*जिला चमोली* | * District Chamoli *
भारत के राज्य उत्तराखंड के उत्तरी भाग में स्थित है चमोली। जो कि अलकनंदा नदी के संगम के किनारे बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। चमोली कई धार्मिक स्थानों में से एक है। यह उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा जिला माना जाता है। इसका मुख्यालय गोपेश्वर है और यह जिला गढ़वाल मंडल के अंतर्गत आता है। चमोली का उपनाम चंदपुरगढ़ी, अल्कापुरी था। इसके आलावा वृक्षों की सुरक्षा से जुड़ा सबसे बड़ा विश्वप्रसिद्ध आंदोलन “चिपको आंदोलन” यहीं से शुरू हुआ था। चमोली का कुल क्षेत्रफल 8,030 वर्ग किमी है। इस जिले के उत्तर में तिब्बत, पूर्व में पिथौरागढ़, दक्षिण पूर्व में बागेश्वर, दक्षिण में अल्मोड़ा है। वहीं दूसरी तरफ दक्षिण पश्चिम में पौड़ी गढ़वाल है, पश्चिम में रुद्रप्रयाग और पश्चिमोत्तर में उत्तरकाशी जिला भी है। चमोली गढ़वाल मंडल का एक खूबसूरत पहाड़ी जिला है। चमोली जिले के अंतर्गत 12 तहसील आती है जिनके नाम है चमोली, गैरसैंण, जोशीमठ, कर्णप्रयाग, पोखरी, थराली, देवाल, नारायणबगड़, आदिबद्री, जिलासू, नंदप्रयाग, घाट। चमोली के अंदर कई खूबसूरत स्थान हैं जो इसे उत्तराखंड में मौजूद अन्य जिलों से खास बनाते हैं । मध्य हिमालय के बीच में स्थित चमोली में कई ऐसे मन्दिर है। जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते है।
इस क्षेत्र में कई छोटे और बड़े मंदिर स्थित है, जो कि साथ ही रहने कि सुविधा भी प्रदान करते है।अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है। वहीं दूसरी ओर असंख्य पर्यटन गंतव्यों से सजा ये पर्वतीय जिला उत्तराखंड की शान माना जाता है। राज्य के कई प्रमुख धार्मिक स्थान इसी जिले के अंतर्गत आते है। फूलों की घाटी से लेकर बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थान चमोली के मुख्य आकर्षणों में गिने जाते है। चमोली जिले की मुख्य फसलों में गेहूं, मक्का, मण्डुवा, झंगोरा, चावल, भट्ट, सूंठा, अरहर, लोबिया, मसूर, उड़द प्रमुख है।
*चमोली जिले का इतिहास* | * History of Chamoli District *
चमोली का इतिहास उत्तराखंड के इतिहास जितना ही पुराण है। एक जमाने में चांदपुरगढ़ी गढ़वाल के राजा कनकपाल की राजधानी हुआ करती थी। कनकपाल ने ही पंवार वंश की नींव राखी थी।
चमोली में सन् 1803 में गढ़वाल में आये एक विनाशकारी भूकंप के चलते राज्य की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से कमजोर हो गई थी। इसका फायदा उठाते हुए अमर सिंह थापा और हल्दीलाल चंटूरिया के आदेश पर गोरखाओं ने गढ़वाल पर हमला कर दिया और वहाँ गढ़वाल में स्थापित आधे से अधिक हिस्से को गोरखा शासन ने अपने अधीन कर लिया (1804 से 1813 तक)। इसके बाद 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गोरखाओं पर आक्रमण कर दिया गया। एक वर्ष तक चले इस युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय हुई और 1816 में सुगौली संधि के अनुसार गढ़वाल के साथ-साथ हिमाचल और कुमाऊँ पर भी ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन स्थापित हो गया था। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने मंदाकिनी नदी को सीमा बनाकर गढ़वाल का विभाजन कर दिया और कुमाऊँ, देहरादून व पूर्वी गढ़वाल को अपने अधीन रख लिया जबकि पश्चिम गढ़वाल पंवार राजवंश के राजा सुदर्शन शाह को दे दिया (जिसे हम आज टिहरी गढ़वाल के नाम से जानते है)। इसके बाद से अलकनंदा और मंदाकिनी के पूर्वी भाग को ब्रिटिश गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर के साथ विलय कर दिया गया, उस समय से यह क्षेत्र ब्रिटिश गढ़वाल के नाम से जाना जाता था। लेकिन उसके बाद गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर की बजाय टिहरी में स्थापित कर दी गई।
शुरुआती दौर में ब्रिटिश शासक ने देहरादून और सहारनपुर के नीचे इस क्षेत्र को रखा था। लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को एक नया जिला स्थापित किया और इसका नाम पौड़ी रखा। उस समय चमोली एक तहसील थी जो कि 1960 में चमोली तहसील को जिला बना दिया गया। गोपेश्वर तब चमोली से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव था जो कि वर्तमान में चमोली- गोपेश्वर नगर पालिका परिषद के नाम से जाना जाता है।
*चमोली जिले से जुड़ी कुछ अन्य जानकारी* | * information related to Chamoli district *
चमोली जिले के प्रसिद्ध मंदिर :- बद्रीनाथ धाम, नंदादेवी, नारायण मंदिर, विष्णु मंदिर, उमादेवी (कर्णप्रयाग)।
चमोली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल :- बद्रीनाथ, हेमकुंड, फूलों की घाटी, गैरसैंण, आदिबद्री, औली, जोशीमठ, गोचर, कर्णप्रयाग, गोपेश्वर, ग्वालदम।
चमोली के कुंड :- तप्तकुंड, ऋषिकुंड, हेमकुंड, नन्दीकुंड।
चमोली की सीमा रेखा :- पूर्व में रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी, पश्चिम में बागेश्वर व पिथौरागढ़, उत्तर में चीन, दक्षिण में अल्मोड़ा व पौड़ी।
चमोली के राष्ट्रीय उद्यान :- नंदादेवी, केदारनाथ, फूलों की घाटी।
चमोली में हवाई पट्टी :- गोचर।
चमोली में बहने वाली नदियाँ :- पिंडर, अलकनंदा, नन्दाकिनी, रामगंगा, धौलीगंगा।
चमोली के पर्वत :- नीलकंठ, सतोपंत, बद्रीनाथ, नंदादेवी।
चमोली की गुफाएँ :- व्यास गुफा, राम गुफा, गणेश गुफा, मुचकुंड गुफा।
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