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बगजी बुग्याल | Bagji Bugyal
उत्तराखंड के चमोली जिले में कई ऐसी जगह हैं जिनका प्राकृतिक और धार्मिक रूप से बहुत महत्त्व है। फिर वो चाहे हिन्दुओं और सिखों की आस्था का केंद्र बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब हों या रंग बिरंगी फूलों से सजी “फूलों की घाटी “, प्रकृति ने हमेशा से ही इस क्षेत्र को बहुत समृद्ध किया है। यहाँ बहुत से ऐसे सुरम्य पहाड़, बुग्याल और झीलें हैं जिनकी खूबसूरती को देखने हर साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है।
पर इन सब के बाद भी बहुत सी ऐसी जगह हैं जिनके बारे में अभी भी लोग बहुत कम जानते हैं उन्हीं में से एक जगह है बगजी बुग्याल (बाघी बुग्याल) । बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) चमोली का वो अनछुआ इलाका है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। मगर बगजी बुग्याल ट्रेक पर आने वाला फिर एक और बार इस बुग्याल की तरफ खिंचा चला आता है। छोटी- छोटी मखमली घास वाले बगजी बुग्याल में प्रकृति का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है।
कहाँ है बगजी बुग्याल? | Where is Bagji Bugyal?
बागेश्वर व चमोली से लगा हुआ बगजी बुग्याल भी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का बिंदु है। बगजी बुग्याल एक खूबसूरत मैदानी क्षेत्र है, जो कि समुद्रतल से 12,000 फीट और उत्तराखंड के चमोली जिले से 3,250 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह बुग्याल लगभग 4 किमी दूर क्षेत्र तक फैला हुआ है। बगजी बुग्याल की पैदल ट्रेक घेस (Ghes) से शुरू होता है। जहाँ से 13 km की यात्रा करके इस खुले घास के मैदान में पंहुचा जाता है। घेस उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में स्थित सदाबहार वन क्षेत्र का एक छोटा सा गाँव है। यह बेदनी बुग्याल, रूपकुंड और बागी बुग्याल तक ट्रेकिंग का भी आधार है। बगजी बुग्याल के इस पूरे ट्रेक में पर्यटकों को 22 से 24 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यहाँ एक छोटा-सा गाँव है हिमनी जो कि 2600 मीटर की ऊंचाई पर बसा है जहाँ से बर्फ़ से ढ़की त्रिशूली ग्लेशियर, नंदा घुंगटी और बाघी बुग्याल के सुंदर नज़ारे दिखाई देते है।
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बगजी बुग्याल में क्या है खास? | What is special about Bagji Bugyal?
बगजी बुग्याल ट्रेक (Bagji Bugyal trek) हरे-भरे घास के मैदानों के ऊपर प्रकृति के खूबसूरत रंगों को अपने में समाये हुए है। बगजी बुग्याल में जंगली फूलों की एक विशाल प्राकृतिक गैलरी और हिमालय पेड़ों की विभिन्न प्रजातियाँ है। जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहाँ से प्रकृति की बेजोड़ खूबसूरती देखते ही बनती है। अगर कुछ पाने की तलाश में प्रकृति की तरफ रुख किया है तो ये खूबसूरत नजारे आपको दौड़ती भागती जिंदगी से कुछ पल सुकून जरूर देगा। 4 km तक फैले इस मखमली घास के मैदान में लेट कर तारों को देखने का मजा ही कुछ और है।
बगजी बुग्याल में पर्यटकों को सबसे ज्यादा प्रभावित सतोपंथ, चौखंभा, त्रिशूल पर्वत और नंदा घुंगटी जैसी चोटियाँ करती है। सुबह-सुबह इन चोटियों पर सूरज की पहली किरण की स्वर्णिम रंगों को देख कर ऐसा लगता है जैसे पृथ्वी पर स्वर्ग आ गया हो। यहाँ पौधे एक निश्चित ऊँचाई तक ही बढ़ते है। यही कारण है कि इन पर चलना बिल्कुल मखमली गद्दे पर चलना जैसे लगता है। और इनपर लेट कर उस आनंद की अनुभूति एक सच्चा ट्रेकर ही समझ सकता है। चमोली का यह इलाका कई दुर्लभ जानवरों और पक्षियों का बसेरा है। अगर किस्मत अच्छी रही तो बगजी बुग्याल ट्रेक पर आपको कस्तूरी हिरनका झुण्ड या मोनाल की सुंदर काया देखने को मिल सकती है। फोटोग्राफर, ट्रेकर या प्रकृति प्रेमी यह इलाका किसी स्वर्ग से काम नहीं है।
बगजी बुग्याल में पहले था बाघों का राज
बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) के इस नाम के पीछे भी एक अनोखी कहानी है। कहते हैं जहाँ यह बुग्याल आज है वहां 60-70 साल पहले समय बाघ मैदानी इलाकों में खुलेआम घूमते थे। इसलिए इस जगह का नाम बगजी बुग्याल या बाघी बुग्याल पड़ा था। परन्तु दुर्भाग्य से अब बाघ ग़ायब हो गए।
बगजी बुग्याल जैसे तुंगनाथ बुग्याल, क्वारी बुग्याल , मोठ बुग्याल आदि ऐसे ही जाने कितने बुग्याल है जिनके बारे में गढ़वाल और गढ़वाल के बाहर के लोगों को अभी तक नही पता है। इन बुग्यालों की सुंदरता को केवल प्रकृति के समीप जाकर ही महसूस किया जा सकता है।
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कैसे पहुंचे बगजी बुग्याल? | How to reach Bagji Bugyal?
- दिल्ली – देहरादून/ऋषिकेष/हरिद्वार/काठगोदाम (रेलमार्ग द्वारा)
- ऋषिकेश – घेस (255 km)
- काठगोदाम – घेस (210 km)
- घेस – दयालखेत ( 5 KM/ 4 HRS Trek)
- दयालखेत – बगजी टॉप (3200 m)
बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) आने के लिए आप उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों रूट का सहारा ले सकते हैं। गढ़वाल में आप दिल्ली से ऋषिकेष / हरिद्वार / देहरादून आदि रेलमार्ग से पहुंच सकते हैं। जहाँ से चमोली और चमोली से घेस तक की दूरी सड़क मार्ग द्वारा तय करनी होगी। वहीँ आप बगजी बुग्याल के लिए कुमाऊं के काठगोदाम रेलमार्ग द्वारा और कोठगड़ाम से घेस तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं। बगजी बुग्याल का पहला पड़ाव घेस से ही शुरू होता है। और यहाँ से ही ट्रेक करके पहले दयालखेत और फिर दयालखेत से बगजी बुग्याल की छोटी तक पंहुचा जाता है।
बगजी बुग्याल आने का अच्छा समय | Best time to visit Bagji Bugyal
बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितम्बर से अक्टूबर होता है। जून और सितम्बर के मध्य चारों तरफ बस हरियाली ही हरियाली देखने है। बगजी बुग्याल के उस वक्त का नजारा मन को वसीभूत कर देता है। और वहीँ अप्रैल से जून के समय चारो और नयी कोपलें उग रही होती हैं ये दोनों ही समय में बगजी बुग्याल से प्रकृति के रंगों को कैद किया जा सकता है।
नोट :- अगर आपका बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) आने तो इन तय समयों में ही यात्रा कीजियेगा क्यूंकि लोग अभी बगजी बुग्याल से काम परिचित हैं तो लोकल गाइड का सहारा लीजियेगा। अगर आप लोकल गाइड से संपर्क करना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में जानकारी ले सकते हैं।
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