शिव जिन्हें कैलाशवासी कहा जाता है। जिनके केशों पर चन्द्रमा सजता है और जिनकी जटाओं से गंगा का उद्गम हुआ है। गंगा के इसी पानी से धरती सींचती है और पर्वतों का निर्माण होता है। यही कारण है इन्हें प्यार से भोला कहा जाता है। जिन्होंने स्वर और नृत्य दोनों की रचना की। यही शिव अगर क्रोधित हो गए तो उनके माथे पर स्तिथ त्रिनेत्र खुलते ही धरती का सर्वनाश कर सकता है। पर ऐसी क्या आफत आन पड़ी थी इन्हीं अविनाशी शिव को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्तिथ कोटेश्वर में छुपना पड़ा ? किससे डर रहे थे भगवान शिव ? और क्या है कोटेश्वर महादेव मंदिर का पूरा सच । पढ़िए पूरी जानकारी |
कोटेश्वर महादेव मंदिर | Koteshwar Mahadev Mandir
कोटेश्वर महादेव मंदिर और शिव के रहस्य को जानने से थोड़ा कोटेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानते हैं।आजकल सावन का महीना चल रहा है। सभी लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने और शिव के दर्शनों के लिए लंबी-लंबी कतार लगा रहे हैं। कहते हैं की सावन के इन दिनों जो हर सोमवार सच्चे मन से शिव भक्ति करता है और व्रत रखकर
यही कारण है शिव के अन्य मंदिरों की तरह रुद्रप्रयाग में स्तिथ कोटेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। अलकनंदा नदी के किनारे स्तिथ 14वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर देखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है। मंदिर के समीप नदी किनारे स्तिथ गुफा में शिवलिंग सहित बहुत सी मूर्तियां हैं जिनके बारे में कहा जाता है की ये गुफा में पुराने समय से ही प्राकृतिक रूप से मौजूद है। मान्यता है कि केदारनाथ की यात्रा से पहले इस मंदिर के दर्शनों से यात्रा का सुफल प्राप्त होता है। वहीँ शिवरात्रि के समय गुफा में स्तिथ प्राकृतिक शिवलिंग पर जल चढ़ाने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। सावन के वक्त नदी का जल स्तर बढ़ने से अलकनंदा स्वतः ही गुफा में स्तिथ शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं।
इसे भी पढ़ें – त्रिजुगी नारायण मंदिर जहां शिव ने पार्वती संग रचाया विवाह
आखिर क्यों ली भगवान शिव ने कोटेश्वर में शरण ?
भस्मासुर की तपस्या से शिव बड़े प्रसन्न थे अतः उन्होंने भष्मासुर से वरदान मांगने को कहा। यह पाकर भष्मासुर ने झट से अमरत्व का वरदान माँगा। भगवान शिव ने भस्मासुर से कहा की सृष्टि में जो भी जन्म लेता है उसका मरण तय है अतः कोई दूसरा वरदान मांगों। इसपर भस्मासुर ने कुछ सोचा और भगवान शिव से वरदान माँगा की वह जिसके भी सर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाये। शिव ने तथास्तु कह कर वरदान दे दिया।
अब भष्मासुर अपनी नयी मिली शक्ति का प्रयोग करना चाहता था और उसने सोचा क्यों न वह अपनी नयी शक्ति का प्रयोग शिव पर करे इससे उसकी शक्ति का भी प्रयोग हो जायेगा और भगवान शिव के भस्म करने पर वह संसार का सबसे शक्तिशाली राक्षस भी बन जायेगा। यही सोचकर वह शिव के पीछे भागने लगा और शिव उससे खुद को बचाते हुए भागने लगे।
भगवान शिव जब खुदको बचा रहे थे तो कोटेश्वर स्तिथ गुफा में ठहरे थे और ध्यान में बैठ गए। उन्होंने भगवान विष्णु से भष्मासुर का वध करने को कहा। विष्णु ने मोहनी रूप रखकर भष्मासुर को मोहनी जाल में फंसाया और नृत्य के जरिये भष्मासुर को उसकी शक्ति द्वारा भस्म कर दिया।
भगवान शिव के इस स्थान पर आश्रय लेने से तबसे कोटेश्वर स्तिथ महादेव के इस स्थान पर शिव की पूजा अर्चना की जाती है। किवदंतियो के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्गयात्रा पर निकले थे तो उन्होंने कोटेश्वर महादेव स्तिथ गुफा पर विश्राम किया था।
कैसे पहुंचे कोटेश्वर महादेव ? | How To Koteshwar Mahadev Mandir
इसे भी पढ़ें –
- जानिए क्या है खास रुद्रप्रयाग में
- रुद्रप्रयाग चोपता में घूमने की 10 सुन्दर स्थान
- केदारनाथ सम्पूर्ण पौराणिक गाथा
- रुद्रप्रयाग स्तिथ मद्महेश्वर में जाने से होगा पीढ़ियों का उद्धार
- रुद्रप्रयाग स्तिथ त्रिजुगी नारायण मंदिर जहां रचाया शिव संग पार्वती ने विवाह
- रुद्रप्रयाग में स्तिथ उत्तराखंड में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर
- घूम आइये तुंगनाथ
दोस्तों ये थी शिव के Koteshwar Mahadev Mandir के बारे में जानकारी। यदि आपको Koteshwar Mahadev Mandir से जुडी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।
[…] इसे भी पढ़ें – कोटेश्वर महादेव की अद्भुत कथा, आखिर कि… […]