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10 Places to visit in Chopta Rudraprayag | चोपता में घूमने की 10 जगहें

चोपता में घूमने की 10 जगहें ( 10 Places to visit in Chopta) : उत्तराखंड अपने आप में जन्नत है गर्मी हो यहाँ सर्दी यहाँ घूमने वालों का ताँता लगा रहता है। अगर आप उत्तराखंड के सैर सपाटे पर निकले हैं, और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्तिथ लोकप्रिय पर्यटन स्थल चोपता  घूमना चाहते हैं।  तो आप सही जगह हैं क्यूंकि यहाँ आपको चोपता में घूमने की जगहें ( 10 Places to visit in Chopta) और चोपता के आसपास घूमने की जगहों के बारे में जानकारी दी जाएगी।  जिसे पढ़ के आप चोपता ट्रेवल के समय इन जगहों को एक्स्प्लोर कर सके और चोपता की सुंदर यादें अपने साथ ले जा सके।

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1. तुंगनाथ | Tungnath

अगर आप ने चोपता आने का मन बनाया है और चोपता को एक्स्प्लोर करना चाहता हैं तो सबसे पहले आपको तुंगनाथ में जाना चाहिए। भोले तुंगेश्वरमहाराज के अपनेदर्शन न किया तो क्या किया। तुंगनाथ मंदिर चोपता रोड से बस 4 किमी की चढाई पर है। इस चढाई पर चलते हुए न सिर्फ आप ट्रेक का मजा लेंगे बल्कि प्रकृति के खूबसूरत नज़रों से भी रूबरू होंगे।  तुंगनाथ सबसे उंचाई पर स्तिथ शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर समुद्रतल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर है।



जिसका निर्माण कई हजार वर्ष पुराण बताया जाता है।  कहते हैं कि जब महाभारत की लड़ाई के पश्चात पांडव कुल हत्या का पाप लगा तो वे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय की तरफ आये।  इस मंदिर का निर्माण भी पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था। यहाँ पांडवो की छोटी छोटी मूर्तियां अब भी मौजूद हैं। तुंगनाथ न सिर्फ सैर स्पाटे के लिए अच्छी जगह है बल्कि यह जगह अध्यात्म से भी जोड़ता है।  तुंगनाथ की ढलानों पर छोटे छोटी घास व् फूल उगती हैं जो किसी भी प्रकृति प्रेमी को अपनी खूबसूरती से मंत्र मुग्थ कर देती है।  यहाँ  से बादल भी मानो बहुत पास लगते हैं। और पलक झपकते ही मौसम बदल जाता है। अगर चोपता आकर भगवान शिव के तुंगनाथ के दर्शन न किया तो क्या किया।

 

2. चंद्रशिला | Chandrashila

चोपता में घूमने की 10 जगहों ( 10 Places to visit in Chopta) में अगला पड़ाव है चंद्रशिला। चंद्रशिला, चन्द्रनाथ पर्वत पर तुंगनाथ से 1.5 किमी की ऊंचाई पर स्तिथ है।  चंद्रशिला का ट्रेक करते वक़्त आपको रास्ते में जंगली हिरन / हिमालयन तहर दिख सकते हैं।   हिमालयन तहर एक दुर्लभ प्राणी हैं  हिमालयी क्षेत्र में ही मौजूद मिलते हैं।



इसके साथ साथ आपको कई रंग बिरंगी और सुंदर पक्षियां देखने को भी मिल सकती हैं। चंद्रशिला चन्द्रनाथ पर्वत के टॉप पर स्तिथ है जहाँ से प्रकृति और सुन्दर घाटिओं के नजारे देख सकते हैं। जून जुलाई तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद यहाँ लोगों का ताँता लगा रहता है।  वहीँ बर्फ का मजा लेने के लिए लोग सर्दियों में भी यहाँ  पहुंचते हैं।

3. दुग्लबिट्टा | Dugalbitta

चोपता में घूमने की 10 जगहों ( 10 Places to visit in Chopta), में अगला पड़ाव दुग्लबिट्टा या दुग्गलबिट्टा है। दुग्लबिट्टा या दुग्गलबिट्टा 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो यात्रियों के लिए  आकर्षण का केंद्र बन गया है। दुग्गलबिट्टा गोपेश्वर और उखीमठ को जोड़ती सड़क के किनारे है। दुग्गल बिट्टा का अर्थ है दो पहाड़ों के बीच का स्थान। जो की दुग्गलबिट्टा आकर आप स्वयं महसूस करेंगे। दुग्लबिट्टा में आप ट्रेकिंग , साइक्लिंग, बर्ड वाचिंग, फोटोग्राफी और यहाँ के ठन्डे मौसम का मजा ले सकते हैं। ये सर्दियों में बर्फ का लुत्फ़ उठाने के लिए भी उत्तम जगह है।

 

4. कंचुला खरक कस्तूरी मृग अभयारण्य | Kantula Khark Musk Deer Sanctuary

कबीर का एक दोहा है  “कस्तुरी कुंडल बसै,मृग ढूढ़ै वन माहि, ऐसे घट घट राम हैं,दुनिया देखे नाहि।” यही कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राज्य पशु भी है।  कंचुला खरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य है जहा कस्तूरी मिरग के साथ अन्य जंगली पशुओं का प्रजनन केंद्र भी है।  क्यूंकि तुंगनाथ का इलाका केदारनाथ वन्य जीव संरक्षण के अंतर्गत आता है अतः आप यहाँ उत्तराखंड के दुर्लभ जीवो को देख सकते हैं।  यह चोपता गोपेश्वर रोड पर चोपता से 7 किमी की दूरी पर स्तिथ है।



