ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। जिसके तहत भूमि अधिग्रहण का कार्य भी लगभग पूरा हो चूका है। 125.20 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग परियोजना का 84.24 फीसदी भाग यानि 105.47 किलोमीटर भाग भूमिगत है। इसलिए इस परियोजना में बनने वाले रेलवे स्टेशनों का आंशिक हिस्सा पुल के ऊपर या सुरंगो के भीतर रहेगा। इस परियोजना में 12 रेलवे स्टेशन बन कर तैयार किये जायेंगे। जिसमें से महज दो ही स्टेशन बनाने के लिए पर्याप्त भूमि है। जबकि बाकि 10 स्टेशनों का शेष भाग सुरंग के अंदर और पुल के भीतर रहेगा। आगे पढ़ें।
श्रीनगर में बनेगा सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन
इन 12 स्टेशनों में से शिवपुरी और ब्यासी में क्रमशः 800 व 600 मीटर लंबे रेलवे स्टेशन का कुछ ही भाग खुला रहेगा। जबकि शेष भाग सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर रहेगा। इसके आलावा देवप्रयाग (सौड़) -390 मीटर , जनासू-1000 मीटर , मलेथा-1100 मीटर , तिलणी-600 मीटर , घोलतीर-600 मीटर , गौचर- 1000 मीटर और सिंवाई (कर्णप्रयाग) – 1200 मीटर लंबे रेलवे स्टेशन का कुछ भाग आंशिक रुप से भूमिगत होंगे, जबकि धारी देवी (डुंगरीपंथ) स्टेशन का कुछ हिस्सा पुल के ऊपर होगा। जबकि श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) में 1800 मीटर स्टेशन पूरी तरह से खुले स्थान में रहेगा। यह रेलवे स्टेशन पहाड़ में बनने वाले अन्य रेलवे स्टेशन के मुकाबले सबसे बड़ा होगा।
आरवीएनएल (रेल विकास निगम लिमिटेड) के वरिष्ठ उपमहाप्रबंधक (डीजीएम) पीपी बडोगा के अनुसार, डबल लाइन वाले रेलवे स्टेशन के लिए 1200 से 1400 मीटर लंबा स्थान चाहिए होता है। श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) ही एकमात्र रेलवे स्टेशन है, जहां पूरी जगह मिल रही है। जगह की कमी को देखते हुए रेलवे स्टेशन की डिजायनिंग इस प्रकार की गई है कि इसका कुछ हिस्सा सुरंग के अंदर होगा। यात्रियों की आवाजाही के लिए प्लेटफार्म खुले स्थानों में हैं। आगे पढ़ें।
श्रीनगर रेलवे स्टेशन में बनेंगे 05 प्लेटफार्म
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग परियोजना में पहाड़ में श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन होगा। यहां 3 पैसेंजर और 2 गुड्स प्लेटफार्म होंगे। इसके बाद कर्णप्रयाग का स्थान है। पूरी परियोजना में यही एकमात्र स्थान है, जहां रेलमार्ग सबसे ज्यादा खुले स्थान में होगा। इस परियोजना के पूरा होने का लक्ष्य साल 2024-25 रखा गया है।
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