उत्तराखंड अपनी विशिष्ट कला, संस्कृति और नैसर्गिक खूबसूरती के लिए विश्वभर में जाना जाता है। इन्ही लोककलाओं में शामिल है उत्तराखंड की बरसों पुरानी रंगोली चित्रकला “ऐपण”।
ऐपण : उत्तराखंडी चित्रकला
ऐपण उत्तराखंड की एक स्थानीय चित्रकला शैली है। जो कि मुख्यतः उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में शादी-विवाह, पूजा पाठ और तीज त्यौहार जैसे धार्मिक शुभ अवसरों पर विशेष रूप से बनाई जाती है। इस चित्रकला में विभिन्न रंगो से रंगोली बनाई जाती है। ये रंगोली धार्मिक शुभ अवसरों पर विभिन्न रंगो से अलग-अलग ज्यामितीय आकारों में बनाई जाती है। जिसमे शामिल है जमीन में बनाई जानी वाली स्वस्तिक, फूल-पत्ती और लक्ष्मी के पाँव वाली आकृतियां। इसके अलावा दीवारों पर भी इसी प्रकार के ज्यामितीय डिजाइन बनाए जाते हैं। इन रंगोलियों की खासियत यह है कि इनमे प्रकृति की छाप स्पस्ष्ट रूप से दिखती है। वीडियो देखें।
इसके आलावा भारत के अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की चित्रकला देखने को मिलती है। जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे बंगाल में अल्पना, उत्तर प्रदेश में चौक पूरना, गुजरात में रंगोली, मद्रास में कोलाम, राजस्थान में म्हाराना और बिहार में मधुबनी।
ऐपण डिजाइन (Aipan Design) और इसे बनाने के तरीके
उत्तराखंड में ऐपण, कई तरह के डिजायनों से पूर्ण किया जाता है। जिसे बनाने के लिए गेरू तथा चावल के विस्वार (चावल को भीगा के पीस के बनाया जाता है ) का प्रयोग किया जाता है। जिसे महिलाएं समारोहों और त्योहारों के दौरान फर्श पर, दीवारों को सजाकर, प्रवेश द्वार, रसोई की दीवारों, पूजा कक्ष और विशेष रूप से देवी देवताओं के मंदिर के फर्श पर सजाती है। वर्तमान समय में ऐपण चित्रकला का प्रयोग कपड़ों,साड़ियों और बर्तनों के डिजाइन में बनाने में भी किया जा रहा है। जिसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।
ऐपण (Aipan) के मुख्य डिजायन हैं – चौखाने , चौपड़ , चाँद , सूरज , स्वस्तिक , गणेश ,फूल-पत्ती, बसंत्धारे,पो, तथा इस्तेमाल के बर्तन का रूपांकन आदि शामिल हैं। ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते हैं।
बनाने की विधि – ऐपण डिजाइनों को बनाने में उँगलियों और हाथों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमे उंगलियों से डिजाइन को केंद्र से बहार की और खूबसूरती से खींचा जाता है। ऐपण बनाते समय फुर्ती से उंगलियों और हथेलियों का प्रयोग करके अतीत की घटनाओं, शैलियों, अपने भाव विचारों और सौंदर्य मूल्यों पर विचार कर इन्हें संरक्षित किया जाता है।
धार्मिक शुभ अवसरों में ऐपण डिजाइन- दीपावली में लक्ष्मी चौकी तथा लक्ष्मी के पाँव / पैर बनाए जाते हैं ,शिव पूजन में शिव चौकी, गणेश पूजन में स्वस्तिक चौकी ,शादी ब्याह में धूलि अर्ग की चौकी और कन्या चौकी , मातृृ पूजन में अष्टदल कमल चौकी ,नामकरण में पंच देवताओं के प्रतीक चौकी (एक गोल चक्र में पांच बिंदु बनाये जाते हैं ) ,यज्ञोपवीत संस्कार में व्रतबंध चौकी, शिव पूजन में शिव चौकी आदि।
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