आप चारधाम यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं ? तो अगर आपने माॅ भगवती माॅ धारी के दर्शन नही किये तो आप चारों धामों के फल से वंचित हो सकते हैं। आखिर क्यों कहा जाता है माॅ धारी को चारों धामों की रक्षक देवी बताते हैं आपको-
धारी देवी का इतिहास | History of Dhari Devi Temple
देवभूमी उत्तराखण्ड़, जहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। यहाँ स्थित है चार धाम “गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ“। प्रत्येक साल लाखों श्रद्वालु यहाॅ पहुॅचते हैं। मान्यता है कि चारधाम की यात्रा का फल तब तक नहीं मिलता जब तक कि आपने माॅ धारी के दर्शन नहीं किये। बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर श्रीनगर से 15 किमी दूर कलियासौड़ में स्थित है चारों धामों की रक्षक माँ धारी देवी का मंदिर। धारी देवी का मंदिर यहाॅ अलकनंदा नदी के बीचों बीच पानी के ऊपर बना हुआ है। माना ये भी जाता है की 16 जून 2013 की आपदा के पीछे माॅ धारी देवी का ही क्रोध था। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार धारी देवी के इस मन्दिर का इतिहास 300 हजार वर्ष पुराना है। इसे पढ़ें – पौड़ी में स्तिथ देवी का यह प्राचीन मंदिर है जमीन के नीचे ..भक्तों का करती है कल्याण
कहा जाता है कि माॅ धारी देवी का मन्दिर धारी देवी गाव मे द्वापर युग से है। इसी स्थान पर स्वर्ग की यात्रा करने निकले पाण्डवांे ने अपने पित्रो के पिंण्ड रखे थे वे इसी स्थान पर मा धारी की पुजा अर्चना कर कैलाश पर्वत की ओर निकल चले थे। हालांकि इस बात का लिखित प्रमाण तो नही मिलता क्योकि इन सभी से जुडे हुए लिखित दस्तावेज श्रीनगर मे आई 1894 की बाढ मे बह गये थे।
लोगों का मानना है कि माँ धारी देवी की प्रतीमा के हटाने के कारण आयी 2013 की बाढ़
कई बार विनाशकारी बाढ़ का सामना करने के बावजूद भी माँ अपने स्थान पर अडिग रही। लेकिन 2013 में मूर्ती को मूल स्थान से हटाने के बाद कुछ ऐसा भयावह हुआ जिसका साक्षी हर कोई बना। दरअसल अलकनंदा नदी पर बन रहे जीवीके जलविद्युत परियोजना के चलते मंदिर पानी के अंदर डूबने वाला था। तब पुजारियों व कम्पनी के लोगों ने मंदिर में से धारी देवी की मूर्ती को वहाॅ से अपलिफ्ट कर चार पिल्लरों पर बने मंदिर में स्थानांतरित कर दिया। मूर्ति को मूल स्थान से हटाने के कुछ घण्टों बाद ही तेज बारिश शुरू हो गई, ओर केदारनाथ मे आई भयंकर आपदा। जिसने गढवाल क्षेत्र में तबाही, हाहाकार मचा दिया। 2013 में आई इस आपदा को श्रद्वालुओं ने माॅ भगवती का क्रोध भी कहा क्योकि बिना मा धारी देवी की इच्छा के उनकी मुर्ति को बांध निर्माता कम्पनी ने अपलिफ्ट कर दिया था।
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ऐसा माना जाता है कि धारी देवी देवभूमी के सभी धामों व यहाॅ आने वाले श्रद्धालुओं की रक्षा करती हैं। इसलिए बद्रीकेदार के दर्शन से पूर्व या बाद में श्रद्वालु एक बार माॅ के दर्शन के लिए यहाॅ पर जरूर रूकते हैं।
अगर आप लोगों ने अभी तक माॅ धारी के दर्शन व मंदिर को नहीं देखा तो एक बार जरूर देखें। अब माॅ धारी का नया मंदिर पहले से भी भव्य रूप में बनकर तैयार हुआ है। मंदिर का र्निमाण कत्यूरी शैली में किया गया है। जल्द ही मां धारी विधि विधान के साथ यहां स्थानांतरित कर दी जायेगी।
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