Famous wildlife conservation in Uttarakhand Garhwal l उत्तराखंड में प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षण
जैव विवधता की दृष्टि से उत्तराखंड एक बहुमूल्य धरोहर है। इसका 65% से अधिक भाग में जंगल है यही कारण है कि यहाँ जीवों की बहुत प्रजाति देखने को मिलती है। इसी विविधता के कारण उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण की संख्या अधिक दिखती है।
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उत्तराखंड में 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्य जीव विहार, 4 संरक्षण आरक्षित, एक उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान वह एक जैव आरक्षित क्षेत्र है।
वन्य जीव गणना 2008 के अनुसार राज्य में सर्वाधिक संख्या वाला वन्य जीव चीतल 53623 और सबसे कम संख्या बालाजी भूरा भालू है । राज्य के प्रथम वन्य जीव संरक्षण का केंद्र के रुप में 1935 में देहरादून में मोतीचूर वन्य जीव विहार की स्थापना की गई थी जो कि 1983 में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में समाहित हो गया ।
Table of Contents
1- कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Corbett National Park)
1936 में राज्य के तत्कालीन गवर्नर सर हेली के नाम से स्थापित हेली राष्ट्रीय उद्यान भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का भी प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है । स्वतंत्रता के बाद इसका नाम राम गंगा नेशनल पार्क रखा गया । लेकिन वर्ष 1957 में महान प्रकृति प्रेमी जिम कार्बेट की स्मृति में इसका नाम एक बार पुनः बदलकर कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया ।
520.82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का यह उद्यान पौड़ी (312.76 वर्ग किलोमीटर ) और नैनीताल (208.8 वर्ग किलोमीटर) जिलों में विस्तृत है। इस पार्क में प्रवेश के लिए नैनीताल जनपद के ठेका ला में प्रवेश द्वार बनाया गया है । जो कि नैनीताल जिला मुख्यालय से 144 किलोमीटर दूर है यह क्षेत्र नगर पालिका रामनगर नैनीताल से काफी निकट है । इस पार्क के मध्य में पाटली दून स्थित है । 1 नवंबर 1973 को इसमें भारत का पहला भाग संरक्षित घोषित किया गया । संरक्षित क्षेत्र की घोषणा के बाद पार्क में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है । इसे हाथी परियोजना में भी शामिल किया गया है । इस बार में लगभग 570 पक्षी प्रजातियां 25 सरीसृप प्रजातियां, वह लगभग 75 स्तनधारी जीव पाए जाते हैं ।
2013 में इस पार्क के बाघों की रक्षा हेतु केंद्र की सहायता से 118 सदस्य स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (STPF) का गठन किया गया है।
2- गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान (Govind National Park)
यह उद्यान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है । इसकी स्थापना 1980 में की गई योजना 472 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है । राजाजी राष्ट्रीय उद्यान देहरादून में इस अभियान का संचालन होता है यहां भूरा भालू , कस्तूरी मिर्ग, हिम तेंदुआ , भरल और काला भालू तथा मोनाल आदि पशु-पक्षी मुख्य आकर्षण है । भोजपत्र, देवदार , बाँज , आदि वनस्पति यहां देखने को मिलती है।
3- नन्दा राष्ट्रीय उद्यान (Nanda National Park)
राज्य के चमोली जिले की सीमा पर 624 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में की गई । यह उद्यान 5431 की ऊंचाई पर स्थित है । इस उद्यान में हिमालयन भालू स्नो लेपर्ड मसूद ईयर मोनाल कसूर मेरे द्वारा दी पशु पक्षियों का बाहुल्य है । पार्क का मुख्यालय जोशीमठ में है ।
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4- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Valley of Flowers National Park)
चमोली जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूरी पर समुद्र तल से 36०० मीटर की ऊंचाई पर नर और गंधमादन पर्वत के बीच स्थित फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है। 14 जुलाई 2005 को यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की श्रेणी में सम्मिलित किया यहां पुष्पावती नदी बहती है । जोकि कामेट पर्वत से निकली है ।
यहां का मुख्य आकर्षण हजारों किस्म के पुष्प और दुर्लभ जंतु है । 87.5 किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत इस उद्यान का मुख्यालय जोशीमठ है ।
फूलों की घाटी को ढूंढने का श्रेय पर्वतारोही फ्रेंक स्माइथ को जाता है । सन 1931 में कामेट पर्वत पर चढ़ने के बाद इस्माइल गंधमादन पर्वत श्रृंखला से होकर बद्रीनाथ की ओर जा रहे थे । तो उन्हें यहां फूलों की घाटी के दर्शन हुए उन्होंने यहां व्यापक सर्वेक्षण कर पुष्पा वनस्पति पर जातियों की करीब ढाई हजार केस में ढूंढ निकाली । इनमें से करीब 250 किस्म के बीज अपने साथ विदेश ले गए ।
फ्रेंक स्माइथ की पुस्तक “द वैली ऑफ फ्लावर” प्रकाशित होने पर पूरी दुनिया का ध्यान इसकी ओर गया ।
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5- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (Rajaji National Park)
सन 1983 में स्थापित और 820.42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला राजाजी राष्ट्रीय पार्क जनपद देहरादून हरिद्वार हर पौड़ी गढ़वाल जिलों में फैला है । पार्क में 23 प्रकार के स्तनधारी हाथी शेर चीता और टाइगर नीलगाय आदि वन्य प्राणी एवं 313 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इसका मुख्यालय देहरादून है ।
6 – गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान (Gangotri National Park)
सन 1990 में स्थापित और 390 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान जनपद उत्तरकाशी में स्थित है । यह उद्यान सबसे दुर्लभ सफेद तेंदुए का भी घर है। वही यहाँ काला भालू, भूरा भालू, हिमालयन तहर (जिसे स्थानीय भाषा में घ्वीड़ कहते हैं ) का भी घर है। हिमालयी तहर कि बस तीन प्रजाति ही दुनिया में बची हैं और ये तीनो प्रजाति एशिया के हिमालय रेंज में ही मिलती है।
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