कुछ लोग साहित्य में इतने रच बस जाते हैं जैसे मनो अपने सृजन का रास्ता लिख रहे हों , खुद तय कर रहे हों कि क्या जरूरी था क्या नहीं और मार्मिकता के किस ओर ध्यान...
कुछ लोग साहित्य में इतने रच बस जाते हैं जैसे मनो अपने सृजन का रास्ता लिख रहे हों , खुद तय कर रहे हों कि क्या जरूरी था क्या नहीं और मार्मिकता के किस ओर ध्यान...