5. सारी गांव | Sari Village

सारी गावं चोपता-उखीमठ रोड पर स्तिथ है जहाँ से देवरिया ताल का पैदल ट्रेक शुरू होता है।  यह गांव प्रकृति की मनमोहक छटा को संजोये हुए है और बहुत ही सुन्दर है। अगर आप उत्तराखंड के दुर्गम सुदरवर्ती इलाकों में वक़्त बिताना चाहते हैं जिसकी रोड से भी कनेक्टिविटी हो तो आपको सारी गांव में 1-2 दिन ठहरना चाहिए। इससे आपको न सिर्फ पहाड़ों के लोगों को करीब से जानने का मौका मिलेगा बल्कि विषम परिस्तिथि के सामने जीवन जीने का भी अंदाज आ जायेगा। मेरी सलाह है आप यहाँ घूमने के लिहाज से कम यहाँ के सामाजिक जीवन को जानने आये तो बेहतर।

6. देवरिया ताल | Devariyatal

चोपता में घूमने की 10 जगहों (10 Places to visit in Chopta) में अगला स्थान देवरिया ताल का है। देवरिया ताल चोपता- उखीमठ रोड पर स्तिथ सारी गांव से लगभग 3 की ऊंचाई पर स्तिथ है।  यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्तिथ सबसे ऊंचाई  झील है जो बांज बुराँस के जंगल से घिरा है।  ये ताल देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है।  सर्दिओं में इसके सामने स्तिथ चौखम्भा पर्वत की छाँव जब पानी पर बनती है तो वो नजारा देखते  ही बनता है।  देवरिया ताल में ना सिर्फ एक सुंदर घूमने की जगह है बल्कि आप यहाँ कैंपिंग और हाईकिंग का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं।

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7.रोहिणी बुग्याल | Rohini Bugyal

रोहिणी बुग्याल देवरिया ताल से 8 किमी के उतार चढ़ाव वाले ट्रेक पर स्तिथ है।  अगर आप पर्वतों के और करीब आना चाहते हैं और उनकी गोदी में सर रख कर मखमली घास में सोना चाहते हैं तो आप रोहिणी बुग्याल हो आइये। रोहिणी बुग्याल एक छोटा सा मैदान है, लेकिन एक सुंदर शिविर है, जो हिमालय की चोटियों के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।  आप यहाँ से 2,650 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ झांडी धार से  केदार डोम और चौखम्बा चोटियों का दृश्य देखकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। आप यहाँ से पैदल ट्रेक करते हुए चंद्रशिला तक भी पहुँच सकते हैं।

 

8. बिसुरीताल | Bisurital

चोपता में घूमने की 10 जगहों (10 Places to visit in Chopta) में अगला नाम बिसुरीताल का है। बिसुरीताल का नाम आपने शायद कम सुना होगा। इसकी वजह है इसका काफी ऊंचाई पर और सड़क से काफी दूर स्तिथ होना। बिसुरीताल/बिसुरीधार की ऊँचाई 4100 मीटर है और यह चोपता से  60 किलोमीटर के ट्रेक पर स्तिथ है। बिसुरीताल के लिए ट्रेक हरे-भरे जंगलों, नदी की धाराओं, झरनों, अल्पाइन घास के मैदान और पहाड़ी वन्य जीवन  मनोरम झलकियां दिखाता है।



बिसुरीताल एक संकरी राह है और जिसके लिए भी अब ट्रेकर दूर दूर से यहाँ जाने लगे हैं, यह अन्य  ट्रेक की तुलना में एक कठिन ट्रेक है। लोकल गाइडों के अनुसार बिसुरीताल झील में कई औषधीय गुण छुपे हैं। वहीँ इसके पानी में  स्नान करने से त्वचा संबंधी कई समस्याएं ठीक हो जाती हैं। ये एक सुनसान ट्रेक है बिना लोकल गाइड के आप यहाँ जाने की न ही सोचे तो बेहतर।

 

9. ओमकारेश्वर |Omkareshwar Temple

उखीमठ से चोपता गुजरते वक़्त, उखीमठ में स्तिथ भगवान ओम्कारेश्वर के दर्शन करना मत भूलियेगा। ओम्कारेश्वर मंदिर सड़क मार्ग के निकट स्तिथ है। यहाँ सर्दियों में कपाट बंद होने पर भगवान शिव की केदार और मद्महेश्वर की डोली की पूजा अर्चना होती है।  इस मंदिर के पीछे कहा जाता है की यहाँ भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध और बाणासुर की बेटी उषा का विवाह हुआ था।  अपनी चोपता यात्रा में इस मंदिर के भी आप दर्शन अवश्य कीजियेगा।

 

10. कालीमठ | Kalimath

कालीमठ उखीमठ आते वक़्त कुंड से गुप्तकाशी-केदारनाथ मार्ग से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्तिथ है।  यहाँ माँ काली का एक भव्य मंदिर है जिसके पीछे की कहानी है की यहाँ से ही माँ काली धरती में समाकर अंतरध्यान हो गयी थी। इस मंदिर का भी उत्तराखंड की संस्कृति में विशेष महत्त्व है।

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हरिद्वार का इतिहास 


 

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Deepak Bisht

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