guest post Blog

उत्तराखंड के लोकगीत एवं उनका महत्त्व

उत्तराखंड के लोकगीत एवं उनका महत्त्व

लोकगीत, लोकमानस की एक तरंगायित अभिव्यक्ति होती है। लोकगीतों ने मानव विकास के सापेक्ष मानसिक विकास के द्वारा समाज में अपने अस्तित्व को मुखर किया है।  लोकगीत लोक मानस के संवेदना मालिक तत्व है।  इसमें अनुभूति तथा ज्ञान की जो लयबद्धअभिव्यक्ति  लोकगीतों के माध्यम से प्रकट होती है, वह भाव पूर्ण रूप से देखें तो जो गीत होते हैं।

गीतों का  निर्माण भाव भूमि से जुड़ा हुआ रहता है। यह वही भाव है जो कहीं कहीं ना कहीं प्रकृति के अलग-अलग रूपों में जैसे विषाद, व्यथा, वेदना हर्ष आदि के रूप में स्वतः उतर आते हैं। इनकी यही लयबध्द प्रवृत्ति ही इनको रोचक बनाती है।  हम यह कह सकते हैं कि व्यक्ति की जो सुख और दुखःआत्मक स्थितियो में जो उसके अंतरमन से जो अभिव्यक्ति फूट पड़ती है लोगों के लिए यह एक रुचिकर शैली बन जाती है, वही लोकगीत कहलाते हैं.



हमारे लोकगीतों का क्या महत्व है

जो हमारे लोकगीत हैं उनके द्वारा मनुष्य के भाव को प्रकट करने की अप्रतिम क्षमता प्रकट होती है। यह लोकगीत समाज का मनोरंजन का काम भी करते हैं।  साथ में इन गीतों में अपने समय या तत्कालीन समय को व्यक्त करने की पर्याप्त क्षमता भी होती है, लोकगीतों में  विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन मिलता है यह गीत मानव संवेदना के हर्ष विषाद सुख दुख तथा काल्पनिकता की अभिव्यक्ति करते हैं। साथ में लोकगीतों से समाज के विभिन्न जातियों ,धर्मो अनुष्ठानों तथा उनके तौर-तरीकों पर क्या प्रकाश पड़ता है, और गीतों के माध्यम से हम समाज की स्थिति को भी जान सकते है

यहां पर कुछ लोकगीतों को समझने का प्रयास करेंगे –

इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड के लोकसंगीत से परिचय 

न्यौली 
न्यौली एक कोयल प्रजाति की मादा पक्षी है और ऐसा माना जाता है कि न्यौली अपने पति के बिरहा में एक सुनसान घने जंगल में भटकती रहती है।  वैसे न्यौली का शाब्दिक अर्थ है वह नवेली यानी नई उत्तराखंड में नवेली को नई बोला जाता है यानी नई बहू को नवेली कहा जाता है। इन्हीं सुदूर घने बांज बुरांश के जंगलों में न्यौली की जो संवेदनाएं हैं उनको धरातल पर उतारने का प्रयास इन गीतो के माध्यम से किया गया है,
न्यौली का उदाहरण:

चमचम चमक छी त्यार नाकै की फूली
धार मे धेकालि छै,जनि दिशा खुली

चाँचरी:
चाँचरी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के चर्चरी से मानी जाती है। इसे नृत्य और ताल के संयोग से निर्मित गीत का जाता है और कहीं जगह पर इसे झौड़ा नाम से भी जाना जाता है।  चाँचरी प्रायः पर्व उत्सव और जो स्थानीय मेले में गाए जाते हैं। चाँचरी में गोल घेरा बनाकर  गीत गाया जाता है।  जिसमें स्त्री और पुरुष अपने पैरों एवं संपूर्ण शरीर को एक विशेष  क्रमानुसार हिलाते डुलाते नृत्य करते हैं। चाँचरी प्राचीन लोक विधा है, यह एक मनोरंजन भाव प्रधान लोकगीत है। जिससे शारीरिक तथा मानसिक लाभ होता है,
उदाहरण:
“काठ को कलिजो तेरो छम”

नोट -इसमें अंत में छम कब प्रयोग घुंघरू की आवाज का घोतक है,

इसे भी पढ़ें – घुघुतिया त्यौहार या घुघुती त्यार क्यों मनाया जाता है ?



छपेली
छपेली का अर्थ होता है तीव्र गति गति /त्वरित या द्रुत वाक शैली,
यह एक नृत्य गीत के रूप में प्रचलित है लोकोत्सव विवाह मेले आदि अन्य अफसरों पर इन नृत्य गीतों को देखा जा सकता है। छपेली में एक मूल गायब होता है और शेष समूह उसके साथ उसके गायन का अनुकरण करते हैं। इसमें स्त्री और पुरुष दोनों छपेली गाते हैं इसका मूल गायक प्रायः पुरुष होता है जो जो हुडका नामक लोक वाद्य यंत्र के साथ अभिनव करता और साथ में गीत भी गाता है।

 

सहयोग,

इस पोस्ट को हमें भेजा है विजय पंवार ने,  धन्यवाद विजय जी आपने हमें यह सुन्दर आलेख भेजा अगर आप भी उत्तराखंड के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारम्परिक चीजों पर आलेख भेजना तो हमें अपना पोस्ट मेल करें। आलेख शुद्ध भाषा में और 250 शब्दों से अधिक होना अनिवार्य है।  :))

इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड के पारम्परिक वाद्ययंत्र 


यह पोस्ट अगर आप को अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे इंस्टाग्रामफेसबुक पेज व  यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

About the author

Deepak Bisht

नमस्कार दोस्तों | मेरा नाम दीपक बिष्ट है। मैं इस वेबसाइट का owner एवं founder हूँ। मेरी बड़ी और छोटी कहानियाँ Amozone पर उपलब्ध है। आप उन्हें पढ़ सकते हैं। WeGarhwali के इस वेबसाइट के माध्यम से हमारी कोशिश है कि हम आपको उत्तराखंड से जुडी हर छोटी बड़ी जानकारी से रूबरू कराएं। हमारी इस कोशिश में आप भी भागीदार बनिए और हमारी पोस्टों को अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर कीजिये। इसके अलावा यदि आप भी उत्तराखंड से जुडी कोई जानकारी युक्त लेख लिखकर हमारे माध्यम से साझा करना चाहते हैं तो आप हमारी ईमेल आईडी wegarhwal@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमें बेहद खुशी होगी। जय भारत, जय उत्तराखंड।

1 Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page