Uttarakhand

Uttarakhand Hill State | उत्तराखंड एक परिचय

उत्तराखंड कहाँ है ? | where is Uttarakhand in hindi ?

देवभूमि के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखंड

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(Uttarakhand) भारत का एक उत्तरीय पहाड़ी राज्य है। यह भारत का 27वाँ और हिमालिय क्षेत्र का 11वाँ राज्य हैं। यहाँ पर हिन्दू देवी-देवताओँ के बहुत सारे मंदिर स्थित हैं। राज्य को दो हिस्से गड़वाल और कुमाऊं में बंटा गया है। उत्तराखंड राज्य का नाम संस्कृत शब्दों के मेल से बना है उत्तर (Uttara) और खण्ड (Khand) को मिलाकर उत्तराखंड बनाया गया है। उत्तर का मतलब उत्तर दिशा से है और खंड का मतलब होता है भूमि से, जिसका पूरा मतलब हुआ उत्तर की भूमि या उत्तर दिशा की तरफ बसी भूमि।वैदिक पुराणों में भी उत्तराखंड का उल्लेख मिलता हैं। हिन्दू शास्त्रों में उत्तराखंड राज्य के कुमाऊँ को मानसखंड और गढ़वाल को केदारखंड के नाम से दर्शाया गया है। पुरातत्व सबूतों के आधार पर यह पता चला है की प्राचीन काल से ही उत्तराखंड में मानवों का वास रहा है।


उत्तराखंड उत्तरप्रदेश से कब अलग हुआ ? | When did Uttarakhand separate from Uttar Pradesh?


उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य से अलग होकर हुई। उत्तराखंड का नाम पहले उत्तराँचल था। 1 जनवरी 2007 को इसका नाम बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तराखंड के पूर्व में नेपाल , पश्चिम हिमांचल , उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में उत्तर प्रदेश स्थित हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा शहर है।


उत्तराखंड की राजधानी | Capital of Uttarakhand

उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद देहरादून को उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी बनाया गया। मगर उत्तराखंड का निर्माण जिस बुनियाद और जिन पहाड़ो के विकास के लिए हुआ था देहरादून के अस्थाई राजधानी बनते ही फिर गर्म हो गयी। लोग गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग पूर्व में रही सभी सरकारों से करते रहे। जिसके चलते उत्तराखंड की स्थापना के बीस बरस बाद साल 2020 में गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई गयी। हलांकि यह भी एक अस्थाई राजधानी है जिसके चलते लोग इसको स्थाई बनाने की मांग कर रहे हैं । अतः उत्तराखंड 2  अस्थाई राजधानी वाला राज्य बन गया है।  जिसमे  देहरादून उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी है और गैरसैण उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। 


उत्तराखंड का क्षेत्रफल कितना है? | What is the area of ​​Uttarakhand?


यह भारत का 27वाँ राज्य है, जो 28º43’ से 31º27’ उत्तरी अक्षांशों तथा 77º34’ से 81º02’ पूर्वी देशांतर तक है। इसका सम्पूर्ण क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का 1.69% है और क्षेत्रफल की दृष्टी से भारत का 18वाँ राज्य है।


उत्तराखंड के प्रसिद्ध आंदोलन | Famous movements of Uttarakhand 


उत्तराखंड कई आंदोलनों की वजह से भी विख्यात है जैसे चिपको आंदोलन जो की पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए चलाया गया था। यह आंदोलन पहाड़ की महिलाओं द्वारा चलाया गया था। कुछ और आंदोलन जैसे कुली बेगार आंदोलन, डोला पालकी आंदोलन आदि भी प्रमुख आंदोलन रहे हैं। उत्तराखंड में हुए सभी आंदोलनों के बारे में पढ़ें।


उत्तराखंड में कितने जिले हैं ? | How many districts are there in Uttarakhand?


