
ब्रह्मकमल । Braham Kamal
ब्रह्मकमल (Braham Kamal): आपने अकसर कमल के पुष्पों के बारे में सुना होगा, और यह कमल पुष्प भारत के एक प्रसिद्ध राजनैतिक दल का चुनाव चिह्न भी है। कहतें हैं कि कमल कीचड़ में खिलता है और बहुत सुंदर पुष्प है। इसी कारण कमल की विवेचना हिन्दू (सनातन) धर्म के देवताओं से भी की जाती है। उदाहरणार्थ – कमल नयन यानि भगवान श्रीराम।
मगर क्या आपने उत्तराखंड और हिमालय की तलहटी में खिलने वाले बह्मकमल के बारे में जाना है। अगर नहीं जाना तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें और बह्मकमल जो कि उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी है के बारे में जाने।
बह्मकमल (Braham Kamal)
उत्तराखंड के हर भरे जंगलों से उच्च स्तरीय हिमाच्छादित पर्वतों की तलहटी में एक खूबसूरत पुष्प मिलता है। जिसे ब्रह्मकमल के नाम से जाना जाता है। यह पुष्प 4800 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलता है। बह्मकमल दिव्य सुगंध और सर्वाधिक सुंदर पुष्प है। यही नहीं पौराणिक भारतीय लेखों में भी बह्मकमल का जिक्र मिलता है।
उत्तराखंड के वासियों के लिए इसलिए भी यह पुष्प खास है क्योंकि भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा केदारनाथ के चरणों पर इस पुष्प को चढ़ाया जाता है चूंकि यह अत्यंत दुर्लभ है इसलिए इस पुष्प की महत्ता भी बढ़ जाती है।
ब्रह्मकमल की संरचना और वैज्ञानिक नाम (Structure and scientific name of Brahmakamal)
ब्रह्मकमल में बैंगनी रंग के पुष्प गुच्छ होते हैं जो श्वेत पीत पत्रों (सफेद-सुनहरे पत्तों) के आवृत्त में घिरे रहते हैं। ब्रह्मकमल की खास बात यह है कि हर मौसम में पाया जाता है। ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम Saussurea Obvallata है।
यह फूल उत्तराखंड के दुर्गम चट्टानी क्षेत्रों तथा मखमली घास से आच्छादित बुग्यालों में उगने के कारण देव पुष्प अथवा ब्रह्मकमल नाम से विभूषित है।
ब्रह्मकमल के पौधे की सामन्य तो ऊंचाई 20 सेंटीमीटर होती है। जबकि पुष्प गुच्छ 1 से 3 सेंटीमीटर लंबा होता है। विश्व भर में इस फूल की 24 से अधिक प्रजातियां पता लगाई गई है वहीं उत्तराखंड में इस फूल की 24 प्रजातियां पाई जाती हैं।
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ब्रह्मकमल का स्थानीय नाम और खिलने का समय (Local name of Brahmakamal and its blooming time)
ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में कौल पदम भी कहा जाता है। वर्षा ऋतु में यह पुष्प अपने पूर्ण यौवन पर खेल कर समस्त वातावरण को अपनी दिव्य सुगंध से सुशोभित कर देता है। प्रायः ब्रह्मकमल यानि कौल पदम साल के 12 महीने खिलता है मगर अगस्त और सितंबर के मध्य यह पूर्ण विकसित होता है।
ब्रह्मकमल का पूजा में विशिष्ट स्थान (Brahmakamal has a special place in worship)
अगस्त- सितम्बर के महीने में जब ब्रह्मकमल अपने पूरे यौवन पर होता है तभी नंदादेवी यानी नंदाष्टमी के पर्व पर इसे देवालयों में अर्पण किया जाता है साथ ही पूजा अर्चना के पश्चात इसकी पंखुड़ियां प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों की अगाध श्रद्धा के कारण ब्रह्मकमल को पवित्र पुष्प माना जाता है तथा पूजन के उद्देश्य के अतिरिक्त इसको तोड़ना वर्जित है ।
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ब्रह्मकमल के मिलने का स्थान? (Place where Brahma Kamal is found?)
ब्रह्मकमल उत्तराखंड के विशेष स्थानों पर देखने को मिलता है। यह पुष्प उत्तरकाशी में हर-की-दून, टोन्सघाटी, गंगोत्री, यमुनोत्री, टिहरी में खतलिंग हिमानी, चमोली में दयारा बुग्याल, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, रुद्रप्रयाग जनपद में केदारघाटी, नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान, रूपकुंड, बागेश्वर में कफनी, सुंदरढुंगा, पिंडारी ग्लेशियर तथा पिथौरागढ में मिलम हिमनद के पास ब्रह्मकमल की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, तथापि विश्वविख्यात फूलों की घाटी का नैसर्गिक सौंदर्य इस पुष्प को द्विगुणित हो जाता है।
ब्रह्मकमल का औषधीय महत्व (Medicinal importance of Brahmakamal)
ब्रह्मकमल (Braham kamal) पुष्प का औषधीय महत्व भी कम नहीं है। इसकी जड़ों को पीसकर उसके लेप का उपयोग हड्डी टूटने या कटे हुए भागों को ठीक करने आदि में होता है, साथ ही उदर रोगों तथा मूत्र विकार में भी यह पुष्प औषधि रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
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ब्रह्मकमल (Brahma Kamal) – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. ब्रह्मकमल क्या है?
ब्रह्मकमल (Saussurea obvallata) एक दुर्लभ और पवित्र पुष्प है, जो मुख्य रूप से उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में ऊँचाई पर पाया जाता है। इसे भगवान शिव और ब्रह्मा का प्रिय पुष्प माना जाता है।
2. ब्रह्मकमल कहाँ पाया जाता है?
यह फूल उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और तिब्बत के ऊँचाई वाले (3,500-4,500 मीटर) बर्फीले इलाकों में उगता है।
3. ब्रह्मकमल की विशेषता क्या है?
यह रात में खिलने वाला फूल है, जिसकी सुगंध बेहद मनमोहक होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसे भगवान बद्रीनाथ और केदारनाथ को अर्पित किया जाता है।
4. क्या ब्रह्मकमल का कोई औषधीय महत्व है?
हां, आयुर्वेद में इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि सूजन, ठंड और चोटों को ठीक करने में।
5. ब्रह्मकमल को उत्तराखंड में क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
यह उत्तराखंड का राज्य पुष्प है और इसे धार्मिक तथा सांस्कृतिक रूप से बहुत शुभ माना जाता है।
6. ब्रह्मकमल कितने समय तक खिलता है?
यह वर्ष में केवल मानसून के दौरान (जुलाई-सितंबर) खिलता है और कुछ ही घंटों के लिए अपनी पूर्ण सुंदरता में रहता है।
7. क्या ब्रह्मकमल को घर में उगाया जा सकता है?
नहीं, यह फूल विशेष जलवायु और ऊँचाई की जरूरत के कारण केवल हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है।
8. ब्रह्मकमल को पूजा में क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
इसे शुभ और पवित्र माना जाता है, और विशेष रूप से भगवान शिव, विष्णु और माता नंदा देवी की पूजा में इसका उपयोग किया जाता है।
9. क्या ब्रह्मकमल विलुप्त हो रहा है?
हां, जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध तोड़फोड़ के कारण इसकी संख्या में गिरावट आ रही है, इसलिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
10. क्या ब्रह्मकमल का कोई आध्यात्मिक महत्व है?
हां, इसे मोक्ष और शांति का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे देखता है, उसके जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक उन्नति आती है।
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