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बैजनाथ मंदिर | BaijNath Temple

बैजनाथ मंदिर | BaijNath Temple : अगर आपको दिलचस्प, पहाड़ी और तीर्थस्थल पर घूमना पसंद है, तो आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में शायद ही आपने सुना हो। मगर उसके इतिहास को सुनकर आप खुद को यहां आने से रोक नहीं पाएंगे। हम आपको आज उत्तराखंड के बैजनाथ मंदिर (BaijNath Temple) के बारे में बताने जा रहे है। इस आर्टिकल में आपको मंदिर का इतिहास, आप कैसे मंदिर तक पहुंच सकते है, मंदिर कब-कब खुलता है… सारी जानकारी देंगे…

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बैजनाथ मंदिर | BaijNath Temple

बैजनाथ अर्थात् ‘वैद्य के देव’ को समर्पित है। बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील में स्थित है। यह मंदिर गरुड़ तहसील से 2 किमी की दूरी और 1126 मीटर की ऊंचाई पर गोमती नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। बागेश्वर जिला गोमती नदी के किनारे पर बसा हुआ एक छोटा-सा पहाड़ी शहर है। बैजनाथ मंदिर कत्यूरी राजाओं द्वारा 11वीं सदी में बनाया गया था। 

बैजनाथ मंदिर का पुराना नाम और किस-किस ने की देखभाल

बैजनाथ मंदिर को प्राचीन समय में कार्तिकेयपुर के नाम से जाना जाता था। सबसे पहले बैजनाथ शहर को कत्यूरी राजा नरसिंह देव ने अपनी राजधानी बनाया था। फिर कत्यूरी राजवंश में यह शहर राजधानी बना रहा। कत्यूरी राजवंश ने यहां पर 7वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान शासन किया था। उस दौरान मदिंर का पुनर्निर्माण किया था। कत्यूरी साम्राज्य के अंतिम राजा बिरदेव सिंह की मृत्यु के बाद कत्यूरी राजवंश समाप्त हो गया। उसके बाद चंद राजवंश के लोगों ने इस मंदिर की देखभाल की।
यहां मुख्य मंदिर में काले-पत्थर से बनी पार्वती की अत्यंत कलात्मक उत्कृष्ट मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के साथ संग्रहालय भी है जहाँ कुबेर, सूर्य, विष्णु,महिषासुरमर्दिनि तथा चंडिका की मूर्तियों से सुसज्जित कई मंदिरों का समूह है। 

बैजनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व

बैजनाथ मंदिर (BaijNath Temple) के पूरे देश में फैले हुए 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिस कारण से शैव समुदाय के लिए इस मंदिर का महत्व बहुत अधिक हो जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर के अंदर मौजूद शिव लिंगों का निर्माण स्वयं और प्राकृतिक रूप से पृथ्वी से हुआ है। मंदिर के अंदर विराजमान मूर्ति बहुत सुंदर है, क्योंकि इसे एक काले पत्थर पर उकेरा गया है।


हिन्दू प्रौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि शिव और पार्वती ने गोमती और गरुड़ गंगा नदी के संगम पर विवाह किया था। कुछ महापंडितों का यह भी कहना है कि इस स्थान पर रावण कुछ दिन के लिए रुका था। एक और मान्यता के अनुसार इसका निर्माण एक ब्राह्मण महिला ने किया और भगवान शिव को समर्पित किया।
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बैजनाथ मंदिर का खुलने का समय

बैजनाथ मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है। इस मंदिर का खुलने का समय यहां के मौसम पर निर्भर करता है। गर्मियों के समय में यह मंदिर सुबह 5:00 बजे खुल जाता है। शाम को 7:00 बजे बंद हो जाता है। वहीं, सर्दियों में यहां बेहद ठंड पड़ती है, तो यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।

कैसी है बैजनाथ मंदिर परिसर की संरचना?

बैजनाथ मंदिर (BaijNath Temple) के परिसर छोटे-बड़े कुल मिलाकर 18 मंदिरों का समूह है, जो कि चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। नागर शैली में निर्मित इस मंदिर को देखने पर द्रविड़ वास्तुकला की झलक दिखाई देती है। यह परिसर पर्यटकों को मनमोहक दृश्य की प्रस्तुति करता है।

मंदिर तक जाने के लिए एक ढलान वाले पथ पर चलना पड़ता है, जो कि लास्ट में गोमती नदी के किनारे पर मिलता है। परिसर में ठीक सामने ‘गोल्डन महासीर’ नामक तालाब है, जो कि गोमती नदी का ही हिस्सा है। इस तालाब में सुनहरी रंग की मछलियां तैरती रहती है, जो कि पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र हैं।
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बैजनाथ के आसपास और कौन कौन-से मंदिर हैं?

पर्यटकों के लिए यहां का सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र शिव, गणेश, पार्वती, चंडिका, कुबेर, सूर्य मंदिर, केदारेश्वर, लक्ष्मी नारायण, ब्राह्मणी मंदिर हैं, यहां देवों की मूर्तियां सुशोभित हैं।

बैजनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचें? | How to reach Baijnath Temple ?

अगर आप हवाई मार्ग द्वारा यहां आना चाहते है, तो यहां पर पंतनगर एयरपोर्ट सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो 185 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां उतरकर आप बस या फिर टैक्सी लेकर मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते है। अगर आप ट्रेन से आ रहे है, तो आप काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतरे, क्योंकि ये स्टेशन मंदिर से सबसे करीब है।
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यहां से आप बस या फिर टैक्सी लेकर मंदिर तक पहुंच सकते है। बस से आ रहे है आप, तो अल्मोड़ा, नैनीताल, हल्द्वानी और काठगोदाम से बस ले चलते है।
चार चांद लगाती है ये झील गोमती नदी के किनारे स्थित मंदिर के पास सिंचाई विभाग ने कत्रिम झील का निर्माण कराया है। यह झील यहां की खूबसूरती में चार-चांद लगा देती है। पर्यत इस झील में नाव में बैठकर आस-पास की पहाड़ियों का आनंद उठा सकते है।


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By Deepak Bisht

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