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आईएस मंगेश घिल्डियाल की कहानी | The Story of Ias Mangesh Ghildiyal
वैसे तो हमने अक्सर ये बात बॉलीवुड की 80-90 की फिल्मों में ही देखी है कि कैसे एक गरीब माँ बाप का बेटा बचपन से ही जी जान से मेहनत में लगा रहता है और उसके बाद वो जब बड़ा होता है। तो अपनी मेहनत के दम पर सफल हो जाता है और फिर जनता की भलाई में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देता है। ज़िन्दगी में हर इंसान चाहता है कि उसका नाम हो पैसा हो, शोहरत हो आदि। मगर आज हम जिनकी बात करने जा रहे हैं। उनका आज के समय में ऐसा रूतबा है कि पूरा देश उनका दीवाना बना हुआ है।
बात तो यहाँ तक कि है कि जब उनका तबादला बागेश्वर जिले से रूद्रप्रयाग जिले में किया जा रहा था (सन् 2017 में) तो उनके तबादले को रोकने के लिए पूरे बागेश्वर जिले की जनता सड़क पर उतर आई थी। ठीक वैसे ही सन् 2020 यहीं हाल रुद्रप्रयाग की जनता का हुआ। जब डीएम मंगेश घिल्डियाल जैसा व्यक्ति का तबादला टिहरी जिले में हो गया। तो ज़ाहिर है कि जनता का यूं सड़को पर उतर आना स्वाभाविक है। क्योंकि कोई नही चाहेगा कि डीएम मंगेश घिल्डियाल जैसा व्यक्तित्व रखने वाले युवा उनको छोड़ कर कहीं ओर चले जाएं। तो आइये हम आपको यहाँ मंगेश घिल्डियाल से रूबरू कराते है और बताते है उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें…
ये कहानी हमेशा सुर्खियों मे रहने वाले डीएम मंगेश घिल्डियाल जी की है जो हमेशा गरीब बच्चो की मदद करते रहते है। मंगेश घिल्डियाल जी जनता के लिए, जनता के बीच जाकर उनकी समस्या सुनकर तुरंत ही समस्या का समाधान करते हैं। जरूरत पड़ने पर वह चौपाल लगाते हैं और जनता की शिकायतों का यथासंभव समाधान करते हैं। मंगेश घिल्डियाल 2011 बैच के IAS अफसर है जिन्होंने पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की थी।
मंगेश ने हमेशा ही अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। जब उनका ट्रांसफर बागेश्वर जिले से रुद्रप्रयाग हो रहा था, तो वहां के लोगो ने सड़कों पर आ कर विरोध किया। वहाँ के लोग रोने तक लग गए थे कि आप यहाँ से मत जाओ।
ऐसा कारनामा डीएम साहब ने रुद्रप्रयाग मे भी किया। जब स्कूल में टीचर न होने की स्थिति में डीएम और उनकी पत्नी बच्चों को पढ़ाने गये। डीएम साहब जिले के हर गांवों मे जाकर लोगो की परेशानियां सुनते है। जो कि भ्रष्टाचारियों के लिए एक बड़ी आफत है। मंगेश घिल्डियाल जी ज्यादातर गढ़वाली में लोगों से बात करते है वो हमेशा लोगों की समस्या को हल करते है हाल में उनका तबादला टिहरी गढ़वाल में हुआ तो रुद्रप्रयाग के लोग धरना प्रदर्शन करने लग गए थे।
*जन्म और स्कूली शिक्षा* | *Birth and school education*
डीएम मंगेश घिल्डियाल की कहानी भी एक आम उत्तराखंडी बच्चें की तरह है। उनका जन्म पौड़ी जिले के डांडयू गांव में हुआ था। उनके पिताजी प्राइमरी स्कूल में टीचर है और उनकी माता गृहणी। मंगेश घिल्डियाल की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय डांडयू गांव से ही हुई। इसके बाद उन्होंने गांव से पांच किमी दूर राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय पटोटिया से हाई स्कूल की, 12वीं राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर से की और बीएससी के बाद एमएससी फिजिक्स डीएसबी कैंपस नैनीताल से किया। उस समय मंगेश के साथ साथ उनके दो और भाई भी बाहर रहकर पढाई कर रहे थे। जिसके कारण घर में पैंसों की तंगी आ रही थी तो मंगेश ने कोशिश की कि कहीं न कहीं जॉब लग जाए। उसके बाद उन्होंने गेट का एग्जाम दिया। इसमें सेलेक्शन होने के कारण इंदौर से एमटेक किया। लेजर साइंस से एमटेक किया तो उन्हें 2006 में लेजर टेक्निक पर रिसर्च के लिए उनकी पहली पोस्टिंग देहरादून में आईआईआरडी लेबोरेट्री में हो गयी ।
*साइंटिस्ट से आईपीएस का सफर* | * Scientist to IPS journey*
