वनों के लिए अलग से कानूनों की व्यवस्था की तो इसके लिए उन्होंने अपने राज्य के मंत्री पद्मदत्त रतूड़ी को प्रशिक्षण के लिए फ्रांस भेजा था। बाद में वह जब लौट के आए तो उन्हें राजा द्वारा डी०एफ०ओ बनाया गया। मगर नए वन कानूनों के निर्माण से जनता में रोष व्याप्त हो गया। ये रोष इतना अधिक था कि धीरे-धीरे इसने एक जनान्दोलन की शक्ल ले ली। इसमें सबसे प्रमुखता से जिसने आवाज उठाई वे थे रंवाई क्षेत्र के लोगों ने। इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड का सल्ट-खुमाड़ हत्याकांड  […]

Advertisement Small

About Author

Tag Cloud

Bagji Bugyal trek Brahma Tal Trek Chamoli District Bageshwar History of tehri kedarnath lakes in uttarakhand Mayali Pass Trek new garhwali song Rudraprayag Sponsor Post Tehri Garhwal UKSSSC uttarakhand Uttarakhand GK uttarakhand history अल्मोड़ा उत्तरकाशी उत्तराखंड उत्तराखंड का इतिहास उत्तराखंड की प्रमुख नदियां उत्तराखंड के 52 गढ़ उत्तराखंड के खूबसूरत ट्रेक उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण उत्तराखंड के प्रमुख पर्वत शिखर उत्तराखंड के लोकगीत एवं संगीत उत्तराखंड में स्तिथ विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड में गोरखा शासन ऋषिकेश कल्पेश्वर महादेव मंदिर कसार देवी काफल केदारनाथ चमोली जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान टिहरी ताड़केश्वर महादेव नरेंद्र सिंह नेगी पिथौरागढ़ बदरीनाथ मंदिर मदमहेश्वर मंदिर रुद्रप्रयाग सहस्त्रधारा हरिद्वार हल्द्वानी

You cannot copy content of this page