उत्तराखंड राज्य में प्रशासनिक दृष्टी से उत्तराखंड में 13 जनपद हैं। उत्तराखंड की कुल जनसंख्या 1,00,86,349 (जनगणना 2011 के आधार पर) है, जो कि देश की कुल जनसंख्या का 0.83% है। उत्तराखंड को दो मंडलों में बांटा गया है। कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल। दोनों मंडलों को मिला कर उत्तराखंड के कुल जिलों की संख्या 13 है।

उत्तराखंड में स्तिथ कुल जिले निम्न हैं।

1 पिथौरागढ़
2 अल्मोड़ा
3 बागेश्वर
4 चम्पावत
5 नैनीताल
6 उत्तरकाशी
7 उधम सिंह नगर
8 टिहरी गढ़वाल
9 रुद्रप्रयाग
10 पौड़ी गढ़वाल
11 हरिद्वार
12 देहरादून
13 चमोली

उत्तराखंड के 86 प्रतिशत भाग पर पहाड़ एवं 65 प्रतिशत भाग पर जंगल पाए जाते हैं। स्वतंत्रता के समय भारत में केवल एक ही हिमालयी राज्य ‘असम’ था। उसके बाद जम्मू और कश्मीर दूसरा तथा तीसरा राज्य नागालैण्ड बना ऐसे ही उत्तराखंड 11वाँ हिमालयी राज्य बना। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें उत्तराखंड राज्य की भोगोलिक संरचना।
उत्तराखंड भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी आधिकारिक भाषा संस्कृत है। उत्तराखंड राज्य में प्रमुखतः हिंदी भाषा बोली जाती है ये भी आधिकारिक भाषा है। साथ ही कुमाउनी तथा गढ़वाली का भी प्रयोग किया जाता है अन्य कई बोलियों का प्रयोग भी होता है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें उत्तराखंड की बोलियाँ एवं भाषाएँ।


Uttarakhand के बारे में जानकारी | Information about Uttarakhand

 

उत्तराखंड (1 जनवरी 2007 से पूर्व उत्तराँचल) की स्थापना – दिनांक 9 नवम्बर सन 2000
उत्तराखंड का उपनाम – देवभूमि
उत्तराखंड की राजधानी – देहरादून
उत्तराखंड का क्षेत्रफल – 53,483 वर्ग किलोमीटर
भारत के कुल क्षेत्रफल का – 1.69%
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के सभी राज्यों के बीच स्थान – 18 वाँ राज्य
उत्तराखंड में जनपदों की संख्या – 13 जनपद
२०११ की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड राज्य की कुल जनसंख्या – 1,00,86,349
उत्तराखंड की जनसंख्या, भारत देश की कुल जनसंख्या का – 0.83% है
उत्तराखंड राज्य का हाइकोर्ट स्थित है – नैनीताल में
क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ी सिटी – देहरादून
आधिकारिक भाषा – हिंदी, संस्कृत
२०११ की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात – 963/1000 (स्त्री/पुरुष)


आधिकारिक वेबसाइट – www.uk.gov.in


 

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Deepak Bisht

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  • […] उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्तिथ केदारनाथ मंदिर का इतिहास बताता है कि श्री केदारनाथ का मन्दिर पांडवों का बनाया हुआ प्राचीन मन्दिर है । जो द्वादश ज्योतिलिंगों में एक है । समस्त धार्मिक लोग सर्वप्रथम केदारेश्वर ज्योतिलिंग के दर्शन करने के पश्चात् ही बद्रीनाथ के दर्शन करने जाते हैं । श्री केदारनाथ मन्दिर बहुत ही भव्य और सुन्दर बना हुआ है । पौराणिक कथा के आधार पर केदार महिष ( भैसा ) रूप का पिछला भाग है । द्वितीय केदार मद्महेश्वर में नाभि , तुङ्गनाथ में बाहु और मुख रुद्रनाथ में तथा कल्पेश्वर में जटा है । यही पंचकेदार कहे जाते हैं । […]

  • […] उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है।  यहाँ कई खूबसूरत झीलें, पहाड़ और बुग्याल हैं जो प्रयटकों को अपनी और खींचते हैं।  कई फेमस ट्रेक भी हैं जिनकी पगडंडियों पर चलने के लिए भारत के कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहाँ पहुंचते हैं।  बस प्रकृति के बीच कुछ पल बिताने और यहाँ की खूबसूरती को समेटने मगर बहुत सी अज्ञात (unexplored) जगह भी हैं जिनके खोजै गया है या जहाँ पर्यटन बहुत कम है।  उसी में एक ट्रेक है मूर  बुग्याल ट्रेक। […]

