Trending
Thu. Oct 24th, 2024

वंशी नारायण मंदिर : चमोली में स्तिथ यह मंदिर साल में एक बार खुलता है

वंशी नारायण मंदिर

वंशी नारायण मंदिर | Banshi Narayan Temple 

वंशी नारायण मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले की उर्गम घाटी में स्थित है। यह मंदिर पंच केदारों में प्रसिद्ध कल्पेश्वर महादेव मंदिर से लगभग 12 किलोमीटर और देवग्राम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वंशी नारायण मंदिर  भगवान विष्णु को समर्पित है।  देवभूमि उत्तराखंड का यह अकेला ऐसा धाम है जो मात्र एक दिन के लिए रक्षाबंधन के दिन सूर्योदय के साथ खुलता है व सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट सालभर के लिए बंद कर दिए जाते है। 

हालाँकि,महज एक दिन के लिए खुलने वाले इस अनोखे मंदिर की प्रतीक्षा महिलाएं बेसब्री से करती हैं। रक्षाबंधन के पावन दिन पर इस मंदिर के खुलने के कारण कुवारी कन्याएं व विवाहित महिलाएं सभी भगवान नारायण को बड़ी ही धूमधाम के साथ राखी बांधती है। साथ ही सभी के कल्‍याण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

 

लोक मान्यता

वंशीनारायण मंदिर (Vanshi Narayan Mandir) छठी सदी में राजा यशोधवल के समय बनाया गया था। लोक मान्यता है कि इस मंदिर में देवऋषि नारद 364 दिन भगवान विष्णु की आराधना करते है, देवऋषि एक दिन के लिए कहीं जाते है और उसी दिन मनुष्यों को इस मंदिर में पूजा करने का अधिकार प्राप्त होता है।

इसे भी पढ़ें – पंच केदारों में पांचवे केदार कल्पेश्वर महादेव 



वंशी नारायण मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा 

 

स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद भागवत कथा के अनुसार नारायण ने राजा बलि के अहंकार को चूर करने के लिए वामन अवतार लिया और तीन पग में राजा बलि से तीनों लोकों को दक्षिणा स्वरूप मांगकर उन्हें पातळ लोक भेज दिया। राजा बलि का जब अहंकार नष्ट हुआ तो उन्होंने भी भगवान नारायण से रात दिन अपने सामने रहने के वचन मांग लिया।

राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वह उनके द्वारपाल बने। भगवान विष्णु ने राजा बलि के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और वह राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए। भगवान विष्णु के कई दिनों तक दर्शन न होने कारण माता लक्ष्मी परेशान हो गई और वह नारद मुनि के पास गई।

नारद मुनि के पास पहुंचकर माता लक्ष्मी से पूछा के भगवान विष्णु कहां पर है। नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को बताया कि वह पाताल लोक में हैं और राजा बलि के द्वारपाल बने हुए हैं।
इसे भी पढ़ें – जानिए अल्मोड़ा में स्तिथ स्याही देवी मंदिर के बारे में 

नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया, उन्होंने कहा कि आप श्रावण मास की पूर्णिमा को पाताल लोक में जाएं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दें। रक्षासूत्र बांधने के बाद राजा बलि से वापस उन्हें मांग लें। इस पर माता लक्ष्मी ने कहां कि मुझे पाताल लोक जानें का रास्ता नहीं पता क्या आप मेरे साथ पाताल लोक चलेंगे। देवऋषि नारद ने माता लक्ष्मी के आग्रह को स्वीकार कर लिया और वह उनके साथ पाताल लोक चले गए।

जिसके बाद नारद मुनि की अनुपस्थिति में कलगोठ गांव के जार पुजारी ने वंशी नारायण की पूजा की तब से ही यह परंपरा चली आ रही है। रक्षाबंधन के दिन कलगोठ गांव के प्रत्येक घर से भगवान नारायण के लिए मक्खन आता है। इसी मक्खन से वहां पर प्रसाद तैयार होता है। 

 

वंशी नारायण मंदिर से जुड़ी कुछ बातें

भगवान वंशी नारायण की फूलवारी में कई दुर्लभ प्रजाति के फूल खिलते हैं। इस मंदिर में श्रावन पूर्णिमा पर भगवान नारायण का श्रृंगार भी होता है। मंदिर में ठाकुर जाति के पुजारी होते हैं। कत्यूरी शैली में बने 10 फिट ऊंचे इस मंदिर का गर्भ भी वर्गाकार है। जहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में विद्यमान है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर की प्रतिमा में भगवान नारायण और भगवान शिव दोनों के ही दर्शन होते हैं। वंशी नारायण मंदिर में भगवान गणेश और वन देवियों की मूर्तियां भी मौजूद हैं। 



कैसे पहुंचे वंशी नारायण मंदिर

रेल मार्ग  द्वारा

जोशीमठ से हरिद्वार ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की दूरी 255 किलो मीटर है, जोशीमठ से ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित हेलंग उर्गम रोड से ट्रेक करके वंशीनारायण मंदिर (Vanshi Narayan Mandir) पंहुचा जा सकता है।

 

सड़क मार्ग  द्वारा

वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क दवारा ऋषिकेश से जोशीमठ की दूरी लगभग 255 किमी है | जोशीमठ से हेलंग घाटी लगभग 10 किमी है, हेलंग से उर्गम जीप द्वारा जाया जा सकता है । और उर्गम घाटी से से पैदल यात्रा करके देवग्राम होते हुए वंशीनारायण मंदिर पहुँच सकते है । हेलंग से उर्गम घाटी की यात्रा पर अलकनंदा और कल्पगंगा नदियों का सुंदर संगम देखा जा सकता है।

 

हवाई जहाज द्वारा

वंशीनारायण मंदिर का पास का निकटम हवाई पट्टी देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो कि ऋषिकेश से 20 किमी की दूरी पर स्थित है, ऋषिकेश से जोशीमठ तक बस, बाइक व अन्य मोटर वाहन के माध्यम से पंहुचा जा सकता है।

 

इसे भी पढ़ें – 


अगर आपको वंशी नारायण मंदिर (Vanshi Narayan Mandir) से अच्छी लगती हैं तो पोस्ट शेयर करें साथ ही हमारे इंस्टाग्रामफेसबुक पेज व  यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

Related Post

0 thoughts on “वंशी नारायण मंदिर : चमोली में स्तिथ यह मंदिर साल में एक बार खुलता है”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page