धारा या मंगरू : पीने के पानी की पर्वतीय ढालों से नि:सृत जलधारा को प्रवाहित करने के लिए पत्थरों से निर्मित पतनाला, धारा अथवा मंगरू कहलाता है। कभी-कभी नदी, नालों से गूलें निकालकर उन्हें किसी धारे का रूप दे दिया जाता है। धारे में पानी गिराने के लिए पत्थर की शिलाओं पर नक्काशीदार आकृतियां बना दी जाती हैं। जिसमें गाय, शेर, हाथी जैसे जानवरों की मुखाकृतियां अथवा कलश लिए हुए स्त्री की आकृति आदि होते हैं। नौलों की तरह धारे भी निर्माणकर्ता की आर्थिक स्थिति के अनुसार नक्काशीदार या साधारण होते हैं। पानी भरने की सुविधा के अनुसार इन्हें स्थानीय रूप से ” पन्देरा “ भी कहा जाता है।
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