हर्षिल वैली | Harsil Valley
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित हर्षिल वैली (Harsil Valley) एक ऐसी जगह है जिसे उत्तराखंड का एक जीता जागता स्वर्ग माना गया है। उत्तराखंड में स्वर्ण जैसी दिखने वाली यह जगह, सम्पूर्ण उत्तराखंड वासियों के लिए ही नही बल्कि उन लोगों के लिए भी गर्व की बात है जो अपना समय प्रकृति के साथ बिताना पसन्द करते है।
हर्षिल वैली भागीरथी नदी के स्थित घने देवदार जंगलों के बीच स्थित एक छोटा-सा हिलस्टेशन है जिसकी ऊँचाई समुद्रतल से 2660 मीटर है। हर्षिल गाँव गंगोत्री के पास बसा हुआ है। जो कि प्रमुख चार तीर्थ स्थलों में से एक है। हर्षिल वैली की सुंदरता चारों तरफ घास के मैदान, बहती गंगा, ऊँचे हरे भरे पहाड़ो के साथ हिमालय की बर्फ़ीली वादियाँ साथ ही दूध की तरह बहने वाले झरने और घने देवदार के वृक्ष जो पर्यटकों को अपना दीवाना बना देते है। हर्षिल वैली में बर्ड वॉचिंग और ट्रैकिंग के साथ-साथ कई बेहतरीन जगहों पर घूमकर पर्यटक जीवन भर के लिए एक यादगार पल बना सकते हैं। हर साल यहां हजारों सैलानी घूमने के लिए आते हैं।
हर्षिल नाम कैसे पड़ा ? कैसे हुई हर्षिल वैली की खोज?
कहते है कि इस जगह में भगवान विष्णु ने हरी का रूप लिया था और भागीरथी व जलधारी नदी के तेज़ प्रभाव को कम करने के लिए भगवान विष्णु ने यहाँ पर एक पत्थर की शीला का रूप लिया था और इनके प्रचंड प्रभाव को कम किया था। शुरुआती समय में इस जगह का नाम हरिशीला हुआ करता था लेकिन बाद में एक अंग्रेजी अफ़सर फ्रेडरिक विल्सन ने इसका नाम हर्षिल रख दिया था। हर्षिल एक घाटी थी इसलिए इसे वैली कहा जाने लगा तब 1857 में इसका नाम हर्षिल वैली रख दिया गया।
सन् 1857 में जब फ्रेडरिक विल्सन ने ईस्ट इंडिया कंपनी को छोड़ दिया था तब वह गढ़वाल क्षेत्र में आये थे। जहाँ उन्होंने देखा भागीरथी नदी के तट पर एक शांत और खूबसूरत गाँव है जिसके चारों तरफ देवदार के जंगल थे। फ्रेडरिक विल्सन को यह जगह इतनी पसन्द आई कि उन्होंने यहीं बसने का निर्णय लिया और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर रहने लगें और साथ ही गढ़वाली भाषा भी सीख ली थी। उसके बाद फ्रेडरिक विल्सन ने अपना घर बसाया और एक पहाड़न लड़की से विवाह भी किया। विल्सन ने यहाँ इंग्लैंड से सेब के पौधे भी मंगवाये थे और लगायें भी थे, इसलिए यहाँ सेब की एक प्रजाति विल्सन के नाम से ही जानी जाती है। विलसन को सभी राजा विलसन के नाम से थे। इनकी कहानी भी उत्तराखंड के इतिहास में काफी दिलचस्प है। जिसे अन्य पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे।
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विल्सन के बाद हिंदी फ़िल्म अभिनेता राज कपूर भी यहाँ सन् 1985 में गंगोत्री धाम के दर्शन के लिए आये थे उन्हें भी यह जगह इतनी पसन्द आयी कि उन्होंने अपनी फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली के अधिकांश दृश्यों की शूटिंग हर्षिल वैली में ही पूरी की थी।
पर्यटकों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नही है। जो 12 महीने ठंडा रहता है। यहाँ आप 4-5 माह बर्फ़ का आनंद उठा सकते है। यह जगह इतनी ठंडी है कि बर्फ़ न होने पर भी यहाँ का मौसम ठंड का एहसास दिलाता है। पर्यटकों को लिए यह एक बेस्ट हिलस्टेशन है। यहाँ एक बार आकर आप ये कहना नही भुलेंगे की *हुस्न पहाड़ों का क्या कहना*।
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कैसे पहुंचे हर्षिल वैली | How To Reach Harsil Valley
*हवाई अड्डा*
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किमी दूर है। देहरादून हवाई अड्डे से उत्तरकाशी तक टैक्सी या बस सेवाएँ उपलब्ध है।
*ट्रैन द्वारा*
ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी जगह रेलवे स्टेशनहैं। उत्तरकाशी से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश लगभग 100 किमी है। ऋषिकेश से उत्तरकाशी बस व टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।
*सड़क मार्ग*
राज्य परिवहन की बसें उत्तरकाशी और ऋषिकेश 200 किमी के बीच नियमित रूप से चलती हैं। स्थानीय परिवहन संघ और राज्य परिवहन की बसें तथा टैक्सी उत्तरकाशी और ऋषिकेश 200 किमी, हरिद्वार 250 किमी, देहरादून 200 किलोमीटर के बीच नियमित रूप से चलती हैं। हर्षिल घाटी जिला मुख्यालय,उत्तरकाशी से 100 किमी है |
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