Khait Parvat Uttarakhand: उत्तराखंड में कई रहस्यमयी स्थान हैं, जो अपनी धार्मिक आस्थाओं, प्राचीन कथाओं और अनसुलझे रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक अनोखी और रहस्यमयी जगह है खैट पर्वत (Khait Parvat)। यह पर्वत न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके बारे में कई लोककथाएं और चमत्कारी घटनाएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि यह स्थान परियों का निवास स्थल है, जो स्थानीय भाषा में “आंछरी” कहलाती हैं।
खैट पर्वत का रहस्य और लोक मान्यताएं (The secret and folk beliefs of Khat mountain)
खैट पर्वत उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगती। मान्यता है कि इस पर्वत पर रहने वाली परियां गांव की रक्षा करती हैं। यहां का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इस इलाके में सालभर फूल और फल खिले रहते हैं, लेकिन अगर इन्हें किसी अन्य स्थान पर ले जाया जाए तो वे तुरंत खराब हो जाते हैं।
एक और रहस्यमयी बात यह है कि यहां अपने आप अखरोट और लहसुन की खेती होती है, जबकि इस ऊंचाई पर ऐसा होना आमतौर पर संभव नहीं है। पर्वत की रहस्यमयी शक्तियों को समझने के लिए अमेरिका की मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यहां शोध भी किया और पाया कि यहां कुछ अदृश्य ऊर्जा का प्रभाव है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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खैट पर्वत और जीतू बगड़वाल की कहानी (Story of Khat Parvat and Jeetu Bagdwal)
उत्तराखंड में जीतू बगड़वाल की कहानी काफी प्रसिद्ध है। लोककथाओं के अनुसार, जीतू अपनी बांसुरी की मीठी धुन से परियों को आकर्षित करता था। एक दिन जब वह जंगल में अपनी बांसुरी बजा रहा था, तो परियां उसकी धुन पर मोहित होकर उसके सामने आ गईं और उसे अपने साथ ले गईं। कहा जाता है कि जीतू को फिर कभी किसी ने नहीं देखा।
खैटखाल मंदिर: परियों का मंदिर (Khatkhal Temple: Fairy Temple)
खैट पर्वत पर खैटखाल मंदिर स्थित है, जिसे रहस्यमयी शक्तियों का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर परियों को समर्पित है और स्थानीय लोग इसे “आंछरी मंदिर” भी कहते हैं। यहां हर साल जून महीने में एक भव्य मेला लगता है, लेकिन खास बात यह है कि परियों को तेज शोर और चमकीले रंग पसंद नहीं होते, इसलिए मेले में ज्यादा ध्वनि या चमक-दमक की अनुमति नहीं होती।
राजा आशा रावत और आंछरी बनने की कथा
किंवदंती के अनुसार, राजा आशा रावत की रानी देवा ने नौ बेटियों को जन्म दिया, जिनका नाम कमला रौतेली, देवी रौतेली, आशा रौतेली, वासदेइ रौतेली, इगुला रौतेली, बिगुल रौतेली, सदेइ रौतेली, गरादुआ रौतेली और वरदेइ रौतेली था। ये सभी बालिकाएं असाधारण रूप से सुंदर थीं। एक दिन जब वे जल स्रोत पर पानी भरने गईं, तो देखा कि गांव में अंधेरा छाया हुआ है जबकि खैट पर्वत पर सूर्य की रोशनी फैली हुई है। इस रहस्य की तलाश में जब वे खैट पर्वत पहुंचीं, तो वे सभी आंछरी (परियां) बन गईं। तब से यह मान्यता है कि वे आज भी इस पर्वत पर परियों के रूप में निवास करती हैं।
खैट पर्वत का अद्भुत रहस्य
खैट पर्वत के बारे में कई रहस्यमयी बातें प्रचलित हैं, जैसे –
- फल-फूलों का खराब हो जाना – यहां के फल और फूल दूसरी जगह ले जाने पर खराब हो जाते हैं।
- अखरोट और लहसुन की रहस्यमयी खेती – बिना किसी मानवीय प्रयास के यहां अपने आप अखरोट और लहसुन की खेती होती है।
- ओखलियों का दीवारों पर होना – आमतौर पर अनाज कूटने के लिए इस्तेमाल होने वाली ओखलियां समतल ज़मीन पर बनाई जाती हैं, लेकिन खैट पर्वत पर ये ओखलियां दीवारों पर बनी हुई हैं।
खैट पर्वत न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है, बल्कि अपने रहस्यों और परियों की कथाओं के कारण भी विशेष महत्व रखता है। जो भी यहां जाता है, वह इसकी रहस्यमयी शक्ति को महसूस करता है। इस पर्वत की कहानियां वैज्ञानिक और आध्यात्मिक जगत के लिए हमेशा शोध और आकर्षण का विषय बनी रहेंगी।
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