  • […] उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां के कण-कण में देवी देवताओं का वास माना जाता है। उत्तराखंड के हर क्षेत्र में आपको कहीं न कहीं पर कोई न कोई देव या देवी का मंदिर अवश्य देखने को मिलेगा। जो अपने चमत्कारों के लिए खासा जाना जाता है । ठीक ऐसा ही एक मंदिर माँ ज्वाल्पा देवी का है। जो कि उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल में स्थित है और यह मंदिर उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे भारत में प्रसिद्ध है। कहते हैं की माँ ज्वाल्पा देवी के जो एक बार दर्शन कर ले फिर वो खाली हाथ नहीं लौटता। […]

  • […] उत्तराखंड की सुंदरता और यहाँ के ताल / झीलों से सभी परिचित हैं।  यहाँ मौजूद खूबसूरत झील किसी का भी मन मोह सकती है। इनमें बहुत से ऐसे ताल/झील हैं जहाँ वर्ष भर खासा पर्यटक आते रहते हैं मगर कुछ ऐसे भी ताल हैं जो अभी भी लोगों की नजरों से दूर प्रकृति की गोद में हैं।  ऐसी एक झील रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में त्यूड़ी गांव से मोठ बुग्याल ट्रेक में पड़ता है।  नाग ताल चारों और से वृक्षों से घिरा है। जो नाग ताल की सुंदरता पर चार चाँद लगा देता है। अभी तक आपने रुद्रप्रयाग में वासुकी ताल, देवरिया ताल, बधााणी ताल आदि के बारे में सुना होगा मगर कुछ ऐसे भी ताल हैं जो आपकी नजरों से ओझल हैं उनमे बिसुरी ताल (विस्वणी ताल), नाग ताल, अंगरा ताल आदि हैं। […]

  • […] उत्तराखंड के चमोली जिले में कई ऐसी जगह हैं जिनका प्राकृतिक और धार्मिक रूप से बहुत महत्त्व है।  फिर वो चाहे हिन्दुओं और सिखों की आस्था का केंद्र बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब हों या रंग बिरंगी फूलों से सजी “फूलों की घाटी “, प्रकृति ने हमेशा से ही इस क्षेत्र को बहुत समृद्ध किया है। यहाँ बहुत से ऐसे सुरम्य पहाड़, बुग्याल और झीलें हैं जिनकी खूबसूरती को देखने हर साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है।  पर इन सब के बाद भी बहुत सी ऐसी जगह हैं जिनके बारे में अभी भी लोग बहुत कम जानते हैं उन्हीं में से एक जगह है बगजी बुग्याल (बाघी बुग्याल) । बगजी बुग्याल (Bagji Bugyal) चमोली का वो अनछुआ इलाका है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं।  मगर बगजी बुग्याल ट्रेक पर आने वाला फिर एक और बार इस बुग्याल की तरफ खिंचा चला आता है।  छोटी- छोटी मखमली  घास वाले बगजी बुग्याल  में प्रकृति का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। […]

  • […] उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में स्थित सिद्धपीठ माँ कुंजापुरी देवी का मंदिर है जो कि प्रसिद्ध 51 सिद्धपीठों में एक है। यह भव्य मंदिर ऋषिकेश और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग नरेन्द्र नगर के पास स्थित है। ऋषिकेश से यह मंदिर 25 किमी की दूरी पर है। यह मंदिर समुद्र से 1,676 मीटर की ऊंचाई और टिहरी गढ़वाल ज़िले में पहाड़ों की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर सिद्धपीठों के त्रिकोण को भी पूरा करता है सुरकण्डा देवी, कुंजापुरी देवी और चन्द्रबदनी। […]