मंगेश की पहले से ही इच्छा थी कि सिविल सर्विसेस में जाना है तो जब उनकी जॉब लग ही गई थी तो उन्हें एहसास हुआ कि अब तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। उस समय देहरादून का माहौल थोड़ा ठीक नही था। ना ही वहाँ उस समय कोई संस्थान UPSC की तैयारी कराता था तो मंगेश ने मन बना लिया कि वह खुद बुक स्टडी करके एग्जाम देंगे और फिर पहली बार में 131वीं रैंक के साथ IPS में सेलेक्शन हुआ। सेलेक्शन होने के बाद वो हैदराबाद चले गए फिर भी वे सिविल परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे और 2011 में उन्होंने दोबारा सिविल सेवा एग्जाम दिया और चौथा स्थान प्राप्त किया। उस समय उनको भारतीय विदेश सेवा यानी *इंडियन फॉरेन सर्विसेज़* में जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने उत्तराखंड को चुना और आईएएस की नौकरी करने का फैसला लिया। उनकी पहली पोस्टिंग चमोली में मुख्य विकास अधिकारी के रूप में मिली। शायद यही कारण है कि बागेश्वर के डीएम रहते हुए भी मंगेश घिल्डियाल ने वहाँ के युवाओं को निशुल्क सिविल सर्विस की तैयारी करानी शुरू कर दी थी और वो अपने ऑफिस के समय से थोडा समय निकालकर खुद युवाओं को कोचिंग देने जाते थे। साथ ही वो जनता से जुडी हर छोटी बड़ी समस्या का तुरंत निवारण करने में भी हमेशा आगे रहते और क्षेत्र के विकास में भी लगातार सक्रिय भूमिका निभाते रहे है।
*मंगेश घिल्डियाल का पारिवारिक जीवन* | *Mangesh Ghildiyal Family life*
मंगेश घिल्डियाल की पत्नी ऊषा घिल्डियाल जो कि पहले गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय पन्तनगर में सीनियर वैज्ञानिक थी। अब वह नौकरी छोड़कर रुद्रप्रयाग जिले में शिक्षा की बेहतरी के लिए कार्य कर रही थी । वह एक स्वयंसेवी शिक्षिका के रूप में एक मुहिम से जुड़ गई है जो न जाने कितने बच्चों का भविष्य सँवार रही है दोनों पति-पत्नी आज पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन गए है। उनका एक बेटा है।
उषा यह कार्य बिल्कुल मुफ्त में कर रही है। उषा करीब 2 से ढाई घंटे का समय बच्चों को देती हैं ताकि वह पढ़ लिख कर आगे अफसर बन सके। वे जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में वह नवीं व दसवीं की छात्राओं को न सिर्फ नियमित रूप से अंग्रेजी पढ़ाती थी , बल्कि उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स भी देती थी। उन्हें पता है की बच्चो को पढाई के साथ साथ ,सामान्य ज्ञान की भी जानकारी होनी चाहिए इसलिए वो खुद उनके पाठ्यक्रम में उसका समावेश करती है। यहीं नहीं वह समय-समय पर छात्राओं के बीच किसी ज्वलंत विषय, साफ-सफाई, पर्यावरण, दहेज, बालिका शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, पलायन, जल, जंगल और जमीन जैसे विषयों पर वाद-विवाद भी करवाती हैं।
*भेष बदलकर पहुंचे डीएम मंगेश घिल्डियाल केदारनाथ का जायज़ा लेने* | * DM Mangesh Ghildiyal arrived in disguise to take stock of Kedarnath *
जब केदारनाथ मे काम चल रहा था वो स्वयं ही कुर्ता-पजामा पहने, पीठ पर बैग टांगते हुए आम यात्री बनकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिये पहुंचे तो कोई भी उन्हें नहीं पहचान पाया। वो दो दिन तक वही रहे उन्हें वहाँ व्यवस्था में भारी खामियां दिखाई दी। जिसके बाद उन्होंने अधिकरियों को व्यवस्था पूरी करने के निर्देश दिये।
Tehri Garhwal | टिहरी गढ़वाल एक परिचय
*भ्रष्टाचार पर उनका कड़ा रुख * | * His tough stand on corruption *
Dm Mangesh Ghildiyal सरकारी विभागों में कमीशनखोरी से बहुत ही आहत हैं। उनका कहना है कि जिन अधिकारियों का खर्चा सरकार द्वारा दी गई सेलरी में नहीं चल रहा है, तो वह हमको बता दे तो हम उसकी एप्लीकेशन को शासन को प्रेषित करेंगे और कहेंगे कि इनको रिटारयमेंट दे दिया जाए।
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Ek naam jisse sab district apana chahte h
बहुत ही प्रेरणादायक
इसे पढ़कर ऐसा लगा मानो शरीर में नई ऊर्जा का संचार हो गया हो