नौला या बावड़ी प्रायः ऐसे जलस्रोत पर निर्मित होते हैं जो निचली घाटियों के समतप ढलानों में स्थित हो और पानी जमीन के भीतर स्त्रोत से रिसकर बाहत आता हो। इसके चारों ओर से पत्थर की दीवार से आवृत कर ऊपर छत डाल दी जाती है। पानी वर्गाकार सीढ़ीदार बावड़ी में एकत्रित होता है।
इन सीढ़ियों को इस प्रकार बनाया जाता है पत्थरों की बीच की दिवारों से रिसकर स्त्रोत का पानी बावड़ी में इकट्ठा होता रहे। अने नौलों में स्नानागार अथवा बैठने के चबूतरे भी निर्मित किये जाते हैं। नौलों के निकट अधिकांशतः पीपल, बड़ जैसे छायादार और धार्मिक रूप में पवित्र रूप में समझे जाने वाले वृक्षों को लगाया जाता है।
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