  • […] उत्तराखंड अपनी धर्म और आस्था के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यहाँ मौजूद मंदिरों की संख्या से जाना जा सकता है कि लोगों कि भगवान में आस्था कितनी है। और उन्हीं में सबके आराध्य हैं भगवान शिव। शिव जो कैलाश के वासी हैं। शिव जो हिमालय के इस भू-भाग के स्वामी और आराध्य हैं। बिना शिव के उत्तराखंड कि कल्पना कितनी खोखली है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ मौजूद पाँच केदारों के दर्शनों के लिए हर बार भक्तों का तातां लगा रहता है। और उन्हीं मंदिरों में मौजूद है कैलाश वासी शिव का तुंगनाथ मंदिर। […]

  • […] उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर स्थित है, लैंसडाउन (Lansdowne)। यह गढ़वाल रेजिमेंट के पराक्रमी सैनिकों को तैयार करने वाली छावनी है। जो घूमने की हिसाब से बेहद खूबसूरत हिल है। यहां का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है । हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है । दरअसल , इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था । खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है । आप 8-10 घंटे में लैंसडाउन पहुंच सकते हैं । अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में एंट्री करने के बाद मेरठ , बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुंच सकते हैं । गढ़वाल राइफल्स का गढ़ खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था । उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया । वैसे , इसका वास्तविक नाम कालूडाला है । यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है । आप यहां गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं । यहां गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं । म्यूजियम शाम के 5 बजे तक खुला रहता है । इसके करीब ही परेड ग्राउंड है , जिसे आम टूरिस्ट बाहर से ही देख सकते हैं । वैसे , यह स्थान स्वतंत्रता आदोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है । […]

  • […] उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ के रांसी से 18 किमी की दूरी पर शिव का एक प्रमुख धाम स्थित है। जो मध्यमहेश्वर के नाम से जाना जाता है। स्थानिय भाषा में मदमहेश्वर के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर पूर्व में मध्यमाहेश्वर के नाम से प्रचलित था। शिव के बैल रुप‌ के मध्य भाग यानि नाभि की इस स्थान में पूजा अर्चना की जाती है। जो कालांतर में मदमहेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। हालांकि मद का अर्थ नशे से है। […]

  • […] उत्तराखंड की प्रसिद्ध शक्ति पीठ माँ बाराहीधाम (देवीधूरा) जो कि चंपावत जिले में स्थित है। यह प्रतिवर्ष अगस्त माह में बग्वाल मेले का आयोजन होता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण रक्षा बन्धन के दिन आयोजित बग्वाल है। जो कि एक प्रकार का पाषाड़ युद्ध है। इस अवसर में रिंगाल की छतरी को ढाल के रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे की पत्थरों के वार से बचा जा सके। मान्यता है कि इस युद्ध में एक व्यक्ति के शरीर के रक्त के बराबर, रक्त बह जाने पर ही देवी माँ प्रसन्न हो जाती है। […]

  • […] उत्तराखंड की वादियों का नशा कुछ ऐसा है जो यहां आता है यहीं का होकर रह जाता है। सुन्दर झरने, नीला आसमान, बदन को छूती मद्धम हवा और बर्फीली चोटियां। ऐसा लगता है किसी ने प्रकृति के हर रंगों को निचोड़ कर एक सुंदर कविता की तरह इस पहाड़ी प्रदेश को बुना हो, मगर जब यही प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है तो इसकी भयावह तस्वीर को भूलना भी आसान नहीं होता। ऐसी ही एक तस्वीर 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा, हर उत्तराखंडवासियों के जहन में बसी है। […]

  • […] उत्तराखंड अपनी खुबसूरती के साथ लोक परंपराओं के लिये भी प्रसिद्व है। आध्यात्म ओर आस्था की तसदीक देता देवभूमि उत्तराखंड अपने लोक नृत्य, लोक जात्रा, लोक त्यौहारों के लिये पूरे देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। इन्हीें लोक जात्रां या यूं कहें लोक नृत्य में से एक है हिलजात्रा। यह एक तरीके की लोकनाट्य परंपरा है। इसमें मुखौटा पहनकर नृत्य नाटक किया जाता है। […]

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