अंग्यारी महादेव मंदिर (Angyari Mahadev Temple) : आध्यात्म और आस्था के अनूठे संगम से निर्माण होता है पावन देवभूमि उत्तराखंड का। यहां के कण-कण में निवास करते हैं भगवान भोलेनाथ । यहां के प्रत्येक पहाड़ की चोटी पर आपको कोई ना कोई शिव मंदिर मिल जाएगा। भोलेनाथ के महत्वपूर्ण पंच केदार हो या फिर छोटे बड़े मंदिर। हर किसी का अपना एक महत्त्व व पौराणिक मान्यता है। यही वजह है कि सावन के महीने में यहां के शिवालयों ओर शिव मंदिरों में श्रद्धालओं का विशाल हुजूम देखने को मिलता है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से भोलेनाथ के ऐसे ही एक पौराणिक व ऐतिहासिक मंदिर अंग्यारी महादेव मंदिर (Angyari Mahadev Temple) के बारे में बताएंगे।
घने जंगलो के बीच है अंग्यारी महादेव मंदिर
चमोली व बागेश्वर जनपद की सीमा पर स्थित अंग्यारी महादेव का मंदिर (Angyari Mahadev Temple) स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु है। यह मंदिर चमोली जनपद के ग्वालदम क्षेत्र में आता है। यहां तलवाड़ी, ग्वालदम या फिर गैरसैंण के रास्ते पहुंचा जा सकता है। सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है मुख्य रूप से आस पास के सैकड़ों गांवो के ग्रामीणों यहां पहुंचते है। साथ ही भोले के भक्त व ट्रेकिंग के शौकीन भी यहां पहुंच कर भगवान भोलेनाथ के अद्भुत रूप के दर्शन करते है। यहां पहुंचने के लिए 4 से 5 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना होता है। घने जंगल के बीचों बीच स्थित अंग्यारी महादेव मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बड़ा ही कठिन है। अमूमन भगवान शिव के मंदिर तक पहुंचने का रास्ता काफी कठनाई व दुर्गम भरा रहता है। साथ ही खड़ी चड़ाई चढ़नी होती है। लेकिन अंग्यारी महादेव मंदिर के रास्ते की बात ही कुछ अलग है। यहां पहुंचने के लिए पहले दो किलोमीटर खड़ी चढ़ाई फिर सीधा रास्ता फिर 1 किमी चड़ाई ओर फिर आधा किलोमीटर नीचे घाटी की ओर जाना पड़ता है।
फिसलन भरे रास्तों, घने बांज बुरांस के जंगलों के बीच से होकर रास्ता गुजरता है। साल का कोई भी महीना हो यहां ठंडक हमेशा बनी रहती है, सावान में यहां प्रकृति की अद्भुत छटा देखने को मिलती है। विडिओ देखें।
अंग्यारी महादेव से जुड़ी पौराणिक मान्यता | Legends Related Angyari Mahadev Temple
किवदंती है कि यहां महर्षि अंग्यारी ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने अंग्यारी महर्षि को दर्शन दिए। कहा जाता है कि उस वक़्त यहां गंगा, गोमती ओर भागीरथी नदी भी अवतरित हुई थी। वक्त के साथ धीरे-धीरे गंगा ओर भागीरथी विलुप्त हो गई, लेकिन गोमती नदी का अंश अभी भी यहां मौजूद है।
अंग्यारी महादेव मंदिर दो हिस्सो में है।
मुख्य मंदिर रास्ते के उपर और दूसरा मंदिर रास्ते के नीचे जहां पास में ही मौजूद प्राकृतिक जल स्रोत जो वर्षों से निरंतर बहती जा रही है उसका , शिवलिंग पर पानी चड़ाया जाता है। मंदिर के दूसरी और धर्मशाला निर्मित हैं, जहां बाहर से आने वाले व्यक्ति रुक सकते है। अंग्यारी महादेव के दर्शन करना शुभ माना जाता है, कहा यह भी जाता है कि जो भी यहां सावान के महीने में सच्चे दिल से आता है उसकी हर मोकामना पूरी होती है। विडिओ देखें।
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